राजस्थान में रेगिस्तानीकरण की प्रक्रिया तेजी से बढ़ रही है। बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर जैसे जिलों में हर साल लगभग 200 वर्ग किलोमीटर भूमि रेत से ढक रही है और कृषि के अयोग्य बन रही है। भारतीय भूगर्भ संस्थान की ताजा रिपोर्ट बताती है कि भूमिगत जल स्तर में भारी गिरावट, वनस्पति की कमी, और बढ़ता तापमान इस संकट के मुख्य कारण हैं।
स्थानीय किसान और चरवाहे इस स्थिति से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। जहां पहले एक परिवार 5 से 6 बीघा ज़मीन पर बाजरा, गेहूं और चारा उगाता था, अब वह ज़मीन बंजर होती जा रही है। पशुओं के लिए चारे की कमी, और परिवारों के लिए जल संकट ने मजबूरन पलायन को जन्म दिया है। कई गांवों से लोग अब शहरी झुग्गियों की ओर जा रहे हैं।
राज्य सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए ‘रेगिस्तान हरित मिशन’ नामक परियोजना शुरू की है जिसमें ड्रिप सिंचाई, सूखा प्रतिरोधी पौधों का रोपण, और वर्षा जल संग्रहण को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि इन योजनाओं का असर बहुत सीमित क्षेत्रों तक ही पहुँच पाया है। स्थायी समाधान के लिए वन क्षेत्रों को पुनर्जीवित करना और पारंपरिक जल संरक्षण तकनीकों को अपनाना जरूरी है।