लेखक : निपुणिका शाहिद, असिस्टेंट प्रोफेसर, मीडिया स्ट्डीज, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज क्राइस्ट यूनिवर्सिटी दिल्ली NCR
नई दिल्ली 20 सितंबर 2025
AI अब सिर्फ तकनीक नहीं, पत्रकारिता की नई पहचान है
क्या आपने कभी गौर किया है कि आपके न्यूज़ ऐप को शायद ही आप जिस खबर पर क्लिक करने वाले हैं, उसकी पूरी जानकारी पहले से ही पता होती है? या फिर क्रिकेट मैच के आखिरी बॉल के बाद कुछ ही सेकंड में पूरा मैच रिपोर्ट ऑनलाइन दिखाई दे जाता है? ज़्यादातर मामलों में यह सब एआई (Artificial Intelligence) की मदद से होता है। आज एआई हमारे न्यूज़रूम, स्कूल और यहाँ तक कि हमारे मोबाइल फोन में भी मौजूद है। कभी यह चीज़ों को तेज़ और व्यक्तिगत बनाता है, तो कभी यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर इस खबर को किसने लिखा? क्या हम उस पर भरोसा कर सकते हैं? यही वजह है कि मीडिया में एआई सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि पत्रकारिता के स्वरूप, कहानियों की गुणवत्ता और नैतिक मूल्यों की दिशा तय करने वाला उपकरण बन चुका है।
एआई की जरूरत: क्यों न्यूज़रूम और क्लासरूम के लिए जरूरी है
आज के दौर में पत्रकारिता और मीडिया शिक्षा में एआई केवल सुविधा नहीं, बल्कि ज़रूरत बन गया है। न्यूज़रूम में एआई पहले से ही कई दोहराव वाले काम कर रहा है—जैसे कि स्टॉक मार्केट अपडेट, कमाई की रिपोर्ट, स्पोर्ट्स स्कोर, मौसम की जानकारी इत्यादि। इससे पत्रकारों को समय मिलता है कि वे गहन अनुसंधान और विशेष रिपोर्टिंग पर ध्यान दे सकें। उदाहरण के तौर पर Associated Press कई सालों से Automated Insights’ Wordsmith टूल का इस्तेमाल कर कॉर्पोरेट कमाई की रिपोर्ट तैयार करता है। इससे आउटपुट बढ़ता है और पत्रकार रचनात्मक और विश्लेषणात्मक काम पर ध्यान दे सकते हैं।
छात्र और नए पत्रकार, जो आज मीडिया इंडस्ट्री में कदम रख रहे हैं, उन्हें सिर्फ उपकरण चलाना ही नहीं सीखना चाहिए, बल्कि एआई के हॉलुसिनेशन, डेटा की गुणवत्ता और डिजिटल प्लेटफॉर्म के नियंत्रण को भी समझना चाहिए। इसलिए मीडिया शिक्षा में एआई साक्षरता को शामिल करना बेहद जरूरी है।
एआई का इस्तेमाल: आज के मीडिया में नई क्रांति
एआई सिर्फ रिपोर्टिंग को तेज़ नहीं कर रहा, बल्कि पत्रकारिता के तरीके को पूरी तरह बदल रहा है। चुनाव के नतीजों, वित्तीय रिपोर्ट या स्पोर्ट्स सारांश जैसी डेटा भारी कहानियों को सेकंडों में तैयार करना अब संभव है। The Washington Post का Heliograf सिस्टम और Associated Press के ऑटोमेशन प्रोजेक्ट्स ने यह दिखाया कि कैसे एआई टूल्स पत्रकारों की पहुंच बढ़ाते हैं और जटिल कहानियों पर ध्यान केंद्रित करने का समय देते हैं।
एआई अब सिर्फ़ रोज़मर्रा की रिपोर्टिंग तक सीमित नहीं है। जाँच और अनुसंधान में भी यह सहायक है। मशीन लर्निंग टूल्स बड़े डेटा को स्कैन कर पैटर्न और विसंगतियों को पहचान सकते हैं, जिससे पत्रकार जटिल विश्लेषण और व्याख्या पर ध्यान दे सकें। इसके अलावा एआई न्यूज़ पर्सनलाइजेशन और रिकमेंडेशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह दर्शकों को उनकी पसंद के अनुसार खबर दिखाता है, लेकिन साथ ही यह फिल्टर बबल और ध्रुवीकरण का जोखिम भी लाता है।
नैतिकता: पत्रकारिता में एआई की सबसे बड़ी चुनौती
एआई का उपयोग जितना सुविधाजनक है, उतना ही नैतिक सवाल भी खड़ा करता है। डेटा गोपनीयता, निष्पक्षता, जवाबदेही और भरोसा—ये सारे मुद्दे अब हर न्यूज़रूम को गंभीरता से लेने पड़ रहे हैं।
डेटा गोपनीयता सबसे पहला बड़ा मुद्दा है। एआई बड़े डेटा पर निर्भर करता है, लेकिन डेटा का संग्रह और उपयोग जनता के भरोसे को प्रभावित करता है। इसके अलावा एल्गोरिथमिक बायस भी चुनौती है। अगर डेटा पूर्वाग्रहित होगा, तो परिणाम भी उसी दिशा में जाएगा—जैसे महिला या रंगीन समुदाय की गलत पहचान।
पारदर्शिता और जवाबदेही भी बेहद जरूरी हैं। दर्शकों को यह पता होना चाहिए कि कितनी खबरें एआई द्वारा बनाई गई हैं। जैसे Reuters ने एआई की भूमिका का स्पष्ट खुलासा करना अनिवार्य किया है।
शिक्षा और प्रशिक्षण: एआई से तैयार पत्रकार
मीडिया शिक्षा में अब यह जरूरी है कि छात्रों को न सिर्फ तकनीकी ज्ञान मिले, बल्कि एआई नैतिकता, तथ्य-जाँच और एल्गोरिथ्म बायस की पहचान करना भी सिखाया जाए। विश्वविद्यालय और प्रशिक्षण संस्थानों को केस स्टडी, प्रैक्टिकल लैब और प्रोजेक्ट-आधारित सीखने के माध्यम से छात्रों को तैयार करना चाहिए।
इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी पत्रकारों को तकनीकी संसाधन मिलें, ताकि संपादकीय गुणवत्ता में असमानता न आए। उपकरण और प्रशिक्षण का उचित वितरण एआई का सही और निष्पक्ष उपयोग सुनिश्चित कर सकता है।
एआई पत्रकारिता का भविष्य है, लेकिन जिम्मेदारी भी
आज के डिजिटल और तेज़ी से बदलते मीडिया परिदृश्य में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) पत्रकारिता का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। यह न केवल खबरों की गति और पैमाने को बढ़ाता है, बल्कि गहन विश्लेषण और डेटा-आधारित रिपोर्टिंग को भी संभव बनाता है। उदाहरण के तौर पर, चुनाव परिणाम, वित्तीय आंकड़े या स्पोर्ट्स रिपोर्ट्स जैसी डेटा-भारी खबरें सेकंडों में तैयार हो सकती हैं। इससे पत्रकारों को जटिल और विश्लेषणात्मक रिपोर्टिंग पर ध्यान केंद्रित करने का समय मिलता है। एआई न केवल सामग्री के उत्पादन में मदद करता है, बल्कि फैक्ट-चेकिंग, सोशल मीडिया निगरानी, और दर्शकों की पसंद के अनुसार कंटेंट पर्सनलाइजेशन में भी सहायक है। इससे पत्रकारिता की पहुँच बढ़ती है और पत्रकार अपने समय और संसाधनों का अधिक रचनात्मक उपयोग कर सकते हैं।
लेकिन सभी बड़ी शक्तियों के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है। यदि एआई का उपयोग केवल बड़ी मात्रा में खबरें बनाने के लिए किया जाए और नैतिक दिशा-निर्देश, पारदर्शिता और जिम्मेदारी को नजरअंदाज किया जाए, तो इसका प्रभाव पत्रकारिता की विश्वसनीयता और लोकतांत्रिक भूमिका पर नकारात्मक हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि एल्गोरिदम पूर्वाग्रहित डेटा पर आधारित हो, तो यह खबरों में झुकाव ला सकता है और समाज में गलत धारणाओं को बढ़ावा दे सकता है। इसी तरह, डेटा गोपनीयता और सुरक्षा के मुद्दे भी बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि एआई के लिए बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी का उपयोग किया जाता है।
पारदर्शिता और खुलापन एआई पत्रकारिता की नैतिक आधारशिला हैं। दर्शकों को यह जानने का अधिकार है कि कितनी खबरें या रिपोर्टें एआई द्वारा बनाई गई हैं और किन हिस्सों में मानव पत्रकार की समीक्षा और संपादन शामिल है। जब यह जानकारी स्पष्ट रूप से साझा की जाती है, तो यह दर्शकों का भरोसा मजबूत करती है और पत्रकारिता की पारदर्शिता को बढ़ाती है। इसके विपरीत, यदि एआई-निर्मित कंटेंट को पूरी तरह मानव रचना मानकर पेश किया जाए, तो यह विश्वास और पत्रकारिता की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकता है।
केस स्टडी: एआई का प्रभाव और संभावनाएँ
उदाहरण के तौर पर, Associated Press ने कॉर्पोरेट कमाई की रिपोर्ट बनाने के लिए Automated Insights’ Wordsmith टूल का इस्तेमाल किया। इससे आउटपुट बढ़ा और पत्रकारों को जटिल विश्लेषण पर ध्यान देने का समय मिला। इसी तरह, The Washington Post का Heliograf सिस्टम और अन्य समाचार एजेंसियों ने दिखाया कि कैसे एआई टूल्स बड़े पैमाने पर खबरें तैयार कर सकते हैं, जबकि पत्रकार गहन और मूल कहानी पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इसके साथ ही, फैक्ट-चेकिंग में एआई की मदद ने मisinformation और झूठी खबरों की पहचान तेज़ कर दी है।
एआई और शिक्षा: जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए प्रशिक्षण
मीडिया संस्थानों और विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्र न केवल एआई तकनीक को संचालित करना सीखें, बल्कि एआई की नैतिकता, एल्गोरिथ्मिक बायस और तथ्य-जाँच की पहचान करना भी सीखें। केस स्टडी, प्रैक्टिकल लैब, और प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा के जरिए छात्रों को वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा, मीडिया संगठनों को पत्रकारों को उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए, ताकि तकनीकी असमानताओं से रिपोर्टिंग प्रभावित न हो।
संतुलन ही सफलता की कुंजी
एआई पत्रकारिता की पहुँच बढ़ाने, रिपोर्टिंग तेज़ करने और विश्लेषण गहरा करने की क्षमता रखता है। लेकिन इसका सही उपयोग तभी संभव है जब नैतिक दिशानिर्देश, पारदर्शिता और समावेशी पहुंच सुनिश्चित की जाए। जब यह संतुलन बना रहेगा, तभी एआई लोकतांत्रिक और भरोसेमंद पत्रकारिता को बढ़ावा देगा और यह सुनिश्चित करेगा कि तकनीक का लाभ समाज के हर हिस्से तक पहुँचे, न कि केवल उत्पादन की दृष्टि से। यदि यह संतुलन खो गया, तो एआई केवल सामग्री का बड़े पैमाने पर उत्पादन करेगा और जनता के भरोसे को कमजोर कर सकता है।
इसलिए मीडिया जगत और शिक्षा संस्थानों के लिए चुनौती यह है कि एआई को सशक्त और जिम्मेदार तरीके से अपनाएं, ताकि यह पत्रकारिता की गुणवत्ता, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा दे। सही प्रशिक्षण, नैतिक दिशानिर्देश, और उपकरणों की पहुँच के साथ, एआई न केवल पत्रकारिता का भविष्य है बल्कि इसे बेहतर और भरोसेमंद बनाने का माध्यम भी है।