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तालकटोरा की गूंज: मुस्लिम नेतृत्व का नया संकल्प – राष्ट्र निर्माण, नशामुक्त भारत और सामाजिक एकता की ऐतिहासिक पुकार

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लेखक:
शाहिद सईद और डॉ. शालिनी अली

27 सितंबर को दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में जो दृश्य सामने आया, वह भारतीय मुसलमानों के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक था। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) के अखिल भारतीय मुस्लिम महासम्मेलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब मुसलमान केवल दर्शक बनकर नहीं बैठेंगे बल्कि राष्ट्र निर्माण में सक्रिय सहभागी बनेंगे। स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था, हजारों की संख्या में आए कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। यह आयोजन केवल एक सम्मेलन नहीं था, बल्कि एक वैचारिक क्रांति का उद्घोष था – एक ऐसा संदेश जिसने पूरे भारत और दुनिया को यह बताया कि भारतीय मुसलमानों का भविष्य अब नई दिशा में बढ़ रहा है।

मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार का भाषण सम्मेलन की आत्मा था। उन्होंने अपने जोशीले संबोधन में आतंकवाद और नशाखोरी के खिलाफ खुला युद्ध छेड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “आतंकवाद किसी धर्म का नहीं बल्कि शैतानियत का नाम है। हम हिन्दुस्तानी थे, हैं और रहेंगे। हमारी पहचान कोई छीन नहीं सकता।” उनकी यह चेतावनी कि घुसपैठिये देश के मुसलमानों के रोजगार और संसाधनों पर कब्ज़ा कर रहे हैं, एक महत्वपूर्ण मुद्दे को सामने लाती है। इंद्रेश कुमार ने साफ कहा, “घुसपैठिए नौकरी पाएंगे तो यहां का मुसलमान कैसे रोजगार हासिल कर पाएगा?” उनकी बातों ने पूरे स्टेडियम में मौजूद लोगों को एक साथ खड़ा कर दिया और तालियों की गूंज ने इस चेतावनी को एक जनआंदोलन का स्वरूप दे दिया।

कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ सांसद और वक्फ पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के चेयरमैन जगदंबिका पाल का वक्तव्य भी बेहद महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने हमेशा राष्ट्र-विरोधी ताकतों का जवाब दिया है और देश को जोड़ने का काम किया है। उन्होंने वक्फ सुधारों की सराहना करते हुए कहा कि सरकार वक्फ की एक-एक इंच जमीन का डिजिटलीकरण कर रही है ताकि यह मुसलमानों की तरक्की में लगे। उनका यह आश्वासन कि संसद और सरकार वक्फ सुधारों को पारदर्शी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, मुस्लिम समाज के लिए नई उम्मीद लेकर आया।

ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम मौलाना उमेर इलियासी का वक्तव्य इस सम्मेलन का मानवीय आयाम बनकर सामने आया। उन्होंने कहा, “हिंदू और मुसलमान दोनों का DNA एक है। हम सब इस मिट्टी से बने हैं, यही हमारी पहचान है। हमें इस साझा पहचान को कभी नहीं भूलना चाहिए।” उनका यह संदेश केवल भाईचारे का आह्वान नहीं था बल्कि भारत की साझा संस्कृति का स्मरण भी था। यह बयान सम्मेलन में उपस्थित हर व्यक्ति के दिल को छू गया और भाईचारे की भावना को मजबूत किया।

अजमेर शरीफ दरगाह के चेयरमैन ख्वाजा नसरुद्दीन चिश्ती का वक्तव्य इस सम्मेलन का आध्यात्मिक चरम था। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे न्यायप्रिय देश है, जहां हर नागरिक को बराबरी का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रयास समाज में भरोसा और सद्भाव बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उनका यह कथन कि “भारत की मिट्टी में मोहब्बत और इंसाफ की खुशबू है, इसे हमें और फैलाना है” पूरे सम्मेलन के वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।

NCMEI के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शाहिद अख्तर ने दूरदर्शी सोच रखते हुए स्पष्ट किया कि मुसलमानों को अब दर्शक नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण के साझेदार बनना होगा। उन्होंने स्किल डेवलपमेंट सेंटर, सुलह केंद्र, छात्रवृत्ति और करियर गाइडेंस जैसी योजनाओं की घोषणा की, जिससे मुस्लिम समाज के युवाओं को मुख्यधारा में लाया जा सके। उनका “I Love Mohammad” वाला संदेश, जो मोहब्बत, इल्म और इंसाफ को इस्लाम की असली बुनियाद बताता है, सम्मेलन की सबसे प्रेरणादायक बात बन गई।

महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. शालिनी अली का भाषण मुस्लिम महिलाओं के लिए एक नई दिशा लेकर आया। उन्होंने कहा कि अब मुस्लिम महिलाएं केवल लाभार्थी नहीं बल्कि नेतृत्वकर्ता बनेंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि तीन तलाक के बाद मुस्लिम समाज में आई नई चेतना को और आगे बढ़ाना होगा और महिलाओं को शिक्षा, कौशल विकास और आर्थिक स्वतंत्रता के माध्यम से सशक्त बनाना होगा। उनका यह संदेश कि महिला सशक्तिकरण आधुनिक भारत की अनिवार्य शर्त है, सम्मेलन का निर्णायक मोड़ बन गया।

राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफज़ल ने संगठन की यात्रा को याद करते हुए भावुकता से कहा कि यह मंच दो कमरों से शुरू हुआ था और आज यह देश के सबसे बड़े सामाजिक आंदोलनों में से एक बन चुका है। उनका विश्वास कि यह आंदोलन लाखों कार्यकर्ताओं को जोड़कर राष्ट्रीय शक्ति बनेगा, हर व्यक्ति में नई ऊर्जा भर गया।

महासम्मेलन में पारित संकल्प आने वाले समय की दिशा स्पष्ट कर गए। यह तय किया गया कि शिक्षा, रोजगार, महिला सशक्तिकरण, नशामुक्ति, वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण और तिरंगा यात्राओं के माध्यम से राष्ट्रीय एकता के अभियान को तेज़ किया जाएगा। यह सम्मेलन केवल राजनीतिक आयोजन नहीं था बल्कि भारत के मुसलमानों के लिए आत्मसम्मान और सक्रिय नेतृत्व की पुकार थी।

यह स्पष्ट है कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच अब केवल सुधार की बात नहीं करता बल्कि जमीनी बदलाव के लिए ठोस योजनाओं और कार्यनीतियों के साथ काम कर रहा है। तालकटोरा स्टेडियम की यह गूंज आने वाले वर्षों में भारत के कोने-कोने तक पहुंचेगी और यह साबित करेगी कि भारतीय मुसलमान अब देश के विकास में पिछलग्गू नहीं बल्कि सबसे आगे खड़े नेतृत्वकर्ता हैं।

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