वॉशिंगटन/नई दिल्ली 20 सितंबर 2025
अमेरिका में H-1B वीज़ा पर मचे हंगामे के बीच अब हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि दिग्गज टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट को अपने कर्मचारियों को सख्त एडवाइजरी जारी करनी पड़ी है। ट्रंप प्रशासन के नए H-1B वीज़ा कदम के बाद कंपनी ने विदेशी कर्मचारियों को साफ संदेश दिया है – “कल तक अमेरिका वापस लौटो, वरना स्थिति आपके लिए बेहद कठिन हो जाएगी।”
माइक्रोसॉफ्ट की एडवाइजरी में सख्त लहजा
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट ने अपने उन कर्मचारियों को तुरंत लौटने का निर्देश दिया है जो विदेश यात्रा पर हैं या वीज़ा नियमों में फंसे हुए हैं। कंपनी का कहना है कि ट्रंप प्रशासन के आदेश के चलते वीज़ा धारकों को अगर देर हुई तो वे अमेरिका में काम करने का मौका खो सकते हैं।
टेक सेक्टर में मचा हड़कंप
यह एडवाइजरी सिर्फ़ माइक्रोसॉफ्ट तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे सिलिकॉन वैली में भूकंप जैसा असर दिखा रही है। हजारों भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स, जिनकी अमेरिका की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है, अब असमंजस और दहशत की स्थिति में हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका तकनीकी प्रतिभा को बाहर निकालने पर आमादा है?
ट्रंप का ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा
ट्रंप प्रशासन लगातार ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति के तहत विदेशी कर्मचारियों पर शिकंजा कस रहा है। H-1B वीज़ा को लेकर यह नया फैसला साफ़ दिखाता है कि विदेशी प्रोफेशनल्स को अब सिर्फ़ बोझ की तरह देखा जा रहा है। मगर असलियत यह है कि अमेरिकी टेक इंडस्ट्री भारतीय और एशियाई इंजीनियरों के बिना अधूरी है।
भारतीय प्रोफेशनल्स पर सीधा असर
हज़ारों भारतीय कर्मचारी, जो माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेज़न और अन्य टेक कंपनियों में काम कर रहे हैं, अब अपनी नौकरियों को लेकर डरे हुए हैं। कई कर्मचारियों को अपने परिवारों समेत ‘रातों-रात वापसी’ की तैयारी करनी पड़ रही है। इस स्थिति ने भारत सरकार पर भी दबाव बढ़ा दिया है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा और रोजगार को लेकर अमेरिका से सख्त सवाल पूछे।
भारत के लिए सबक और मौका
यह संकट भारत के लिए चुनौती के साथ-साथ एक अवसर भी है। जब विदेशी धरती पर भारतीय प्रतिभा का अपमान हो रहा है, तो क्यों न भारत अपने स्टार्टअप इकोसिस्टम और आईटी इंडस्ट्री को और मज़बूत बनाकर इन्हें वापस देश में ही अवसर दे?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या ट्रंप का यह कदम अमेरिकी टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए ‘स्वयं विनाश’ साबित होगा, और क्या भारत इस मौके को पकड़कर Reverse Brain Drain की दिशा में कदम बढ़ा पाएगा?