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तीन महीने बाद ट्रंप-शी की फोन वार्ता: TikTok और व्यापार पर केंद्रित बातचीत

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वाशिंगटन 19 सितंबर 2025

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तीन महीने की खामोशी तोड़ते हुए आखिरकार फोन पर सीधी बातचीत की। यह संवाद ऐसे समय में हुआ जब दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव, व्यापार युद्ध और तकनीकी कंपनियों को लेकर उठे विवादों ने माहौल को काफी पेचीदा बना दिया है। खासकर TikTok का मुद्दा अमेरिका में राजनीतिक और रणनीतिक बहस का केंद्र बना हुआ है। अमेरिका लगातार चीन की ByteDance कंपनी पर डेटा सुरक्षा और एल्गोरिद्म के दुरुपयोग के आरोप लगाता रहा है, वहीं चीन इसे केवल आर्थिक प्रतिस्पर्धा का परिणाम बताता है। इस पृष्ठभूमि में ट्रंप-शी की यह कॉल कई मायनों में बेहद अहम मानी जा रही है।

फोन कॉल का मुख्य केंद्र TikTok पर जारी अमेरिकी आपत्तियों और संभावित समाधान को लेकर था। रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिका और चीन एक ऐसे “फ्रेमवर्क समझौते” पर पहुंच गए हैं, जिसमें TikTok अमेरिका में अपनी सेवाएं जारी रख सकेगा, लेकिन इसके स्वामित्व ढांचे, डेटा सुरक्षा और एल्गोरिद्म नियंत्रण पर कड़े नियम लागू होंगे। अमेरिकी प्रशासन चाहता है कि ByteDance अपने अमेरिकी संचालन को एक स्वतंत्र इकाई के तौर पर चलाए और अमेरिकी उपयोगकर्ताओं का डेटा अमेरिका में ही संग्रहीत हो। दूसरी ओर, चीन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कंपनी का मुख्य एल्गोरिद्म या तकनीकी रहस्य किसी विदेशी हाथों में न जाए। इस खींचतान में समझौते की रेखाएं खिंच चुकी हैं, लेकिन अभी भी कई जटिल सवाल बाकी हैं।

ट्रंप और शी के बीच यह बातचीत केवल TikTok तक सीमित नहीं रही। दोनों नेताओं ने व्यापार युद्ध, टैरिफ नियमों, निर्यात नियंत्रण और आपसी आर्थिक संबंधों पर भी चर्चा की। पिछले कुछ सालों में अमेरिकी प्रशासन ने चीन के तकनीकी और औद्योगिक उत्पादों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं, जिसके चलते द्विपक्षीय व्यापार लगातार दबाव में है। चीन भी बराबरी का जवाब देने की कोशिश करता रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस वार्ता के बाद दोनों देश किसी स्थायी समाधान की ओर कदम बढ़ाएंगे या यह केवल एक अस्थायी “सुलह संदेश” बनकर रह जाएगा।

बातचीत का एक बड़ा संकेत यह भी है कि आने वाले हफ्तों में APEC सम्मेलन के दौरान ट्रंप और शी जिनपिंग आमने-सामने की मुलाकात कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह लंबे समय के बाद दोनों नेताओं की पहली व्यक्तिगत भेंट होगी, और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश जाएगा कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं टकराव से निकलकर बातचीत के रास्ते पर आ रही हैं। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि विश्वास बहाली आसान नहीं होगी। चीन-अमेरिका के बीच रणनीतिक अविश्वास गहरा है और TikTok जैसे मुद्दों पर एक समझौता होने के बावजूद भी तकनीकी, सैन्य और भू-राजनीतिक मोर्चों पर प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी।

वॉशिंगटन और बीजिंग की इस ताजा कवायद का असर वैश्विक स्तर पर भी देखा जाएगा। यूरोप, एशिया और खासकर भारत जैसे देश इस बात पर नज़र रखेंगे कि क्या अमेरिका और चीन वास्तव में सहयोग का नया रास्ता अपनाते हैं या फिर यह केवल चुनावी और कूटनीतिक दिखावे तक ही सीमित है। अमेरिकी कांग्रेस में भी TikTok समझौते पर गहरी बहस छिड़ सकती है क्योंकि कई सांसद चीन पर भरोसा करने के खिलाफ हैं। वहीं चीन में भी यह सवाल उठेगा कि आखिरकार सरकार ने कितना झुकाव दिखाया और क्या इससे उसकी तकनीकी कंपनियों की स्वतंत्रता और शक्ति प्रभावित होगी। कुल मिलाकर, ट्रंप-शी की यह कॉल केवल एक फोन वार्ता नहीं, बल्कि आने वाले समय की वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था की दिशा तय करने वाली कड़ी हो सकती है।

 

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