वाशिंगटन, 3 अक्टूबर 2025
अमेरिकी केंद्र सरकार का शटडाउन जारी है और राजनीतिक गतिरोध और गहरा गया है। सीनेट ने गुरुवार को रिपब्लिकन और डेमोक्रेट, दोनों दलों के वित्तीय प्रस्तावों को खारिज कर दिया, जिसके बाद देश की लाखों सरकारी सेवाएँ ठप पड़ी हैं और करीब 7.5 लाख संघीय कर्मचारी बिना वेतन के घर बैठने को मजबूर हो गए हैं।
इस संकट की जड़ स्वास्थ्य बीमा सब्सिडी (Affordable Care Act subsidies) का मुद्दा है। डेमोक्रेट चाहते हैं कि इन सब्सिडियों का विस्तार किया जाए, जबकि रिपब्लिकन इस पर समझौते से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहले सरकार का बजट पारित हो, उसके बाद किसी नीति पर बहस की जाएगी। इस टकराव के चलते सीनेट में कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं हो सका और देश शटडाउन की स्थिति में फंस गया।
सरकारी ठप से शिक्षा, श्रम, वाणिज्य और विदेश मंत्रालय समेत कई विभागों का कामकाज बाधित है। केवल रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी “आवश्यक सेवाएँ” ही सामान्य रूप से काम कर रही हैं। वहीं, पासपोर्ट, वीजा और अन्य प्रशासनिक सेवाओं पर भी देरी का असर पड़ने लगा है।
आर्थिक मोर्चे पर भी स्थिति गंभीर है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर यह गतिरोध लंबे समय तक जारी रहा, तो अमेरिकी सरकार को प्रतिदिन लगभग 400 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा। इससे न केवल वित्तीय घाटा बढ़ेगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अमेरिका की साख पर सवाल खड़े होंगे।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके सहयोगियों ने डेमोक्रेट्स पर आरोप लगाया है कि वे देशहित की बजाय राजनीतिक फायदे के लिए अड़ंगेबाज़ी कर रहे हैं। वहीं, डेमोक्रेटिक नेताओं का कहना है कि ट्रम्प प्रशासन गरीब और मध्यम वर्ग के खिलाफ जाकर केवल बड़े कॉर्पोरेट हितों की रक्षा कर रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस गतिरोध का असर सीधे आम अमेरिकी नागरिकों पर पड़ रहा है, जो न तो इस जटिल बहस को समझ पा रहे हैं और न ही इसकी कीमत चुकाने को तैयार हैं। आने वाले दिनों में अगर कोई समझौता नहीं हुआ, तो यह शटडाउन अमेरिका के लिए एक बड़ा राजनीतिक और आर्थिक संकट बन सकता है।