नई दिल्ली/ पटना 9 अक्टूबर 2025
बिहार की राजनीति में इस समय सबसे कड़वा और असहज सवाल हर गली-मोहल्ले में ज़ोर-शोर से गूँज रहा है — “क्या बिहार में डिग्री और परीक्षा का कोई वास्तविक मूल्य बचा है?” कांग्रेस पार्टी ने भाजपा और जदयू की संयुक्त डबल इंजन सरकार पर बेहद सीधा और करारा हमला बोला है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि राज्य की पूरी शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से माफियाओं और बिचौलियों के क़ब्ज़े में छोड़ दिया गया है। कांग्रेस का साफ़ कहना है कि आज बिहार में एक तरफ़ “फर्जी डिग्री रैकेट” चल रहा है, तो दूसरी तरफ़ “पेपर लीक सिंडिकेट” सक्रिय है, और ये दोनों मिलकर राज्य के लाखों युवाओं के भविष्य को नीलाम कर रहे हैं।
पार्टी ने दृढ़ता से दावा किया है कि यह सारा गोरखधंधा “डबल इंजन सरकार” के संरक्षण में फल-फूल रहा है, जहाँ एक इंजन (केंद्र) से आदेश और अनदेखी होती है और दूसरा इंजन (राज्य) से कमीशन वसूलने का काम होता है। कांग्रेस ने अपनी जाँच रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि बीए से लेकर मेडिकल, फार्मेसी, नर्सिंग और एलएलबी तक की सभी तरह की डिग्रियाँ एक तय रेट पर बिक रही हैं — जैसे बीए ₹70,000 से ₹1 लाख, बीएड ₹2 लाख तक, एलएलबी ₹3.5 लाख, और नर्सिंग व जीएनएम जैसी ज़रूरी डिग्रियाँ तक ₹4 लाख में तैयार की जा रही हैं। यहाँ तक कि BAMS और पैरा-मेडिकल डिप्लोमा जैसी गंभीर कोर्सों की कीमत ₹25 लाख तक बताई जा रही है।
कांग्रेस का आरोप है कि यह सब प्रशासनिक मिलीभगत और बड़े राजनीतिक संरक्षण के बिना संभव हो ही नहीं सकता था। पार्टी प्रवक्ताओं ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि “यह कोई मामूली घोटाला नहीं है, यह बिहार की आने वाली पीढ़ी की सामूहिक हत्या है।” उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार की सरकार ने शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र को एक व्यवसाय और युवाओं के भविष्य को नीलामी का विषय बना दिया है।
कांग्रेस ने अब सरकार को शिक्षा घोटाले के “डबल इंजन” के रूप में पेश किया है — जहाँ एक इंजन फर्जी डिग्रियों के कारोबार को चला रहा है, वहीं दूसरा इंजन लगातार हो रहे पेपर लीक की घटनाओं को अंजाम दे रहा है। पार्टी ने स्पष्ट किया कि बीपीएससी (BPSC), एसएससी, टीईटी, नर्सिंग भर्ती और पुलिस दरोगा परीक्षा जैसी राज्य की सभी महत्वपूर्ण परीक्षाएँ बार-बार लीक हो रही हैं, और सरकार केवल “मूकदर्शक” बनी हुई है। कांग्रेस का मानना है कि ये सभी घटनाएँ कोई अलग-अलग दुर्घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि यह एक “संगठित अपराध” है, जिसमें परीक्षा बोर्डों, शिक्षा विभाग और कुछ बड़े राजनीतिक चेहरों का सीधा गठजोड़ शामिल है।
बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा और दरोगा परीक्षा के पेपर लीक होने के बाद लाखों मेहनती छात्रों का भविष्य अनिश्चितता के अंधेरे में लटक गया, मगर आज तक किसी भी मंत्री या शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी पर कोई सख़्त कार्रवाई नहीं हुई है। कांग्रेस ने सीधे कहा कि “यह सिस्टम अब इतना ज़्यादा सड़ चुका है कि यहाँ छात्रों के ज्ञान की नहीं, बल्कि ‘पेपर डीलिंग’ की प्रक्रिया चल रही है।” कांग्रेस नेताओं ने अत्यंत तीखा और भावनात्मक सवाल किया कि “जिस राज्य ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जे.पी. नारायण जैसे महान शिक्षाविद् और विचारक इस देश को दिए, उसी राज्य में अब डिग्रियाँ खुलेआम बिक रही हैं और हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है। यह मात्र विडंबना नहीं है, यह एक बहुत बड़ा और अक्षम्य अपराध है।”
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों पर एक साथ निशाना साधते हुए ज़ोर देकर कहा कि यह सरकार “डबल इंजन नहीं, बल्कि डबल घोटाला सरकार” है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा और जेडीयू के शासनकाल में शिक्षा पूरी तरह से ‘मनी मशीन’ बन चुकी है — एक तरफ़ फर्जी कॉलेजों के ज़रिए डिग्रियाँ बेची जा रही हैं, तो दूसरी तरफ़ बड़े कोचिंग संस्थानों के ज़रिए प्रश्नपत्रों के सौदे हो रहे हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि यह मामला सिर्फ़ प्रशासनिक लापरवाही या विफलता का नहीं है, बल्कि यह एक गहरी राजनीतिक साजिश है जिसे ईमानदार और योग्य युवाओं को जानबूझकर पीछे धकेलने और भ्रष्ट नेटवर्क को आगे बढ़ाने के लिए रचा गया है।
कांग्रेस ने इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए कड़ी मांग की है कि राज्य की सभी प्रमुख लीक हुई परीक्षाओं और सभी संदिग्ध कॉलेजों की डिग्री जारी करने की पूरी प्रक्रिया की CBI जाँच कराई जाए, और इस रैकेट में शामिल सभी अधिकारियों, यूनिवर्सिटी क्लर्कों और राजनीतिक नेताओं की संपत्ति तुरंत ज़ब्त की जाए। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इन मांगों पर कार्रवाई नहीं की, तो कांग्रेस “शिक्षा बचाओ, भविष्य बचाओ” आंदोलन के तहत सड़कों पर उतरकर बिहार की जनता के साथ मिलकर एक बड़ा और निर्णायक संघर्ष शुरू करेगी।