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सोनिया गांधी : पूर्वाग्रह से ग्रस्त व्यवस्था ने एक और ईमानदार अधिकारी को निगल लिया

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कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी श्री वाई. पूरन कुमार की दुखद और स्तब्ध कर देने वाली मौत के बाद, उनकी पत्नी अमनीत पी. कुमार को एक अत्यंत भावुक और मार्मिक पत्र लिखकर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है। यह पत्र न केवल एक शोक संदेश है, बल्कि यह एक ईमानदार अधिकारी के उत्पीड़न और अंततः उसकी दुखद समाप्ति के पीछे काम करने वाली पूर्वाग्रह से ग्रस्त प्रशासनिक व्यवस्था पर एक तीखा प्रहार भी है।

सोनिया गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि, “आपके पति व वरिष्ठ IPS अधिकारी श्री वाई पूरन कुमार की एक दुखदाई हादसे में देहांत की खबर स्तब्ध करने वाली भी है और मन को व्यथित करने वाली भी। अपार मुश्किल की इस घड़ी में मेरी ओर से आपको व पूरे परिवार को हार्दिक संवेदनाएं।” उनका यह संदेश यह स्पष्ट करता है कि पूरन कुमार की मृत्यु की खबर ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से व्यथित किया है और इस कठिन समय में वह दिवंगत अधिकारी के परिवार के साथ पूरी मानवीय संवेदना के साथ खड़ी हैं।

व्यवस्था के दर्दनाक सच पर प्रहार — “हुक्मरानों का पक्षपातपूर्ण रवैया”

अपने संवेदना संदेश में, सोनिया गांधी ने व्यवस्था के उस दर्दनाक और कड़वे सच को उजागर करने में कोई संकोच नहीं किया, जिसके कारण पूरन कुमार जैसे एक निर्भीक और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी को अपनी जान गँवानी पड़ी। उन्होंने सीधे तौर पर हुक्मरानों के रवैये पर सवाल खड़े किए हैं। सोनिया गांधी ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा कि, “श्री वाई पूरन कुमार का देहावसान हमें याद दिलाता रहेगा कि आज भी हुक्मरानों का पूर्वाग्रह से ग्रस्त पक्षपातपूर्ण रवैया बड़े से बड़े अधिकारी को भी सामाजिक न्याय की कसौटी से वंचित रखता है।”

यह टिप्पणी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पूरन कुमार की मौत को केवल एक हादसा नहीं मानती, बल्कि इसे सत्ताधारी तंत्र के पक्षपातपूर्ण रवैये और सामाजिक न्याय से वंचित रखने की व्यवस्थागत विफलता का परिणाम मानती है। यह पत्र यह बताता है कि कैसे अपने कर्तव्य और ईमानदारी के रास्ते पर चलने वाले अधिकारियों को भी कभी-कभी शक्तिशाली अन्याय और दबाव का सामना करना पड़ता है, जो उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ देता है। सोनिया गांधी ने पुरजोर शब्दों में यह आश्वासन भी दिया कि “न्याय की इस डगर पर मैं और करोड़ों देशवासी आपके साथ खड़े हैं,” जिससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस इस मामले को न्याय दिलाने की लड़ाई के रूप में देखती है।

राष्ट्रव्यापी वेदना और न्याय की पुकार — “अगर अफसर को न्याय नहीं, तो आम आदमी किससे उम्मीद रखे?”

सोनिया गांधी का यह पत्र केवल एक मानवीय वेदना नहीं है, बल्कि यह देशव्यापी शोक और न्याय की पुकार को भी आवाज़ देता है। उन्होंने अपने पत्र के अंत में लिखा, “मैं कामना करती हूं कि इस कठिन परिस्थिति में ईश्वर आपको धैर्य, साहस व संबल प्रदान करें,” लेकिन इस औपचारिक संवेदना के साथ ही, यह चिट्ठी एक व्यवस्था पर तीखा प्रहार भी है। पूरन कुमार की दुखद मौत ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर यह ज्वलंत सवाल खड़ा कर दिया है कि, “अगर इतने ऊँचे पद पर बैठे एक ईमानदार अफसर को न्याय नहीं मिल सकता, तो आम आदमी किससे उम्मीद रखे?”

देश भर में इस घटना पर गहरा शोक व्याप्त है, और सोनिया गांधी का यह मार्मिक पत्र, जो एक ओर एक मानवीय वेदना है और दूसरी ओर एक प्रशासनिक अन्याय के ख़िलाफ़ न्याय की पुकार है, अब राष्ट्रीय राजनीति में गूंज रहा है। यह पत्र, कांग्रेस पार्टी के सर्वोच्च नेतृत्व की ओर से व्यवस्थागत उत्पीड़न के ख़िलाफ़ एक गंभीर हस्तक्षेप को चिह्नित करता है और मांग करता है कि पूरन कुमार की मौत के कारणों की निष्पक्ष और कठोर जांच होनीचाहिए।

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