सिलवासा 19 अक्टूबर 2025
केंद्र शासित प्रदेश में “चुनाव चोरी” का बड़ा आरोप: लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा हमला
केंद्र शासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली और दमन-दीव में हाल ही में संपन्न हुए नगर पालिका और पंचायत चुनावों को लेकर कांग्रेस पार्टी ने एक सनसनीखेज और अत्यंत गंभीर आरोप लगाया है, जिसने देश के लोकतांत्रिक माहौल को झकझोर कर रख दिया है। कांग्रेस का स्पष्ट और सीधा आरोप है कि यहाँ खुलेआम “चुनाव चोरी” की गई है—और इस पूरी प्रक्रिया में चुनाव आयोग (Election Commission) और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों की मिलीभगत साफ दिखाई देती है। पार्टी का दावा है कि यह एक सुनियोजित साजिश थी, जिसके तहत न केवल कई विपक्षी उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से जबरन रोका गया, बल्कि जिन उम्मीदवारों ने पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए अपने फॉर्म जमा किए, उनके नामांकन फॉर्म भी साजिशन और मनमाने तरीके से रद्द कर दिए गए। कांग्रेस का कहना है कि यह मात्र एक चुनावी धांधली नहीं है, बल्कि यह देश के संघीय ढांचे और लोकतंत्र की आत्मा पर किया गया एक गहरा और दुर्भावनापूर्ण हमला है।
नामांकन रद्द की साज़िश: विपक्षी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान से बाहर करने का खेल
कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को एक अलोकतांत्रिक और दुर्भावनापूर्ण रणनीति करार दिया है, जिसका एकमात्र उद्देश्य विपक्षी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान से बाहर कर सत्ताधारी दल के लिए वॉकओवर सुनिश्चित करना था। पार्टी के आधिकारिक बयानों के मुताबिक, सिलवासा नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस के कुल 12 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया था, लेकिन हैरानी की बात यह है कि उनमें से 8 फॉर्म को एक झटके में रद्द कर दिया गया। इसी तरह, जिला पंचायत चुनाव में भी पार्टी के 21 उम्मीदवारों ने फॉर्म भरे थे, जिनमें से एक बड़े हिस्से यानी 13 उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर दिया गया। कांग्रेस का दावा है कि ये सभी नामांकन फॉर्म कानूनी विशेषज्ञों की मौजूदगी में सभी नियमों का पालन करते हुए सही तरीके से भरे गए थे, फिर भी बिना किसी ठोस और वैध कानूनी कारण के उन्हें रद्द कर दिया गया। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने इस कार्रवाई को “कोई तकनीकी गलती नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश” बताते हुए आरोप लगाया कि BJP और प्रशासन मिलकर लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज़ को जड़ से दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
साजिश की क्रोनोलॉजी: प्रशासनिक मनमानी और धांधली के गंभीर बिंदु
कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण की विस्तृत “क्रोनोलॉजी” जारी की है, जिसमें प्रशासनिक मनमानी और धांधली के कई गंभीर और चिंताजनक बिंदु उजागर किए गए हैं। पार्टी ने बताया कि नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी (जाँच) स्थल को अंतिम समय में अचानक बदल दिया गया, और इसकी सूचना जानबूझकर विपक्षी उम्मीदवारों को नहीं दी गई, जिससे वे समय पर उपस्थित न हो सकें। इसके अलावा, कई उम्मीदवारों को तो स्क्रूटनी की प्रक्रिया में बुलाया ही नहीं गया, ताकि वे अपने नामांकन में लगाए गए आरोपों या आपत्तियों का जवाब या खंडन दर्ज न करा सकें। आरोप है कि मनमाने तरीके से नामांकन रद्द किए गए, और किसी भी उम्मीदवार को कोई ठोस और लिखित वजह नहीं बताई गई। कांग्रेस नेताओं का यह भी कहना है कि इन सब गंभीर अनियमितताओं के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद, कोई प्रभावी सुनवाई या कार्रवाई नहीं हुई। कांग्रेस नेताओं ने साफ तौर पर कहा है कि ये सभी कदम एक “पूर्व-निर्धारित साज़िश” के तहत उठाए गए थे, जिसका एकमात्र लक्ष्य विपक्ष को चुनावी प्रतियोगिता से बाहर करना और ‘निर्विरोध जीत’ हासिल करना था।
संविधान पर प्रहार और चुनाव आयोग की चुप्पी: लोकतंत्र की अपूरणीय क्षति
विपक्षी दलों ने इस पूरे घटनाक्रम में चुनाव आयोग की चुप्पी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि अगर आयोग वास्तव में एक निष्पक्ष और संवैधानिक संस्था है, तो उसे इन गंभीर आरोपों की तत्काल और व्यापक न्यायिक जांच करानी चाहिए और जिन नामांकनों को अवैध रूप से रद्द किया गया है, उन्हें तुरंत बहाल किया जाना चाहिए। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, अगर कांग्रेस द्वारा लगाए गए ये गंभीर आरोप सच साबित होते हैं, तो यह “लोकतांत्रिक ढांचे में अब तक की सबसे गंभीर गड़बड़ी” मानी जाएगी, जिससे जनता का चुनावी प्रक्रिया में विश्वास टूट जाएगा। लोकतंत्र का मूल सार ही निष्पक्ष चुनाव और सभी को समान अवसर देने में निहित है—और यदि नामांकन की प्रक्रिया ही साजिशन और संदिग्ध हो जाए, तो चुनाव लड़ने और वोट देने का अर्थ ही पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। कांग्रेस ने तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि पहले उन्होंने “वोट चोरी” का खेल खेला, और अब वे सीधे “चुनाव चोरी” पर उतर आए हैं।
कांग्रेस का ऐलान: सड़क से संसद और सुप्रीम कोर्ट तक व्यापक लड़ाई
इस “चुनाव चोरी” के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने एक व्यापक और निर्णायक आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है। पार्टी का स्पष्ट कहना है कि वह इस मुद्दे को केवल स्थानीय चुनाव आयोग के सामने नहीं छोड़ेगी, बल्कि इसे देश की सर्वोच्च संस्थाओं—संसद (Parliament) और सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)—तक लेकर जाएगी। कांग्रेस नेताओं का बयान एक चेतावनी के रूप में सामने आया है: “लोकतंत्र बिकेगा नहीं, बल्कि यह लड़ेगा। अगर आज हम इन प्रशासनिक धांधलियों पर चुप रहे, तो कल देश का कोई भी आम आदमी, मज़दूर या छात्र चुनाव लड़ने का साहस नहीं कर पाएगा।” यह घटना दर्शाती है कि दादरा एवं नगर हवेली में जो कुछ हुआ, वह केवल स्थानीय स्तर की राजनीतिक खींचतान नहीं है—यह पूरे देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संवैधानिक मूल्यों की दिशा तय करेगा। यदि “चुनाव चोरी” का यह आरोप सच साबित होता है, तो यह सिर्फ विपक्ष की नहीं, बल्कि भारत के संविधान और उन सभी नागरिकों की हार होगी जो निष्पक्ष चुनाव में विश्वास रखते हैं।