चंदौली, उत्तर प्रदेश | 27 अक्टूबर 2025
भक्ति, आस्था और अनुशासन के महान पर्व छठ महापर्व की पवित्र संध्या पर, जब लाखों श्रद्धालु अस्ताचलगामी सूर्य को श्रद्धापूर्वक अर्घ्य देने की तैयारी कर रहे थे, तभी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के कोदोचक गांव में खुशियों और भक्ति का माहौल अचानक एक दर्दनाक मातम में बदल गया। चंद्रप्रभा नदी के घाट पर, श्रद्धालुओं से खचाखच भरी एक जुगाड़ नाव किनारे से कुछ ही दूर पर सेल्फी लेने के दौरान अपना संतुलन खोकर पलट गई। नाव पर क्षमता से अधिक लोग सवार थे, और अचानक हुए इस हादसे से नाव सवार कई लोग गहरे, तेज बहाव वाले पानी में समा गए। छठ पर्व के दौरान हुए इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे से पूरे क्षेत्र में हाहाकार मच गया, और जहां कुछ ही क्षण पहले छठी मइया के जयघोष गूंज रहे थे, वहां अब चीख-पुकार और रुदन की आवाजें सुनाई देने लगीं।
सेल्फी की सनक बनी मौत का सबब — प्रत्यक्षदर्शियों का बयान
प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय लोगों के बयान के अनुसार, यह हृदय विदारक हादसा विशुद्ध रूप से मानवीय लापरवाही और सेल्फी लेने की सनक का परिणाम था। घाट पर सायं अर्घ्य की पूजा समाप्त होने के बाद, कुछ उत्साही युवक नदी में चल रही एक जुगाड़ नाव पर चढ़ गए, जिसका निर्माण स्थानीय लकड़ी और अस्थायी साधनों से किया गया था। इस नाव पर पहले से ही उसकी क्षमता से अधिक श्रद्धालु सवार थे। जब कुछ युवक खतरनाक पोज़ लेते हुए हिलने लगे और नाव के एक किनारे पर झुक गए, तो नाव का संतुलन तत्काल बिगड़ गया।
लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला और कुछ ही सेकंड में वह नाव चंद्रप्रभा नदी के तेज बहाव में पलट गई, जिससे दर्जन भर से अधिक श्रद्धालु पानी की गहरी और ठंडी धारा में बह गए। किनारे पर मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई और चीख-पुकार मचने लगी। वहां मौजूद कुछ साहसी ग्रामीणों और युवा तैराकों ने बिना समय गंवाए नदी में छलांग लगा दी और त्वरित कार्रवाई करते हुए चार लोगों को किसी तरह बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की। हालांकि, देर शाम तक भी कई लोगों के डूबे होने की गंभीर आशंका जताई जा रही थी, जिससे पूरे गांव में चिंता और शोक का माहौल व्याप्त हो गया।
गोताखोरों और पुलिस ने संभाला मोर्चा — देर रात तक जारी रहा रेस्क्यू ऑपरेशन
दर्दनाक दुर्घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय बबुरी थाना पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें तुरंत कोदोचक गांव के घाट पर पहुंचीं। प्रशिक्षित गोताखोरों की टीम ने बिना किसी विलंब के नदी में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। नदी में डूबे हुए लोगों की तलाश के लिए देर शाम तक लगातार सघन तलाशी अभियान जारी रहा, लेकिन चंद्रप्रभा नदी की तेज धारा, पानी की गहराई और सूर्यास्त के बाद घिर आए घने अंधेरे की वजह से बचाव कार्य में भयानक मुश्किलें आईं। जिला पुलिस अधीक्षक ने मौके पर पहुँचकर स्थिति का जायजा लिया और घोषणा की कि राहत कार्य पूरी रात बिना रुके जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि नदी के दोनों किनारों पर टॉर्च और रोशनी की व्यवस्था करके खोज अभियान चलाया जा रहा है। प्रशासन ने आसपास के अन्य गांवों के स्थानीय तैराकों और अतिरिक्त नावों की भी मदद ली है ताकि रात के समय में भी लापता लोगों को खोजा जा सके।
गांव में पसरा मातम और प्रशासनिक लापरवाही पर तीखे सवाल
चंदौली जिले के कोदोचक गांव और उसके आस-पास के क्षेत्रों में छठ पर्व की खुशी अब भयानक ग़म में बदल चुकी है। जिन घरों से कुछ ही घंटे पहले छठ मैया के पारंपरिक और मधुर गीत सुनाई दे रहे थे, वहां अब गहरा सन्नाटा और सामूहिक रुदन की करुण आवाजें गूंज रही हैं। स्थानीय ग्रामीणों और पीड़ित परिवारों ने इस हादसे के लिए सीधे तौर पर प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि चंद्रप्रभा नदी पर छठ पर्व के दौरान हर साल भारी भीड़ जुटती है, इसके बावजूद नदी पर चल रही अस्थायी जुगाड़ नावों और लकड़ी के पटलों पर किसी भी प्रकार की सुरक्षा निगरानी नहीं थी।
ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासन को पर्व से पहले ही घाटों पर चेतावनी बोर्ड लगाने, नावों की क्षमता और फिटनेस की जांच करने, और प्रशिक्षित तैराकों की नियुक्ति करनी चाहिए थी, लेकिन सुरक्षा के इंतज़ाम पूरी तरह से नाकाफी साबित हुए। जिला प्रशासन ने इस बीच पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है और राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश जारी किए हैं।
“सेल्फी ने छीनी जिंदगी” — सोशल मीडिया पर गुस्सा और चिंतन
इस दर्दनाक हादसे की खबर जैसे ही स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया के साथ-साथ सोशल मीडिया पर फैली, लोगों में गहरा गुस्सा और रोष व्याप्त हो गया। सोशल मीडिया यूज़र्स ने एक बार फिर जोखिम भरी सेल्फी लेने की ‘संस्कृति’ पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कई यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा कि “छठ पूजा जैसे पवित्र और अत्यंत अनुशासित पर्व में भी लोग अपनी जान जोखिम में डालकर केवल मोबाइल कैमरे के पीछे भाग रहे हैं।” इस हादसे को “सेल्फी की सनक का घातक परिणाम” बताया जा रहा है। रात 8 बजे तक मिली आखिरी अपडेट के अनुसार, चार लोगों को नदी से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था और उनका प्राथमिक उपचार चल रहा था। गोताखोरों का बचाव अभियान अंधेरे के बावजूद पूरी मुस्तैदी के साथ जारी है।
प्रशासन ने किसी भी अन्य अनहोनी को रोकने के लिए नदी के पास आम नागरिकों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है और सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक बढ़ा दिया है। इस भयानक त्रासदी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल जब विवेकहीनता के साथ होता है, तो वह किस हद तक जीवन के लिए घातक साबित हो सकता है। “छठ मइया के जयघोष के बीच उठी चीखें… भक्तों की नाव डूबी श्रद्धा के सागर में।”





