नई दिल्ली / न्यूयॉर्क, 1 जुलाई 2025 – भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अमेरिका के प्रतिष्ठित न्यूज़वीक मैगज़ीन को दिए साक्षात्कार में पाकिस्तान और आतंकवाद पर भारत की नीति को लेकर एक बेहद स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने न केवल पाकिस्तानी आतंकवादी नेटवर्क को बेनकाब किया, बल्कि यह भी कहा कि अब भारत आतंक और उसके प्रायोजकों में कोई अंतर नहीं मानता। यह बयान उस वक्त आया है जब देश अभी भी 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की त्रासदी से उबरने की कोशिश कर रहा है, जिसमें 27 मासूम पर्यटकों की जान गई थी।
जयशंकर ने इस हमले को केवल आतंकी हमला नहीं, बल्कि “आर्थिक युद्ध” बताया। उनका कहना है कि “इस हमले का मकसद कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को तबाह करना था। इस हमले ने न केवल जानें लीं, बल्कि देश के भीतर धार्मिक उन्माद भड़काने की साजिश भी की गई – क्योंकि आतंकियों ने पीड़ितों से धर्म पूछकर उन्हें निशाना बनाया।” उन्होंने दो टूक कहा कि भारत अब आतंकी संगठनों के साथ–साथ उन्हें पनाह देने वाले देशों पर भी कार्रवाई करेगा।
ऑपरेशन ‘सिंदूर‘ और सीमापार कार्रवाई का स्पष्ट संकेत
डॉ. जयशंकर ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान के कई शहरों में आतंकवादियों के ठिकानों को वायुसेना के माध्यम से निशाना बनाया। “हम अब यह सिद्धांत नहीं मानते कि सीमा के उस पार होने से कोई सजा से बच जाएगा। अगर पाकिस्तान के शहरों में आतंकियों के हेडक्वार्टर हैं और सरकारें उन्हें पालती हैं, तो भारत चुप नहीं बैठेगा।” उन्होंने कहा कि भारत ने जिस इमारतों को तबाह किया, वे कोई गुमनाम ठिकाने नहीं, बल्कि खुलेआम पहचाने जाने वाले आतंकी हेडक्वार्टर थे।
”न्यूक्लियर ब्लैकमेल” अब नहीं चलेगा: भारत तैयार है हर मोर्चे पर
जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की पारंपरिक “न्यूक्लियर ब्लैकमेल” रणनीति अब भारत को रोक नहीं सकती। उन्होंने कहा, “हम वर्षों से सुनते आए हैं कि हम दोनों परमाणु शक्ति संपन्न हैं, इसलिए भारत को संयम रखना चाहिए। लेकिन अब हम इस तर्क को नहीं मानते। अगर कोई देश हमारे नागरिकों की जान लेता है, तो जवाब जरूर मिलेगा – चाहे वो किसी भी स्तर का हो।”
भारत की वैश्विक भूमिका और कूटनीतिक संतुलन
जयशंकर ने भारत की विदेश नीति को “पुल की भूमिका” बताते हुए कहा कि भारत आज रूस और यूक्रेन, इजराइल और ईरान, ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ – सभी के साथ संवाद में सक्षम है। उन्होंने कहा, “भारत की ताकत केवल जनसंख्या में नहीं है, बल्कि हमारा लोकतांत्रिक, विविधतापूर्ण और प्रतिभाशाली समाज भी हमें विशिष्ट बनाता है। आज की एआई आधारित दुनिया में भारत एक महत्वपूर्ण शक्ति है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ग्लोबल साउथ की आवाज है, लेकिन पश्चिम–विरोधी नहीं है। “हम G7 में शामिल होते हैं, क्वाड का हिस्सा हैं, ब्रिक्स में भाग लेते हैं – यह हमारी रणनीतिक संतुलनकारी भूमिका को दर्शाता है।”
भारत–अमेरिका संबंध: हर राष्ट्रपति के साथ मजबूत
साक्षात्कार के दौरान जयशंकर ने अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “पिछले पांच अमेरिकी राष्ट्रपति – क्लिंटन, बुश, ओबामा, ट्रंप, बाइडन – सबके कार्यकाल में भारत–अमेरिका संबंध और बेहतर हुए हैं। चाहे किसी समय में मतभेद रहे हों, लेकिन तकनीक, शिक्षा, सुरक्षा, मानव संसाधन, ऊर्जा – हर क्षेत्र में हमारी साझेदारी गहरी हुई है।”
वर्तमान में चल रही व्यापार वार्ता पर उन्होंने कहा कि “हम अंतिम चरणों में हैं और मुझे उम्मीद है कि सौदा जल्द पूरा होगा। हालांकि इसमें एक और पक्ष है, लेकिन हम बीच का रास्ता निकालने को तत्पर हैं।”
’आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस‘: भारत का अंतरराष्ट्रीय संदेश
डॉ. जयशंकर का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह था कि दुनिया को यह स्पष्ट करना होगा कि आतंकवाद किसी भी हाल में जायज़ नहीं है। उन्होंने कहा, “दुनिया को यह स्वीकार करना होगा कि कोई भी आतंकवादी घटना, संगठन या प्रायोजक स्वीकार्य नहीं हो सकते। ज़ीरो टॉलरेंस ही एकमात्र रास्ता है।”
भारत अब ‘सॉफ्ट टारगेट‘ नहीं रहा
डॉ. एस. जयशंकर का यह साक्षात्कार भारत की नई, दृढ़ और निर्णायक विदेश नीति का परिचायक है – जो सांकेतिक निंदा से आगे जाकर ठोस कार्रवाई में विश्वास रखती है। चाहे वो पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद हो, या ग्लोबल मंच पर भारत की सक्रिय भूमिका, आज का भारत स्पष्ट कह रहा है, “अब बहुत हो गया। हर गोली का जवाब ज़रूर मिलेगा।“