नई दिल्ली, 14 सितंबर 2025
खनन और प्राकृतिक संसाधनों की दिग्गज कंपनी वेदांता लिमिटेड ने एक बार फिर कॉरपोरेट दुनिया में हलचल मचा दी है। अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली कंपनी ने जयप्रकाश एसोसिएट्स के अधिग्रहण के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से औपचारिक अनुमति मांगी है। दिलचस्प बात यह है कि इस रेस में वेदांता ने अडानी ग्रुप को पछाड़ दिया है।
डील से वेदांता को क्या मिलेगा?
वेदांता, जयप्रकाश एसोसिएट्स की सीमेंट और पावर यूनिट्स को अपने अधीन करने की तैयारी में है। अगर CCI की मंजूरी मिलती है, तो कंपनी को सीमेंट सेक्टर में मजबूत पकड़ मिलेगी और पावर बिजनेस में भी विस्तार होगा। उद्योग जगत के जानकार मानते हैं कि यह डील वेदांता को “खनन से लेकर निर्माण” तक का एकीकृत कारोबारी मॉडल प्रदान करेगी।
अडानी को झटका क्यों?
अडानी ग्रुप ने भी जयप्रकाश एसोसिएट्स की यूनिट्स में दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच वेदांता ने बेहतर ऑफर और तेज़ बातचीत रणनीति अपनाकर बढ़त बना ली। अब अडानी को पीछे छोड़ वेदांता मंजूरी की आखिरी औपचारिकता पूरी करने में जुटी है।
सरकार से मिली-जुली प्रतिक्रिया
वेदांता ने सरकार से कहा है कि यह अधिग्रहण न सिर्फ निवेश को बढ़ावा देगा बल्कि रोजगार और उत्पादन क्षमता में भी इजाफा करेगा। हालांकि, सरकार और CCI यह जांचेंगे कि इस डील से कहीं बाजार में एकाधिकार (Monopoly) की स्थिति तो नहीं बनेगी।
वेदांता का बड़ा प्लान
सूत्रों के अनुसार, अनिल अग्रवाल का लक्ष्य वेदांता को खनन, धातु, ऊर्जा और निर्माण क्षेत्र का सबसे बड़ा इंटीग्रेटेड प्लेयर बनाना है। जयप्रकाश एसोसिएट्स की संपत्तियों पर कब्ज़ा इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
उद्योग जगत में चर्चा
इस कदम के बाद उद्योग जगत में वेदांता की रणनीति को लेकर खासी चर्चा है। एक तरफ कंपनी कर्ज पुनर्गठन (Debt Restructuring) से जूझ रही है, वहीं दूसरी तरफ यह अधिग्रहण उसकी आक्रामक विस्तार नीति को दर्शाता है।