15 जनवरी 2025 को विश्व के सबसे प्रतिष्ठित नीति एवं निवेश मंच WEF 2025 (World Economic Forum) की शुरुआत स्विट्ज़रलैंड के दावोस में हुई, और यह पांच दिवसीय आयोजन 19 जनवरी तक चला। इस वर्ष भारत की मौजूदगी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही, परंतु सबसे प्रभावशाली और चौंकाने वाली बात यह रही कि आंध्र प्रदेश ने पहली बार तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों के साथ मिलकर एक संयुक्त “रीजनल इन्वेस्टमेंट ब्लॉक” के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज की। इस पहल ने भारत के भीतर क्षेत्रीय सहयोग की एक नई मिसाल पेश की और विश्व निवेश समुदाय को दिखाया कि भारत अब केवल राष्ट्रीय रणनीति पर नहीं, बल्कि राज्य-स्तरीय नवाचार और साझेदारी की शक्ति पर भी जोर दे रहा है।
आंध्र प्रदेश की ओर से WEF में भेजे गए उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्य की आर्थिक नीतियों, औद्योगिक अवसरों और मानव संसाधन की गुणवत्ता को विशेष रूप से प्रदर्शित किया। राज्य सरकार ने अपनी “औद्योगिक नीति 2023–2030” की रूपरेखा के अंतर्गत पारदर्शी प्रशासन, सिंगल-विंडो क्लियरेंस, भूमि और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं की आसान उपलब्धता को रेखांकित किया। राज्य के मुख्य सचिव और उद्योग मंत्री ने मंच से वैश्विक निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा, “आंध्र प्रदेश निवेश के लिए केवल भूमि नहीं, बल्कि एक विचारशील भविष्य की गारंटी देता है — जो टिकाऊ, अभिनव और समावेशी विकास की ओर अग्रसर है।“
प्रदर्शनी के दौरान विशाखापत्तनम, अमरावती और श्री सिटी जैसे औद्योगिक केंद्रों को भविष्य के निवेश हॉटस्पॉट्स के रूप में प्रस्तुत किया गया। फार्मास्युटिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, ग्रीन हाइड्रोजन और लॉजिस्टिक्स सेक्टरों पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया। वहीं शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में आंध्र ने अपने छात्रों और युवा कार्यबल को “टैलेंट पूल ऑफ द ईस्ट कोस्ट” के रूप में प्रचारित किया, जिसे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने काफी सराहा।
तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना के प्रतिनिधियों ने भी एक मजबूत सह-विचारशील मंच प्रस्तुत किया, जिसमें दक्षिण भारत को “Southern Growth Corridor” या “भारत का संयुक्त निवेश-क्षेत्र” बताया गया। इस क्षेत्रीय एकजुटता ने निवेशकों को एक बड़ा, एकसमान, और व्यवस्थित इकोसिस्टम पेश किया—जहाँ नीतिगत स्थिरता, राजनीतिक अपेक्षाकृत शांति, तकनीकी दक्षता और श्रमिक उत्पादकता का अद्भुत संगम मौजूद है। तमिलनाडु ने अपने ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स हब को प्रस्तुत किया; तेलंगाना ने हैदराबाद को इनोवेशन हब के रूप में सामने रखा; और केरल ने पर्यटन और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में संभावनाएं पेश कीं।
18 जनवरी को आंध्र प्रदेश सरकार ने घोषणा की कि राज्य ने कुल ₹18,000 करोड़ के छह अंतरराष्ट्रीय समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से तीन ग्रीन एनर्जी और टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़े हैं। इनमें एक संयुक्त उद्यम जापान की रेन्यूएबल फर्म से, दूसरा फ्रांस की एक सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन कंपनी से, और तीसरा जर्मनी की ऑटोमोबाइल कंपोनेंट निर्माता से है। इसके अलावा, UK India Business Council और US-India Strategic Forum के साथ हुई वार्ताओं में विशाखापत्तनम को फ्यूचर पोर्ट सिटी के रूप में विकसित करने और डिजिटल स्किलिंग प्रोग्राम पर काम करने के लिए संयुक्त योजना पर विचार हुआ।
19 जनवरी को समापन सत्र में, भारत मंडप के सामने हुए संवाद में, आंध्र प्रदेश को “नए भारत की आर्थिक प्रयोगशाला” कहा गया। यह विशेषण दर्शाता है कि कैसे राज्य स्तर पर लिए गए दीर्घदर्शी निर्णय, वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को सशक्त बना सकते हैं। दावोस में हुई यह भागीदारी यह भी दिखाती है कि भविष्य में वैश्विक निवेश की दौड़ में केवल दिल्ली-मुंबई जैसे पुराने औद्योगिक केंद्र ही नहीं, बल्कि “विजनरी स्टेट्स” जैसे आंध्र भी अहम किरदार निभा सकते हैं।
जनवरी 2025 के इस सप्ताह ने एक बात पूरी तरह स्पष्ट कर दी—भारत का आर्थिक भविष्य अब केवल केंद्रीय योजनाओं से नहीं, बल्कि राज्यों की दूरदर्शिता, सहयोग और वैश्विक मंचों पर उनके आत्मविश्वास से आकार लेगा। आंध्र प्रदेश की यह उपस्थिति इस ओर पहला निर्णायक कदम थी।