भोपाल 18 अक्टूबर 2025
मध्यप्रदेश के कटनी ज़िले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है — जहां एक दलित युवक को सिर्फ इसलिए बेरहमी से पीटा गया और उसके ऊपर पेशाब कर दी गई क्योंकि उसने ग्राम पंचायत कार्यालय के निर्माण में चल रहे अवैध खनन का विरोध करने की हिम्मत दिखाई।
यह घटना सिर्फ एक आदमी पर हमला नहीं, बल्कि दलित आत्मसम्मान पर खुली बर्बरता है।
देश में दलितों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों की यह एक और काली मिसाल है। चाहे राजस्थान हो, यूपी या गुजरात — हर राज्य से दलितों की चीखें उठ रही हैं, पर बीजेपी सरकार के कान बहरे हैं। कानून के राज का ढोल पीटने वाली सरकार आज जातीय हिंसा की सह-अपराधी बन चुकी है।
दलित उत्पीड़न के हालिया काले अध्याय
मार्च 2025: बिहार के गोपालगंज में 80 वर्षीय दलित महिला से गैंगरेप।
अप्रैल 2025: राजस्थान के सीकर में दलित युवक से यौन शोषण।
अप्रैल 2025: बरेली में बधिर और मूक दलित लड़की से रेप, प्राइवेट पार्ट जलाए गए।
जून 2025: बीजेपी विधायक ने दलित सरपंच को मंच पर आने से रोका।
अगस्त 2025: मध्यप्रदेश में ऊंची जाति के ससुरालवालों ने दलित दामाद की हत्या की।
सितंबर 2025: जोधपुर में दलित छात्र पर हमला, बीजेपी नेता का स्वागत न करने पर।
2 अक्टूबर 2025: रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की हत्या।
4 अक्टूबर 2025: गुजरात में मंदिर में प्रवेश करने पर दलित युवक पर हमला।
6 अक्टूबर 2025: सुप्रीम कोर्ट के दलित CJI बी.आर. गवई पर हमला।
7 अक्टूबर 2025: दलित IPS अधिकारी ने जातीय भेदभाव से तंग आकर आत्महत्या की।
12 अक्टूबर 2025: लखनऊ में 16 वर्षीय दलित लड़की से गैंगरेप।
हर घटना एक ही कहानी कहती है — “जब तक बीजेपी सत्ता में है, दलितों की चीखें दबाई जाती रहेंगी।” जातीय घृणा की यह राजनीति अब देश के लोकतंत्र के सीने में जहर बनकर फैल रही है। यह सवाल अब सिर्फ राजनीति का नहीं, इंसानियत के अस्तित्व का है।