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पाकिस्तानी हमले में तीन अफ़ग़ान क्रिकेटरों की मौत — अफ़ग़ानिस्तान ने शोक में T20 सीरीज़ रद्द की, खेल पर युद्ध का साया

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काबुल/ कंधार 18 अक्टूबर 2025

कंधार के स्पिन बोलदक ज़िले की नींद उस रात मौत की गूंज से टूट गई। जब लोग सुब्ह की नमाज़ की तैयारी कर रहे थे, तब आसमान से बरस रहे बमों ने गांवों को राख कर दिया। इन धमाकों में सिर्फ घर नहीं टूटे, अफ़ग़ानिस्तान की क्रिकेट की आत्मा भी बिखर गई। पाकिस्तानी हवाई हमले में तीन अफ़ग़ान क्रिकेटरों — क़बीर, सिबग़तुल्लाह और हारून — की मौत ने खेल की दुनिया को झकझोर दिया।

ये खिलाड़ी उरग़ुन ज़िले (पक्तिका प्रांत) के रहने वाले थे और हाल ही में एक फ्रेंडली क्रिकेट मैच खेलकर लौटे थे। उनके लौटने के कुछ ही घंटे बाद बमबारी हुई — जब वे अपने दोस्तों और परिवार के साथ घर के बाहर बैठे थे। अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) ने इस हमले को “पाकिस्तानी शासन द्वारा की गई कायराना कार्रवाई” बताया और गहरे शोक के साथ पाकिस्तान के साथ होने वाली आगामी त्रिकोणीय T20 सीरीज़ से नाम वापस ले लिया।

हमले में कुल 40 लोगों की मौत हुई और 170 से ज़्यादा घायल हुए, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं। स्थानीय अफ़ग़ान अधिकारी करीमुल्लाह जुबैर आगा के मुताबिक़ — “हमने इतनी लाशें कभी नहीं देखीं। यहां कोई सैनिक नहीं था, सिर्फ आम लोग थे। पाकिस्तान ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया।”

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बमबारी ने पूरे मोहल्लों को खंडहर बना दिया। हाजी बहराम, जो इस हमले में घायल हुए, ने रोते हुए कहा — “हम मुस्लिम हैं, वे भी मुस्लिम हैं, फिर हमारे बच्चों पर बम क्यों गिराया गया?” एक और चश्मदीद नूरग़ली ने बताया कि “यहां कोई लड़ाई नहीं थी, सिर्फ एक स्थानीय बाज़ार था… लेकिन हमला हुआ, जैसे हमारी ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं।”

कंधार के जनाज़ा मैदान में जब तीनों क्रिकेटरों को सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया, तो पूरा इलाका सिसकियों में डूब गया। उनके बल्ले, दस्ताने और क्रिकेट जर्सी उनके कफ़न के पास रखी गईं — जैसे खेल भी रो रहा हो। भीड़ में एक बच्चा था, जिसने धीरे से कहा — “अब कौन हमें क्रिकेट सिखाएगा?” उस मासूम सवाल ने पूरे मुल्क का दिल तोड़ दिया।

अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने कहा कि यह घटना सिर्फ खिलाड़ियों की मौत नहीं, बल्कि “खेल के जरिए जुड़ने वाले दो देशों के रिश्ते का अंत” है। बोर्ड ने एक बयान में लिखा — “यह शहादत अफ़ग़ानिस्तान के हर खिलाड़ी के दिल में जख़्म बनकर रहेगी। क्रिकेट अब सिर्फ खेल नहीं, प्रतिरोध का प्रतीक बन गया है।”

इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी आक्रोश है। संयुक्त राष्ट्र ने नागरिकों की मौत पर चिंता जताई, जबकि एशियाई क्रिकेट परिषद ने अफ़ग़ान खिलाड़ियों को श्रद्धांजलि दी। लेकिन सवाल वही है — क्या क्रिकेट मैदान पर खेलने वाले दो मुल्क अब युद्ध के मैदान में आमने-सामने होंगे?

आज अफ़ग़ानिस्तान में बल्ला और गेंद नहीं गूंज रही, बल्कि शोक, प्रतिशोध और बेबसी की आवाज़ें गूंज रही हैं। यह हमला सिर्फ तीन खिलाड़ियों की मौत नहीं, बल्कि उस उम्मीद की हत्या है जो सीमाओं से परे खेल के जरिए इंसानियत को जोड़ती थी।

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