लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ के अपने आरोपों को और मजबूत करते हुए एक नया आठ मिनट का वीडियो जारी किया है। उन्होंने चुनाव आयोग (ईसीआई) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर मिलीभगत का आरोप लगाया और इसे संविधान और लोकतंत्र के साथ धोखा बताया।
नई दिल्ली: राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जारी अपने नए वीडियो में दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनावों में 100 से अधिक सीटों पर ‘वोट चोरी’ हुई। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक चुनावी घोटाला नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र के साथ किया गया बड़ा धोखा है। गुनहगार सुन लें, वक्त बदलेगा और सजा जरूर मिलेगी।”
आरोपों का विवरण: राहुल ने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक का उदाहरण देते हुए कहा कि इन राज्यों में मतदाता सूचियों में हेरफेर कर नए वोटर ‘जादुई तरीके’ से जोड़े गए। उनकी जांच में पांच प्रकार की धांधलियां सामने आईं:
1. डुप्लिकेट वोटर
2. गलत पते
3. एक ही घर में असंभव रूप से कई मतदाता
4. मतदाता सूची में बहुत ज्यादा छोटी या गलत तस्वीरें, जिससे पहचान मुश्किल हो
5. फॉर्म 6 का दुरुपयोग, जो नए मतदाताओं के लिए है, लेकिन 90 साल के लोगों के नाम भी इससे जोड़े गए।
बिहार विधानसभा चुनाव पर सवाल: राहुल ने बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह संस्थागत चोरी है। चुनाव आयोग मतदाता सूचियों में हेरफेर कर बीजेपी की मदद कर रहा है।” उन्होंने एक दिन पहले किए गए अपने लाइवकास्ट का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने 100,250 वोट ‘चुराए’ जाने का दावा किया था।
चुनाव आयोग का जवाब: गुरुवार को चुनाव आयोग ने राहुल से उनके दावों के समर्थन में शपथ पत्र के साथ सबूत मांगे। जवाब में राहुल ने कहा, “मेरे शब्द ही शपथ हैं। मैंने सब कुछ सार्वजनिक रूप से कहा और आयोग के ही आंकड़ों का हवाला दिया।” उन्होंने आयोग से अपने डेटा की जांच करने की मांग की।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि लोकतंत्र, संविधान तथा देश के साथ विश्वासघात कर रहे नैतिक रूप से भ्रष्ट एवं कायर अधिकारियों और संस्थाओं का देश की जनता अच्छे से इलाज करेगी। सब्र का फल मीठा होता है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने राहुल के दावों का समर्थन करते हुए कहा, यह गंभीर सवाल है और आयोग को कदम उठाना चाहिए। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में दोबारा चुनाव की मांग की। वहीं, बीजेपी नेताओं ने राहुल के आरोपों को बेबुनियाद बताया।
JMM सांसद महुआ माजी ने कहा, “अगर वे(राहुल गांधी) झूठ बोल रहे हैं तो इसे आप साबित करिए कि झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने पूरे देश के सामने प्रेजेंटेशन दिया। वे तथ्य बोलते हैं। उन्होंने बताया कि ये चुनाव आयोग के दस्तावेज हैं। देश के सभी बड़े नेताओं के सामने उन्होंने दस्तावेज दिखाए। केंद्र सरकार को अगर ऐसा लगता है कि वे झूठ बोल रहे हैं तो उसे साबित करें।”
NCP सांसद सुप्रिया सुले ने कहा है कि शरद पवार ने बैठक में सुझाव दिया है कि राहुल गाँधी के प्रेजेंटेशन को हर प्रदेश, जिले और ब्लॉक में लोगों को दिखाया जाए.. NCP सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस ने एक उत्कृष्ट, आँकड़ों पर आधारित खोजी रिपोर्ट पेश की है — ऐसा काम जो हमारे पत्रकारों को करना चाहिए था। लेकिन भारत के मीडिया की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, उनसे ईमानदार पत्रकारिता को प्रोत्साहित करने की उम्मीद करना मुश्किल है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए भारतीय मीडिया कम से कम इतना तो कर ही सकता है कि इस मुद्दे पर बातचीत शुरू करे, प्राइम टाइम बहस करे, अन्य विधानसभा क्षेत्रों में फॉलो-अप स्टोरीज़ लाए और भारत के पूरी तरह से समझौता कर चुके संस्थान से जवाबदेही मांगे।
शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि राहुल गांधी ने लोकतंत्र की लूट की परतें उधेड़ दी हैं। अब हलफनामा देने की ज़रूरत विपक्ष को नहीं,बल्कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह को है… देश पूछ रहा है: चोरी किसने की, और जवाब कौन देगा?
प्रियंका गांधी ने कहा कि निर्वाचन आयोग बिना जांच किए कैसे कह सकता है कि यह गलत है? अगर उन्हें लगता है कि उनकी जिम्मेदारी सिर्फ एक ही पार्टी के प्रति है, तो उन्हें इस पर दोबारा सोचने की जरूरत है। जैसा मेरे भाई ने कहा था, एक दिन ऐसा आएगा जब दूसरी सरकार आएगी और तब उन्हें सज़ा मिलेगी.
सांसद प्रणीति शिंदे ने कहा किरा हुल गांधी जी ने वोट चोरी को लेकर जो खुलासे किए हैं, उसने BJP को चौंका दिया है। BJP के पास जवाब देने के लिए कुछ नहीं बचा है, वो बैकफुट पर चली गई है।
योगेंद्र यादव ने कहा कि1977 से चुनाव देख रहा हूँ, 35 साल से चुनाव पर लिख और बोल रहा हूँ। शिकायतें और आरोप बहुत देखे, लेकिन बिना ठोस प्रमाण कभी कुछ नहीं कहा। पहली बार, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लाखों पन्नों के दस्तावेज़ों पर आधारित पुख़्ता सबूत रखा — एक विधानसभा में 1 लाख फ़र्ज़ी वोटर! अगर यह पूरे देश में हो रहा है तो चुनाव और लोकतंत्र का क्या अर्थ रह जाएगा?महाराष्ट्र, कर्नाटक के बाद बिहार में भी SIR के नाम पर मतदाता सूची से डकैती। चुनाव आयोग को जांच करनी चाहिए थी, उल्टा विपक्ष को धमका रहा है। देश को सच पता लगेगा और सब याद रखा जाएगा।
पृष्ठभूमि:
राहुल ने कहा कि वह 20 साल से चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें पता है कि वोट चोरी कैसे होती है। उन्होंने दावा किया कि यदि 2024 में निष्पक्ष चुनाव हुए होते, तो नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में नहीं होती।
गौरतलब है कि राहुल के 2024 आम चुनावों में बड़े पैमाने पर ‘वोट चोरी’ के आरोपों ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है। गुरुवार को दिल्ली में 72 मिनट लंबी प्रेस प्रस्तुति में राहुल ने दावा किया कि बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में “100,250 वोट चोरी” हुए, जो सीधे बीजेपी के पक्ष में गए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह धांधली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की मिलीभगत से हुई, जिसके चलते बीजेपी को 32,707 वोटों से जीत मिली।
राहुल के अनुसार, उनकी पार्टी की 40 सदस्यीय टीम ने छह महीने तक “सात फीट मोटी” मतदाता सूची की जांच की और उसमें हजारों डुप्लिकेट नाम, फर्जी पते, अवैध फोटो और संदिग्ध फॉर्म-6 आवेदन पाए। उन्होंने आरोप लगाया कि महादेवपुरा में बीजेपी को 1.14 लाख वोटों की बढ़त मिली, जबकि बाकी सभी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस आगे थी।
EC का सख्त रुख: ‘शपथ पत्र दें या माफी मांगें’
राहुल के दावों पर पलटवार करते हुए निर्वाचन आयोग ने कहा,यदि राहुल गांधी को अपने विश्लेषण और आरोपों पर भरोसा है, तो उन्हें औपचारिक घोषणा/शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। अन्यथा, उन्हें राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए।”
कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने राहुल को पत्र लिखकर विशिष्ट मतदाताओं के नाम और 1960 के नियमों के तहत हस्ताक्षरित घोषणा की मांग की। यूपी के सीईओ ने तो राहुल के एक उदाहरण को खारिज करते हुए कहा कि बताए गए “डुप्लिकेट मतदाता” उनके रिकॉर्ड में मौजूद ही नहीं हैं।
BJP का पलटवार: ‘लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की साजिश’
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की “बड़ी साजिश” बताया, जबकि रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल ने “निर्वाचन आयोग को धोखेबाज कहकर सारी सीमाएं लांघ दीं।” बेंगलुरु सेंट्रल से बीजेपी सांसद पीसी मोहन ने इसे “एक और नाटक” करार देते हुए पूछा कि अगर इतना बड़ा घोटाला था, तो 45 दिन की वैधानिक अवधि में कोई कानूनी चुनौती क्यों नहीं दी गई?
स्वतंत्र जांच में मिला ‘डुप्लिकेट वोट’ का सबूत
बीजेपी समर्थकों द्वारा राहुल के आरोपों को खारिज करने के लिए आजतक के फैक्ट-चेक का हवाला दिए जाने के बीच, एक स्वतंत्र खोज ने चौंकाने वाला खुलासा किया। ईसीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर मतदाता खोज के दौरान पाया गया कि एक ही मतदाता का नाम और ईपीआईसी नंबर कई राज्यों की मतदाता सूचियों में दर्ज है।
उदाहरण:
- लखनऊ पूर्व (उत्तर प्रदेश) – आदित्य श्रीवास्तव, ईपीआईसी नंबर FPP6437040, भाग संख्या 84, क्रमांक 630
- जोगेश्वरी पूर्व, मुंबई उपनगर (महाराष्ट्र) – वही ईपीआईसी नंबर, भाग संख्या 197, क्रमांक 877
- महादेवपुरा (कर्नाटक) – वही ईपीआईसी नंबर, भाग संख्या 458, क्रमांक 1265
- महादेवपुरा (कर्नाटक) – दोबारा वही ईपीआईसी नंबर, भाग संख्या 459, क्रमांक 678
यह खोज राहुल के उस दावे को बल देती है कि मतदाता सूचियों में गंभीर अनियमितताएं मौजूद हैं।
देश के बड़े निजी न्यूज़ चैनल इंडिया टुडे ने #VoteChori मामले में राहुल गांधी के निर्वाचन आयोग (ECI) पर लगाए गए दावे की फैक्ट-चेकिंग की। और पाया कि एक ही कमरे में 80 मतदाता पंजीकृत पाए गए — और यह बात राहुल गांधी के कहे अनुसार सच निकली… बताया जा रहा है कि यह कमरा बीजेपी कार्यकर्ता के स्वामित्व में है।
राजनीतिक और चुनावी असर
राहुल गांधी ने कहा, “मेरे शब्द ही शपथ हैं। मैंने आयोग के ही आंकड़ों का हवाला दिया है।” उन्होंने मांग की कि ईसीआई इस डेटा की स्वतः जांच करे। यह विवाद अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों पर भी असर डाल सकता है, जहां इस समय विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चल रहा है।
लोकतंत्र और पारदर्शिता पर सवाल
यह पूरा मामला न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि स्वतंत्र जांच के बिना मतदाता सूचियों की खामियां सामने नहीं आ पातीं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अब इस मुद्दे को संसद से लेकर सड़क तक जोर-शोर से उठाने की तैयारी में हैं।