दुबई 12 सितम्बर 2025
पुराने नियम, नई मुश्किलें
हर साल लाखों भारतीय प्रवासी खाड़ी देशों से भारत लौटते हैं और परंपरा के तहत अपने साथ सोना लेकर आते हैं। लेकिन ड्यूटी-फ्री गोल्ड सीमा अब भी 2016 के स्तर पर अटकी हुई है—पुरुषों के लिए केवल 20 ग्राम (₹50,000 तक) और महिलाओं के लिए 40 ग्राम (₹1 लाख तक)। उस समय सोने का भाव ₹2,500 प्रति ग्राम था, जबकि आज यह ₹9,000–10,000 प्रति ग्राम के पार पहुँच चुका है। नतीजा यह है कि 5–6 ग्राम की मामूली ज्वेलरी भी सीमा पार कर जाती है और आम परिवारों को भारी-भरकम कस्टम ड्यूटी चुकानी पड़ती है।
सोने की आसमान छूती कीमतें
- 24 कैरेट: Dh 437.50 (₹10,489/ग्राम)
- 22 कैरेट: Dh 405 (₹9,710/ग्राम)
- 21 कैरेट: Dh 388.50 (₹9,314/ग्राम)
यानि पहले जहाँ महिलाओं को 40 ग्राम ड्यूटी-फ्री सोने का हक़ था, अब असल में यह घटकर महज़ 10–11 ग्राम रह गया है। यही वजह है कि हज़ारों प्रवासी भारतीय एयरपोर्ट पर अपने घरेलू गहनों के लिए अतिरिक्त टैक्स और लंबी कागज़ी कार्रवाई झेलते हैं।
भारतीय संगठनों की अपील
इंडियन एसोसिएशन शारजाह और खाड़ी के अन्य प्रवासी संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारत सरकार को खुला पत्र भेजा है। उनका कहना है, “गोल्ड लिमिट वजन-आधारित होनी चाहिए, न कि मूल्य-आधारित। सोने के दाम इतने बढ़ चुके हैं कि Genuine यात्रियों का छोटा गोल्ड भी ₹50,000 या ₹1 लाख की सीमा पार कर जाता है। इससे आम परिवार अनावश्यक टैक्स और तनाव झेल रहे हैं।”
ड्यूटी-फ्री गोल्ड नियम: जनता की तकलीफ़
- पुरुष: 20 ग्राम
- महिला: 40 ग्राम
- बच्चों के लिए कोई अलग सीमा नहीं
- सिर्फ़ ज्वेलरी मान्य, सिक्के और बार प्रतिबंधित
- अधिक सोने पर 3%, 6% और 10% तक की ड्यूटी
प्रवासी समुदाय का कहना है कि यह नियम आज की आर्थिक हकीकत से मेल नहीं खाता।
नई मांग: मार्केट लिंक्ड अलाउंस
प्रवासी भारतीय चाहते हैं कि ड्यूटी-फ्री गोल्ड सीमा को मार्केट-लिंक्ड किया जाए—यानि जैसे-जैसे सोने के भाव बदलें, वैसे-वैसे सीमा भी स्वतः अपडेट हो। इससे परिवारों को अपना निजी गहना बिना डर और ड्यूटी बोझ के भारत लाने की सुविधा मिलेगी।
भारतीय त्योहारों और शादियों में सोने की अहमियत
- भारत में सोना सिर्फ़ एक धातु नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और विश्वास का प्रतीक है। हर त्यौहार, हर शादी-ब्याह और हर धार्मिक अनुष्ठान में इसका विशेष स्थान है।
- शादियाँ: भारतीय दुल्हन के श्रृंगार में सोना अनिवार्य है। यह परिवार की प्रतिष्ठा और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।
- धनतेरस और दीवाली: सोना खरीदना शुभ और समृद्धि का सूचक समझा जाता है।
- अक्षय तृतीया: इस दिन सोने की खरीद “अक्षय पुण्य” और कभी न खत्म होने वाली बरकत का प्रतीक है।
- निवेश और सुरक्षा: भारतीय परिवारों में सोने को आर्थिक सुरक्षा का साधन और कठिन समय का संबल माना जाता है।
इसी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में प्रवासी भारतीय चाहते हैं कि उनके पारिवारिक गहनों को ड्यूटी-फ्री सीमा की पुरानी बेड़ियों से मुक्त किया जाए। ताकि जब वे अपने देश लौटें, तो अपनी परंपराओं और रिश्तों का सम्मान सहजता से निभा सकें।
क्या सरकार सुनेगी?
विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रवासियों की यह मांग जायज़ है, क्योंकि NRI न केवल अरबों डॉलर का रेमिटेंस भेजते हैं बल्कि भारत-यूएई रिश्तों की नींव भी मजबूत करते हैं। बढ़ती अपील और सामूहिक आवाज़ को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले बजट या कस्टम पॉलिसी में सरकार कोई सकारात्मक कदम उठा सकती है।
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