जोधपुर 8 अक्टूबर 2025
लद्दाख के पर्यावरण योद्धा और सामाजिक सुधारक सोनम वांगचुक भले ही आज जेल की दीवारों में बंद हैं, लेकिन उनका हौसला अब भी आसमान छू रहा है। जोधपुर जेल में बंद वांगचुक से उनकी पत्नी गीतांजलि अंग्मो की यह पहली मुलाकात थी, और बाहर निकलते ही उन्होंने कहा — “उनका हौसला अटूट है, वे अंदर भी पहाड़ों की तरह अडिग हैं।” यह मुलाकात केवल एक परिवार की भावनात्मक घड़ी नहीं थी, बल्कि एक आंदोलन और एक विचार के जिंदा होने का प्रतीक भी थी।
जेल परिसर से बाहर निकलते हुए गीतांजलि अंग्मो ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने वांगचुक को बेहद मजबूत हालत में देखा। “उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। वे पहले की तरह ही शांत, संयमित और दृढ़ थे। उन्होंने कहा कि जेल उनकी आत्मा को नहीं, बल्कि अन्याय को उजागर करने का स्थान है।”
गीतांजलि ने बताया कि वांगचुक ने जेल के भीतर भी स्वाभाविक अनुशासन और ध्यान की दिनचर्या बनाए रखी है। वे सुबह जल्दी उठते हैं, ध्यान करते हैं, और साथी बंदियों के साथ पर्यावरण व शिक्षा पर चर्चा करते हैं। “उन्होंने कहा कि ये दीवारें उन्हें रोक नहीं सकतीं, क्योंकि उनका मिशन किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि ‘प्रकृति, संविधान और न्याय के लिए’ है।”
लद्दाख में पर्यावरण और शिक्षा के लिए दशकों से लड़ रहे सोनम वांगचुक को हाल ही में प्रशासनिक आदेशों के उल्लंघन और आंदोलन जारी रखने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। यह गिरफ्तारी पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई, क्योंकि वांगचुक सिर्फ एक वैज्ञानिक या कार्यकर्ता नहीं, बल्कि ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ के हिमायती हैं — जो जलवायु न्याय, स्वशासन और हिमालयी पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं।
जेल में बंद रहते हुए भी उन्होंने reportedly एक नोट भेजा था जिसमें लिखा था, “मैं किसी से बदला नहीं चाहता, मैं सिर्फ चाहता हूं कि पहाड़ जिंदा रहें और लोग इंसान बने रहें।”
जोधपुर जेल प्रशासन के अनुसार, सोनम वांगचुक की सेहत पूरी तरह ठीक है। वे जेल के भीतर शांति और अनुशासन बनाए हुए हैं। हालांकि उनके वकील का कहना है कि वे “बेहद चिंतित हैं कि उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है।”
उनके समर्थकों का कहना है कि वांगचुक को किसी अपराधी की तरह नहीं, बल्कि एक चेतना के वाहक के रूप में देखा जाना चाहिए। वे वर्षों से लद्दाख के पर्यावरण संतुलन, ग्लेशियर संरक्षण, सौर ऊर्जा और जल प्रबंधन पर काम कर रहे हैं।
लद्दाख में लोगों ने वांगचुक की गिरफ्तारी के खिलाफ “शांतिपूर्ण विरोध” जारी रखा है। स्थानीय मठों और छात्र संगठनों ने कहा कि “यह गिरफ्तारी सिर्फ सोनम की नहीं, बल्कि लद्दाख की आत्मा की गिरफ्तारी है।”
दिल्ली, जयपुर, शिलांग, गुवाहाटी, बेंगलुरु जैसे शहरों में भी “वांगचुक के समर्थन में दीप जलाओ” अभियान चलाया गया। एक छात्र ने कहा — “वो जेल में नहीं हैं, वो इतिहास के पन्नों में अपने साहस की नई इबारत लिख रहे हैं।”
गीतांजलि का संदेश: “उनके हौसले को सलाम कीजिए, डर उन्हें तोड़ नहीं सकता”। गीतांजलि अंग्मो ने मुलाकात के बाद कहा, “उन्होंने मुझे कहा — ‘घबराना मत। मैं ठीक हूं। यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं, पूरे भारत की आत्मा के लिए है।’” उन्होंने आगे जोड़ा कि सोनम अब भी पहले की तरह मुस्कुराते हैं, और उनका विश्वास अडिग है। वो कहते हैं, अगर सच्चाई के लिए जेल भी जाना पड़े, तो वह भी एक सम्मान है। उनका हौसला हिमालय से ऊंचा है, और उनका विश्वास संविधान से गहरा।