उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई जल प्रलय के तीसरे दिन भी राहत और बचाव कार्य पूरी तत्परता से जारी है। सोमवार को खीर गंगा नदी में आए तेज सैलाब ने धराली समेत आसपास के क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई थी। बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में आकर कई मकान, होटल और दुकानें मलबे में दब गए हैं। अब तक सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आइटीबीपी और स्थानीय प्रशासन की मदद से 238 लोगों को सुरक्षित एयरलिफ्ट किया गया है, जिनमें तीर्थयात्री, स्थानीय निवासी और पर्यटक शामिल हैं। वहीं, अभी भी 19 लोग लापता हैं, जिनमें सेना के 9 जवान भी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि 100 से अधिक लोग अब भी मलबे में दबे हो सकते हैं, जिससे जनहानि की आशंका और बढ़ गई है।
गुरुवार को मौसम ने राहत दी और धूप खिली रही, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन को गति मिली। जगह-जगह फंसे लोगों को चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों के माध्यम से हर्षिल, गंगोत्री और झाला से सुरक्षित बाहर निकाला गया। चिनूक हेलीकॉप्टर से 112 लोगों को देहरादून एयरपोर्ट लाकर उन्हें उनके गंतव्य तक रवाना किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राहत कार्यों पर स्वयं नजर रखे हुए हैं और उन्होंने उत्तरकाशी पहुंचकर आपदा प्रभावितों से मुलाकात की। उन्होंने जिला अस्पताल में भर्ती घायलों से भी मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्य में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी और जरूरतमंदों को हरसंभव मदद उपलब्ध कराई जाएगी।
आपदा के बाद धराली और हर्षिल गांवों में बिजली, पानी और संचार व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी। इस स्थिति को देखते हुए राहत कार्यों के तहत सामुदायिक किचन की व्यवस्था की गई है और ‘रेडी टू ईट फूड’ के पैकेट बांटे जा रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दोनों गांवों में 16 सदस्यीय मेडिकल टीम तैनात की गई है। एनडीआरएफ द्वारा वाई-फाई सुविधा शुरू करने की कोशिशें भी जारी हैं, ताकि संचार व्यवस्था बहाल हो सके। बिजली आपूर्ति के लिए चिनूक हेलीकॉप्टर से चिन्यालीसौड़ एयरबेस तक 132 केवी का जनरेटर पहुंचाया गया है, जिसे आपदा क्षेत्र में भेजा जाएगा।
गंगोत्री हाईवे को सीमित रूप से खोल दिया गया है और छोटे वाहनों की आवाजाही के लिए सीमा सड़क संगठन ने चड़ेती और पापड़गाड में मरम्मत का कार्य पूरा किया है। लिमचा गाड में बेली ब्रिज निर्माण की तैयारी भी चल रही है। हालांकि, डबराणी में सड़क बहाल करने की चुनौती अब भी बनी हुई है। खोज और राहत अभियान में शामिल टीमें हर पत्थर और मलबे के नीचे जिंदगी तलाशने में लगी हैं। दलदल भरे क्षेत्रों में टिन की चादरें बिछाकर आवाजाही को संभव बनाया जा रहा है।
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने जानकारी दी कि राहत कार्यों को और प्रभावी बनाने के लिए चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों की तैनाती की जाएगी, जिससे विमान देहरादून से सीधे प्रभावित क्षेत्र तक राहत सामग्री और आवश्यक संसाधन पहुंचा सकें। इस ऑपरेशन में देहरादून के डीएम सविन बंसल, एसएसपी अजय सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी लगातार निगरानी बनाए हुए हैं।
धराली के निवासी और तीर्थयात्री अभी भी मानसिक रूप से आघात में हैं। कई लोग अपने स्वजनों की तलाश में दिन-रात मलबे के बीच भटक रहे हैं। वहीं, अस्पतालों में भर्ती घायलों में से तीन को एम्स ऋषिकेश और दो को मिलिट्री हॉस्पिटल शिफ्ट किया गया है। राहत शिविरों में रह रहे लोगों के लिए जरूरी वस्तुएं हेलीकॉप्टर से पहुंचाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि सरकार हर नागरिक के साथ खड़ी है और पुनर्वास एवं मुआवजे की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।
यह आपदा उत्तराखंड की भौगोलिक संवेदनशीलता की एक बार फिर याद दिलाती है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन के कारण ऐसी आपदाएं लगातार बढ़ रही हैं। उत्तरकाशी की यह त्रासदी ना सिर्फ सरकारी एजेंसियों की तत्परता की परीक्षा है, बल्कि देशभर के लोगों के लिए संवेदनशीलता और सहानुभूति का भी एक बड़ा उदाहरण है। राहत कार्य में जुटे जवानों की निस्वार्थ सेवा और स्थानीय लोगों का साहस इस संकट की घड़ी में उम्मीद की किरण बनकर उभरा है।