मुंबई 18 सितम्बर 2025
सिनेमा और साहित्य का संगम
हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक अदाकारा शबाना आज़मी आज अपना 75वां जन्मदिन मना रही हैं। वे केवल अपनी दमदार अदाकारी और नेशनल अवॉर्ड्स की झड़ी लगाने वाली परफॉर्मेंसेज़ के लिए ही नहीं बल्कि अपने बेबाक विचारों और सामाजिक सरोकारों के लिए भी जानी जाती हैं। लेकिन उनकी जिंदगी का सबसे रोचक किस्सा है—उनकी और जावेद अख्तर की प्रेम कहानी, जो फिल्मों की किसी स्क्रिप्ट से कम नहीं।
पिता से शागिर्दी, बेटी से मोहब्बत
जावेद अख्तर, शबाना आज़मी के पिता और मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी से लेखन की बारीकियां सीखा करते थे। कैफ़ी साहब की ग़ज़लों और शायरी ने जावेद को गहराई से प्रभावित किया। लेकिन इसी दौरान उनकी नजर पड़ी कैफ़ी साहब की बेटी शबाना पर। कहते हैं, जहां उस्ताद ने उन्हें कलम थमाई, वहीं किस्मत ने उन्हें दिल का रिश्ता थमा दिया।
दोस्ती से मोहब्बत तक का सफर
शबाना और जावेद की पहली मुलाकात कैफ़ी आज़मी के घर पर हुई थी। शुरुआत में शबाना को जावेद थोड़ा घमंडी लगे, लेकिन धीरे-धीरे उनका शायराना अंदाज़ और संवेदनशील सोच दिल में उतर गई। दोस्ती गहराई और मोहब्बत में बदल गई। उस वक्त जावेद अख्तर पहले से शादीशुदा थे और दो बच्चों (जोया और फरहान) के पिता भी। यही वजह थी कि शबाना के पिता को यह रिश्ता पसंद नहीं आया, लेकिन शबाना ने हिम्मत दिखाई और परिवार को समझाया कि यह प्यार सच्चा है।
नशे में हुई शादी का किस्सा
फिल्मी दुनिया जैसी दिलचस्पी इस रिश्ते की हकीकत में भी देखने को मिली। साल 1984 की एक रात, अनु कपूर के दोस्ताना हस्तक्षेप और जावेद अख्तर की मदहोश हालत में लिया गया फैसला इस प्रेम कहानी को अंजाम तक ले गया। बांद्रा की मस्जिद में दोनों का निकाह हुआ और शबाना–जावेद हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो गए। आज इस जोड़ी को शादी के 41 साल पूरे हो चुके हैं और उनका रिश्ता बॉलीवुड की सबसे मशहूर प्रेम कहानियों में गिना जाता है।
नशे सा असर करने वाला प्यार
कहा जाता है कि शबाना आज़मी और जावेद अख्तर का रिश्ता किसी शराब के नशे से कम नहीं था। जैसे जाम का एक घूंट धीरे-धीरे रगों में उतरकर मदहोशी फैलाता है, वैसे ही दोनों की मुलाकातें, बातें और जज्बात एक-दूसरे पर गहराई से असर डालते गए। साहित्य, शायरी और सिनेमा की गलियों में पनपा यह इश्क़ एक नशे की तरह था—जो न केवल उनके जीवन का हिस्सा बना बल्कि उन्हें एक-दूसरे से हमेशा के लिए जोड़ गया।
जिंदगी और करियर की मिसाल
शबाना आज़मी का जन्म 18 सितंबर 1950 को हुआ था। आज वे 75 साल की हो चुकी हैं, लेकिन उनकी अदाकारी की चमक अब भी बरकरार है। उन्होंने ‘अंकुर’, ‘अर्थ’, ‘मंडी’, ‘भावना’, ‘मासूम’, ‘फायर’ और ‘नीरजा’ जैसी फिल्मों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। शबाना को अब तक 5 बार नेशनल अवॉर्ड और कई बार फ़िल्मफेयर समेत अनगिनत सम्मान मिल चुके हैं। जावेद अख्तर जहां गीतों और संवादों से करोड़ों दिलों पर असर छोड़ते हैं, वहीं शबाना ने अभिनय और समाज सेवा से एक नई पहचान बनाई है।
शबाना आज़मी का जन्मदिन केवल एक अदाकारा का जश्न नहीं, उस मोहब्बत, संघर्ष और प्रेरणा की कहानी का भी जश्न है, जिसने साहित्य, सिनेमा और रिश्तों को एक साथ जोड़ दिया।