तिरुवनंतपुरम, 1 नवंबर 2025
केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में सोने की चोरी के सनसनीखेज मामले ने पूरे राज्य प्रशासन और देवस्थानम बोर्ड को झकझोर कर रख दिया है। मंदिर के पूर्व अधिकारी को दो सोने के टुकड़े गायब होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी उस विस्तृत जांच का हिस्सा है जो पिछले कुछ हफ्तों से चल रही थी, जब मंदिर के इन्वेंटरी रिकॉर्ड और वास्तविक सोने के भंडार में गड़बड़ी पाई गई। इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि जांच एजेंसियां इस बात की तह तक जाने में जुटी हैं कि आखिर यह “कागज़ों में छिपी चोरी” कितने बड़े घोटाले का हिस्सा है।
मामला तब सामने आया जब सबरीमाला मंदिर की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट में विसंगतियां पाई गईं। रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर के खजाने में मौजूद सोने की मात्रा और रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों में अंतर था। जब अधिकारियों ने रिकॉर्ड की जांच शुरू की, तो पाया गया कि दो सोने के टुकड़े (जिनका वजन लगभग 120 ग्राम था) गायब हैं। शुरू में इसे एक प्रशासनिक भूल समझा गया, लेकिन जब CCTV फुटेज और दस्तावेज़ों की जांच हुई तो शक की सुई मंदिर के प्रशासनिक कर्मचारियों की ओर घूम गई।
जांच में खुलासा हुआ कि यह चोरी न केवल सोने की थी बल्कि एक सुनियोजित हेराफेरी का हिस्सा थी — जहां रिकॉर्ड्स में फर्जी एंट्रीज़ कर असली सोना धीरे-धीरे गायब किया गया। मंदिर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरोपी अधिकारी, जो पहले मंदिर की खजाना शाखा से जुड़ा था, उसने लंबे समय से रिकॉर्ड में हेराफेरी की तैयारी कर रखी थी। इस काम में उसके दो अन्य सहयोगी भी शामिल थे, जिन्हें पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि चोरी का यह पूरा खेल मंदिर के दान और भंडार प्रबंधन के नाम पर चल रहा था।
केरल पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने जब आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सूत्रों के अनुसार, आरोपी ने स्वीकार किया कि वह “सोने की सफाई” या “रिकॉर्ड एडजस्टमेंट” के बहाने मंदिर के आभूषणों और सोने की वस्तुओं के साथ छेड़छाड़ करता था। यह सोना बाद में बाजार में बेचकर रकम को कागजों में दान या मरम्मत खर्च के रूप में दिखाया जाता था। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या इस पूरी गड़बड़ी में देवस्थानम बोर्ड के अन्य सदस्य या निजी ठेकेदार भी शामिल हैं।
सबरीमाला मंदिर, जो भगवान अयप्पा को समर्पित है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होता है। मंदिर के पास करोड़ों रुपये मूल्य का सोना, चांदी और दान की अन्य वस्तुएं हैं। इसलिए इसके खजाने की सुरक्षा हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रही है। मंदिर के इतिहास में यह पहला मौका नहीं है जब आभूषणों या धन की हेराफेरी का मामला सामने आया हो — लेकिन इस बार जो तरीका अपनाया गया, यानी “कागज़ों के अंदर चोरी छिपाना”, उसने सबको चौंका दिया है।
देवस्थानम बोर्ड ने तुरंत प्रभाव से मंदिर की संपत्तियों की व्यापक जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि अगर किसी और कर्मचारी की संलिप्तता सामने आई, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बोर्ड के एक सदस्य ने कहा, “सबरीमाला सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक है। यहां भ्रष्टाचार या चोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
वहीं, विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर भी हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सबरीमाला जैसे प्रतिष्ठित मंदिर में सोने की चोरी प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने इस मामले में स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अपराधियों को किसी राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण का लाभ न मिले।
मंदिर के श्रद्धालु भी इस घटना से गुस्से में हैं। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताते हुए लिखा कि “जब भगवान के घर में ही चोरी हो सकती है, तो फिर आम आदमी की संपत्ति कितनी सुरक्षित है?” यह सवाल केवल सबरीमाला तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे देश में धार्मिक स्थलों की पारदर्शिता और जवाबदेही पर बहस को जन्म दे रहा है।
जांच एजेंसियां अब मंदिर के पिछले पांच वर्षों के वित्तीय रिकॉर्ड, दान रजिस्टर और ठेकेदारों के बिलों की जांच कर रही हैं। पुलिस का मानना है कि यह केवल “दो सोने के टुकड़ों की चोरी” नहीं, बल्कि एक संगठित भ्रष्टाचार की शुरुआत हो सकती है। अगर जांच में और बड़े खुलासे होते हैं, तो यह दक्षिण भारत के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक संस्थानों में से एक के लिए सबसे बड़ा प्रशासनिक झटका साबित हो सकता है।




