नई दिल्ली
18 जुलाई 2025
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से एक और बड़ा झटका मिला है। कोर्ट ने शुक्रवार को ‘लैंड फॉर जॉब्स’ यानी जमीन के बदले रेलवे में नौकरी देने के बहुचर्चित घोटाले में निचली अदालत में चल रही आपराधिक कार्यवाही पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया।
इसका मतलब है कि अब पटियाला हाउस कोर्ट में लालू प्रसाद यादव और उनके परिजनों के खिलाफ चल रही सुनवाई जारी रहेगी।
क्या है ‘लैंड फॉर जॉब्स’ केस?
यह मामला तब का है जब लालू यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे। आरोप है कि रेलवे में नौकरी देने के एवज में नौकरियों के आवेदकों से उनके परिजनों के नाम पर पटना और अन्य स्थानों में जमीनें रजिस्टर करवाई गईं। ये रजिस्ट्रेशन कथित रूप से बाजार मूल्य से बहुत कम दर पर हुए। यह पूरा मामला 2004 से 2009 के बीच का है और सीबीआई ने 2022 में इस पर केस दर्ज किया था।
लालू यादव की याचिका और सुप्रीम कोर्ट का जवाब
लालू यादव की ओर से दायर याचिका में यह दलील दी गई थी कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को रोका जाए क्योंकि यह बदले की भावना से प्रेरित है और उनके खिलाफ राजनीतिक द्वेष से कार्रवाई की जा रही है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि “निचली अदालत की कार्यवाही रोकने का कोई ठोस कारण नहीं है। मुकदमा अपनी प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ेगा।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि मौजूदा सबूतों के आधार पर मामला गंभीर प्रकृति का प्रतीत होता है और इसे न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही तय किया जाना चाहिए।
तेजस्वी यादव समेत परिवार भी जांच के घेरे में
इस केस में केवल लालू प्रसाद ही नहीं, बल्कि उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव का नाम भी शामिल है। तेजस्वी, जो वर्तमान में बिहार सरकार में डिप्टी सीएम हैं, वित्त मंत्रालय जैसे अहम विभाग संभाल रहे हैं। विपक्षी दल बार-बार इस केस को लेकर नीतिकतावाद और परिवारवाद के मुद्दे उठाते रहे हैं।
राजनीतिक माहौल गरमाया, RJD ने कहा – न्याय होगा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भाजपा और जेडीयू ने इसे भ्रष्टाचार पर कानूनी शिकंजा बताया, वहीं राजद ने कहा कि “हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं। हमें विश्वास है कि अंततः सच्चाई सामने आएगी और लालू जी को न्याय मिलेगा।”
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यह मामला आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव 2026 में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
लालू परिवार की कानूनी लड़ाई तेज, चुनावी असर तय
सुप्रीम कोर्ट के इस इनकार के बाद लालू परिवार को निचली अदालत का सामना करना ही होगा। इस कानूनी लड़ाई का असर न सिर्फ अदालत में बल्कि बिहार की राजनीतिक जमीन पर भी महसूस किया जाएगा। अब देखना है कि क्या लालू यादव की राजनीतिक विरासत इस मामले से प्रभावित होगी, या वह एक बार फिर न्यायिक चक्रव्यूह से बाहर निकलेंगे।