नई दिल्ली
21 जुलाई 2025
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक टैरिफ समझौते को लेकर अनिश्चितता अभी भी कायम है। 1 अगस्त की ‘हार्ड डेडलाइन’ तेजी से नजदीक आ रही है, लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत अभी संवेदनशील क्षेत्रों — खासतौर पर कृषि और ऑटोमोबाइल्स — को लेकर गतिरोध में फंसी हुई है।
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका की ओर से दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय टीम अगस्त के मध्य में भारत दौरे पर आएगी। यह दौरा अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक द्वारा घोषित 1 अगस्त की डेडलाइन के बाद होगा, जिससे यह आशंका और बढ़ गई है कि भारत को 26% तक की पारस्परिक टैरिफ दरों का सामना करना पड़ सकता है।
पिछले सप्ताह वॉशिंगटन में हुई बातचीत के बाद, दोनों देशों ने कई उत्पाद श्रेणियों (टैरिफ लाइंस) पर सहमति बना ली है। लेकिन ‘मार्केट एक्सेस’ को लेकर जो बातचीत चल रही है, वह इस समय केवल गुड्स (वस्तुओं) तक सीमित है — जबकि सेवाओं, डिजिटल व्यापार और निवेश जैसे अहम विषय अभी चर्चा से बाहर हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि और ऑटो सेक्टर भारत के लिए रोज़गार के प्रमुख स्तंभ हैं और इन पर किसी भी तरह की रियायत या अमेरिकी दबाव से घरेलू बाजार और किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। भारत फिलहाल संतुलन बनाकर चल रहा है ताकि अमेरिकी दबाव के बीच आत्मनिर्भरता और रोजगार हितों की रक्षा की जा सके।
1 अगस्त की समयसीमा को लेकर अमेरिकी पक्ष काफी सख्त है। यदि कोई अंतिम सहमति नहीं बनती, तो यह भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव का कारण बन सकता है, खासकर ऐसे समय में जब दोनों देश रणनीतिक साझेदारी और रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत अमेरिका के साथ व्यापक लेकिन न्यायपूर्ण समझौते की इच्छा रखता है, जिसमें दोनों देशों की घरेलू चिंताओं का संतुलित समाधान हो। निगाहें हैं मध्य अगस्त की वार्ता पर, जहाँ यह तय होगा कि भारत को अमेरिकी टैरिफ का झटका लगेगा या फिर कोई टिकाऊ समाधान सामने आएगा।