नई दिल्ली 19 सितंबर 2025
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन एक बार फिर आक्रामक रुख़ में है। हाल ही में भारत के कुछ अधिकारियों और उद्योगपतियों के वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं, आरोप यह है कि उनका संबंध फेंटेन्यल प्रीकर्सर्स की तस्करी से है। सतह पर यह कदम एक एंटी-ड्रग क्रैकडाउन नज़र आता है, लेकिन गहराई से देखें तो इसके राजनीतिक और कूटनीतिक मायने कहीं बड़े हैं।
आरोपों की पृष्ठभूमि
अमेरिकी दूतावास ने दावा किया है कि जिन व्यक्तियों के वीज़ा रद्द किए गए, वे फेंटेन्यल जैसे खतरनाक ड्रग्स के अवैध व्यापार से जुड़े हैं। फेंटेन्यल अमेरिका में हर साल हज़ारों मौतों का कारण बन रहा है और वहां की ‘ओपिऑइड महामारी’ का सबसे बड़ा चेहरा बन चुका है। अमेरिका इस बात का संदेश देना चाहता है कि वह नशे के कारोबार में किसी भी स्तर पर शामिल लोगों—चाहे वे विदेशी अधिकारी ही क्यों न हों—को बख़्शने वाला नहीं।
असर का दायरा
वीज़ा रद्दीकरण का असर केवल आरोपित अधिकारियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके परिवारों पर भी पड़ा है। यह कदम अमेरिका की इमिग्रेशन एवं नेशनलिटी एक्ट के तहत लिया गया है। इससे साफ़ है कि वॉशिंगटन अब ट्रांसनेशनल ड्रग नेटवर्क्स को ‘नेशनल सिक्योरिटी थ्रेट’ मानकर काम कर रहा है।
भारत-अमेरिका रिश्तों पर छाया
भारत और अमेरिका हाल के वर्षों में रणनीतिक साझेदारी, व्यापार और तकनीकी सहयोग के नए शिखर छू रहे हैं। लेकिन ऐसे कदम रिश्तों में असहजता पैदा करते हैं। भारत में इसे अमेरिकी “कूटनीतिक दबाव” के रूप में भी देखा जा रहा है—एक संदेश कि अगर वॉशिंगटन की चिंताओं पर तुरंत सहयोग नहीं मिला तो भारतीय अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं।
पारदर्शिता पर सवाल
अब तक अमेरिका ने जिन व्यक्तियों पर आरोप लगाए हैं, उनके नाम और ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं किए। यह स्थिति लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से चिंताजनक है। बिना मुक़दमे और बिना जांच रिपोर्ट साझा किए इतने बड़े फैसले लेना “गुनाह साबित होने से पहले सज़ा” जैसा है।
संभावित कानूनी और कूटनीतिक नतीजे
- कानूनी लड़ाई – प्रभावित व्यक्ति अमेरिकी अदालतों या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपील कर सकते हैं।
- कूटनीतिक तनाव – भारत इस मुद्दे को राजनयिक चैनलों से उठा सकता है और सबूत साझा करने की मांग कर सकता है।
- सहयोग की संभावना – यह विवाद दोनों देशों को ड्रग तस्करी के खिलाफ संयुक्त टास्क फोर्स या इंटेलिजेंस शेयरिंग की दिशा में भी धकेल सकता है।
तीन संभावित परिदृश्य
- सकारात्मक परिदृश्य: भारत-अमेरिका मिलकर ड्रग तस्करी से लड़ने के लिए ठोस कदम उठाएँ और सहयोग का नया अध्याय शुरू करें।
- नकारात्मक परिदृश्य: अगर पारदर्शिता न दिखाई गई तो यह कार्रवाई अविश्वास और तनाव को जन्म देगी।
- संतुलित परिदृश्य: अमेरिका आरोपों को सीमित रखेगा और भारत के साथ बैक-चैनल डायलॉग के जरिए संतुलन बनाने की कोशिश करेगा।
ट्रंप प्रशासन की यह सख़्ती अमेरिका के आंतरिक संकट—फेंटेन्यल महामारी—से निपटने का हिस्सा है, लेकिन इसमें कूटनीतिक ‘पावर प्ले’ भी छिपा है। भारत के लिए चुनौती यही है कि वह राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए अमेरिका से संबंधों की गर्माहट बनाए रखे। अंधा समर्थन उतना ही ख़तरनाक है जितना अंधा विरोध। समझदारी इसी में है कि भारत संतुलित प्रतिक्रिया दे और सबूतों की मांग करते हुए सहयोग की संभावनाओं पर भी नज़र बनाए रखे। भारत को चाहिए कि वह अमेरिका की सख़्ती को चुनौती भी दे और सहयोग भी—ताकि नीति और राजनीति दोनों संतुलित रहें।