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सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला: इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल पर रोक लगाने से इनकार

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नई दिल्ली 1 सितंबर 2025

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए सरकार की उस नीति को बरकरार रखा है, जिसके तहत देशभर में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) लागू किया जा रहा है। एक जनहित याचिका में यह मांग की गई थी कि उपभोक्ताओं को ईंधन चुनने का विकल्प दिया जाए और इथेनॉल-फ्री पेट्रोल भी उपलब्ध कराया जाए। अदालत ने इस याचिका को खारिज करते हुए साफ किया कि सरकार ने यह नीति व्यापक अध्ययन और किसानों, उपभोक्ताओं तथा पर्यावरण के हितों को देखते हुए लागू की है। अदालत का कहना था कि ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ईंधन की दिशा में यह कदम दूरगामी प्रभाव डालने वाला है।

किसानों और पर्यावरण के लिए बड़ा लाभ

सरकार ने अदालत को यह दलील दी कि E20 लागू करने का सबसे बड़ा फायदा किसानों को मिल रहा है। गन्ना किसानों से खरीदे गए शीरे (molasses) से इथेनॉल तैयार किया जाता है, जिससे उनकी आय बढ़ती है और उन्हें बाजार पर निर्भरता से राहत मिलती है। साथ ही, यह कदम आयातित कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता को घटाता है। पर्यावरण के लिहाज से भी यह नीति महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इथेनॉल मिश्रण से पेट्रोल के मुकाबले कम कार्बन उत्सर्जन होता है, जिससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी और बड़े शहरों में वायु गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी।

उपभोक्ताओं की चिंताओं को लेकर कोर्ट का निर्देश

हालांकि, इस नीति को लेकर कई उपभोक्ताओं और वाहन मालिकों ने चिंताएं जाहिर की थीं। उनका कहना था कि पुराने वाहनों में यह ईंधन नुकसान पहुंचा सकता है और माइलेज पर भी असर डाल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार को निर्देश दिया कि पेट्रोल पंपों पर स्पष्ट लेबलिंग की जाए और उपभोक्ताओं को यह जानकारी दी जाए कि कौन सा वाहन E20 के लिए उपयुक्त है। अदालत ने यह भी कहा कि जागरूकता बढ़ाना जरूरी है, ताकि उपभोक्ता भ्रमित न हों और किसी तरह की ग़लत जानकारी से नुकसान न उठाएं।

ऑटोमोबाइल कंपनियों का पक्ष और वास्तविकता

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने अदालत को जानकारी दी कि E20 का उपयोग सुरक्षित है और इससे वाहनों की कार्यप्रणाली पर कोई बड़ा खतरा नहीं है। हालांकि, उन्होंने माना कि इस ईंधन से 2 से 4 प्रतिशत तक माइलेज में कमी आ सकती है। इसके बावजूद, उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि अगर उपभोक्ताओं को किसी तरह का नुकसान होता है, तो कंपनियां वॉरंटी और बीमा क्लेम्स के जरिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी। इसका मतलब है कि तकनीकी दृष्टि से यह ईंधन सुरक्षित है और भविष्य में वाहन तकनीक को और उन्नत किया जाएगा, ताकि उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो।

ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक कदम

अदालत के इस फैसले के बाद अब भारत का E20 अभियान और तेज़ी से आगे बढ़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल एक ऊर्जा नीति नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ठोस पहल है। इथेनॉल मिश्रण से जहां पेट्रोल आयात पर खर्च कम होगा, वहीं किसानों को स्थायी आय का स्रोत मिलेगा। पर्यावरण को होने वाले लाभ को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस फैसले के साथ भारत ने साफ कर दिया है कि भविष्य में उसकी प्राथमिकता हरित ऊर्जा और टिकाऊ विकास होगी।

 

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