चुनावी सिस्टम पर सीधा हमला
बिहार की राजनीति में रविवार को जबरदस्त हलचल मच गई, जब आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग और बिहार सरकार पर एक साथ तीखा वार किया। तेजस्वी ने दावा किया कि राज्य में करीब 3 लाख घर ऐसे हैं, जिनका घर नंबर 000, 00 या 000/00 है — मानो ये पते धरती पर नहीं, बल्कि किसी ‘राजनीतिक पाताललोक’ में दर्ज हों। उनका आरोप है कि ये फर्जी पते बनाकर भाजपा को चुनावी फायदा पहुंचाने की गहरी साजिश रची गई है।
डिप्टी सीएम पर सीधा आरोप
तेजस्वी ने इस ‘फर्जीवाड़ा’ का सबसे बड़ा उदाहरण बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा को बताया। उन्होंने कहा, “विजय सिन्हा के पास दो अलग-अलग EPIC नंबर हैं, और वो भी दो विधानसभा क्षेत्रों में। एक मतदाता सूची में उनकी उम्र 57 साल है, जबकि दूसरी में 60। ये कोई मजाक नहीं, बल्कि सीधा चुनावी धोखा है।”
चुनाव आयोग पर भी वार
तेजस्वी ने कहा, “ये मजाक चल रहा है क्या? आप लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए हैं, निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हैं। अगर विपक्ष कोई सवाल उठा रहा है, कोई शिकायत कर रहा है, या कोई सुझाव दे रहा है, तो उसे नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है? आपने फैसला ले लिया, लेकिन कम से कम प्रक्रिया को सरल तो बनाइए। राहुल गांधी ने भी इसके कई सबूत दिए हैं। अब बिहार में नया तरीका अपनाया जा रहा है, लेकिन ये नहीं चलेगा।”
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, “देखेंगे कि विजय सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई होती है या नहीं। अगर विजय सिन्हा दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें इस्तीफा देना चाहिए और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। अगर चुनाव आयोग दोषी पाया जाता है, तो चुनाव आयुक्त खुद आकर SIR वापस लें और माफी मांगें।”
राजनीतिक भूचाल
इस आरोप के बाद बिहार की सियासत में उबाल आ गया है। विपक्ष इसे ‘चुनावी भ्रष्टाचार का खुला सबूत’ बता रहा है, जबकि सत्ता पक्ष अभी तक सीधी सफाई देने से बच रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर तेजस्वी के आरोप सही साबित हुए, तो यह मामला सिर्फ एक नेता का नहीं, बल्कि पूरे चुनावी तंत्र की साख पर गहरा सवाल खड़ा करेगा।