नई दिल्ली
29 जुलाई 2025
आजकल की तेज़ रफ्तार और भागदौड़ भरी ज़िंदगी से ऊबकर शहरी युवा अब ‘स्लो लाइफस्टाइल’ की ओर आकर्षित हो रहे हैं। महानगरों के तनाव, लगातार बढ़ते स्क्रीन टाइम और डिजिटल थकान के बीच अब लोग ऐसी जीवनशैली की ओर लौट रहे हैं जिसमें कम तनाव, ज्यादा प्राकृतिकता और मानसिक संतुलन हो।
हाल ही में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और पुणे में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई कि 67% युवा सप्ताह में कम से कम एक दिन “डिजिटल डिटॉक्स” करना चाहते हैं यानी मोबाइल, लैपटॉप और सोशल मीडिया से दूरी बनाकर सिर्फ अपने मन, शरीर और परिवार पर ध्यान देना चाहते हैं। वहीं 52% युवा गांवों, पर्वतीय इलाकों या ‘वर्क फ्रॉम फार्म’ जैसे विकल्पों को अपनाने लगे हैं ताकि वो प्रकृति के करीब रहकर जीवन जी सकें।
‘स्लो लाइफ’ का चलन केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है। अब लोग ‘माइंडफुल ईटिंग’, ‘होम कुक्ड फूड’, और ‘सुबह जल्दी उठना-संझा समय बिताना’ जैसी आदतों को फिर से अपनाने लगे हैं। इसके अलावा योग, मेडिटेशन और किताबें पढ़ना एक बार फिर शहरी युवाओं के लिए ‘ट्रेंड’ बनते जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव न केवल एक अस्थायी फैशन है, बल्कि यह आने वाले समय में मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने की दिशा में एक स्थायी आंदोलन का रूप ले सकता है।