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सोनम वांगचुक की NGO का विदेशी फंडिंग लाइसेंस रद्द

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नई दिल्ली / लेह, 26 सितंबर 2025 —

गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक की संस्था Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh (SECMOL) का FCRA (विदेशी योगदान नियम अधिनियम) लाइसेंस रद्द कर दिया है। इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि में लद्दाख में हुए हिंसक प्रदर्शन और उसके बाद दर्ज किए गए आरोपों की जांच शामिल है। 

क्या कहा आदेश में

गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि SECMOL को 20 अगस्त को शो-कॉज़ नोटिस जारी किया गया था, बाद में 10 सितंबर को एक और पत्र भेजा गया था, जिसमें संस्था से कहा गया था कि वे बताएँ कि FCRA लाइसेंस रद्द क्यों न किया जाए। संगठन ने 20 सितंबर को जवाब दिया। मंत्रालय ने उस जवाब की समीक्षा की और कई वित्तीय अनियमितताएँ पाईं। 

आदेश में यह उल्लेख किया गया कि वित्तीय वर्ष 2021–22 में संगठन ने 3.5 लाख रुपये अपने FCRA खाते में जमा किए, जो अधिनियम की धारा 17 के उल्लंघन में है। SECMOL ने यह बताया कि यह राशि एक पुराने बस की बिक्री से आई थी, जो FCRA फंड से खरीदी गई थी। मंत्रालय ने इस तर्क को अस्वीकार्य माना, क्योंकि जमा राशि के प्रविष्टि खाते में प्रतिबिंबित नहीं थे। इसके अलावा, स्थानीय फंडों की राशि (54,600 रुपये) को भी गलती से FCRA खाते में जमा करने का जिक्र किया गया है। 

बैकग्राउंड: प्रदर्शन, आरोप और विरोध

यह कदम उस हिंसा की पृष्ठभूमि में लिया गया है, जिसमें लेह में राज्यhood आंदोलन के दौरान चार लोगों की मौत हुई थी। केंद्र सरकार ने कहा कि वांगचुक की “प्रोवोकटिव बयानों” ने भीड़ को उत्तेजित किया और भाजपा कार्यालय और राज्य संस्थानों पर हमला कराया। 

सोनम वांगचुक ने इस कार्रवाई को “witch hunt” कहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र उन्हें राजनीतिक रूप से निशाना बना रहा है ताकि आंदोलन को दबाया जाए। वांगचुक ने कहा कि यदि उन पर PSA लगाया गया, तो वे तैयार हैं, लेकिन उनका आयोजन शांतिपूर्वक था। 

संभावित प्रभाव और आगे की राह

इस लाइसेंस रद्दीकरण का अर्थ है कि SECMOL अब विदेशी फंड नहीं ले सकेगा। इससे संस्था की योजना, कार्यक्रम और संरचनात्मक काम प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, यह कदम नागरिक समाज, लोक शिकायतों और राज्य व्यवस्था के बीच एक गहरे सवाल खड़ा करता है — कि मध्यस्थता, अधिकार और सरकार की जवाबदेही कैसे टिकेगी।

विरोधी दलों, मानवाधिकार समूहों और विशेषज्ञों द्वारा इसे प्रेस व अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया जा रहा है। अब यह देखने का विषय है कि SECMOL कोर्ट का रुख उठाएगा या अन्य कानूनी उपाय करेगा, और सरकार इस कार्रवाई का सार्वजनिक जवाब कैसे देगी।

 

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