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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट में अहम सुनवाई

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प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

 18 जुलाई 2025:

मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अहम सुनवाई होनी है, जिसे लेकर हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की निगाहें टिकी हुई हैं। यह मामला देश के सबसे संवेदनशील धार्मिक मामलों में से एक बन चुका है और इसकी सुनवाई को अयोध्या विवाद की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है विवाद की पृष्ठभूमि?

यह मामला भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली के दावे से जुड़ा है, जहां हिंदू पक्ष का कहना है कि 13.37 एकड़ की विवादित भूमि पर ऐतिहासिक श्रीकृष्ण मंदिर था, जिसे मुग़ल शासक औरंगज़ेब के समय में गिराकर वहां शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई।

हिंदू पक्ष की मांग है कि शाही ईदगाह को हटाकर पूरी ज़मीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपी जाए, जबकि मुस्लिम पक्ष (ईदगाह ट्रस्ट) का दावा है कि यह संपत्ति 1949 में हुए समझौते के तहत वैध रूप से उनके नियंत्रण में है।

आज की सुनवाई क्यों है अहम?

इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज की सुनवाई में यह तय हो सकता है कि क्या कोर्ट इस मामले की नियमित सुनवाई शुरू करेगा, और क्या इसमें पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI Survey) की अनुमति दी जाएगी या नहीं।

हिंदू पक्ष की ओर से पूर्व में यह मांग की गई थी कि ASI के माध्यम से साइट की जांच की जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि मस्जिद की नींव में मंदिर के अवशेष मौजूद हैं या नहीं, जैसा कि अयोध्या केस में हुआ था। मुस्लिम पक्ष इस मांग का विरोध कर रहा है, उनका कहना है कि इससे शांति और सांप्रदायिक सौहार्द खतरे में पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट से भी हो चुकी है चर्चा, लेकिन मामला हाईकोर्ट में लंबित

इस विवाद से संबंधित एक याचिका पहले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है और वहीं इसका प्राथमिक निपटारा होना चाहिए। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट इसपर सुनवाई कर रहा है और यदि ASI सर्वे या निष्पादन आदेश की मंजूरी मिलती है, तो यह मामला एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच सकता है।

राजनीतिक और धार्मिक माहौल में तनाव

इस मामले की सुनवाई से पहले मथुरा और प्रयागराज में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने किसी भी उत्तेजक बयान, सोशल मीडिया पोस्ट या प्रदर्शन पर सख्ती से निगरानी रखने के आदेश दिए हैं।

हिंदू संगठनों ने कोर्ट में भरोसा जताया है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने संवैधानिक अधिकारों और वक्फ संपत्ति की सुरक्षा की मांग की है। राजनीतिक दलों ने भी सतर्क रुख अपनाया है, लेकिन पर्दे के पीछे यह मुद्दा 2026 के चुनावों में ध्रुवीकरण का आधार बन सकता है।

न्यायालय की दिशा तय करेगा देश का नया नैरेटिव?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की आज की सुनवाई न केवल मथुरा, बल्कि पूरे देश की धार्मिक, कानूनी और राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकती है। यदि कोर्ट इस मामले की गहराई में जाकर सुनवाई का आदेश देता है, तो यह अयोध्या के बाद हिंदू पक्ष के लिए दूसरी बड़ी कानूनी लड़ाई बन सकती है। अब सबकी निगाहें कोर्ट के फैसले पर हैं — क्या यह इतिहास की पुनर्व्याख्या होगी या शांति की स्थिरता का मार्ग प्रशस्त करेगा?

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