26 अगस्त 2025
वैश्विक राजनीति में आर्थिक हथकंडों का दौर
आज की दुनिया में राजनीति केवल विचारधारा या सैन्य शक्ति पर आधारित नहीं रह गई है। अब हर देश अपने आर्थिक स्वार्थ को सर्वोपरि रखता है और इसके लिए व्यापारिक समझौतों, आयात-निर्यात नीतियों तथा टैरिफ को हथियार की तरह इस्तेमाल करता है। हाल ही में अमेरिका ने भारत के खिलाफ 50% नए टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है। यह फैसला केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा से उपजी चिंता और दबाव का परिणाम है। अमेरिका का मकसद अपने किसानों और उद्योगपतियों को बचाना है, लेकिन इसका असर सीधे भारतीय निर्यातकों और छोटे व्यापारियों पर पड़ सकता है। इस चुनौती के बीच प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि भारत अपने छोटे व्यवसायियों और किसानों को किसी भी नुकसान से बचाएगा—एक तरह से जनता को भरोसा दिलाने और अंतरराष्ट्रीय दबाव को नकारने की घोषणा है।
अहमदाबाद की धरती से राष्ट्रीय संदेश
25 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री मोदी ने अहमदाबाद में लगभग 5400 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस कार्यक्रम ने केवल गुजरात ही नहीं, पूरे भारत को यह संदेश दिया कि विकास की गाड़ी रुकने वाली नहीं है। अहमदाबाद को केंद्र में रखकर मोदी ने यह दिखाया कि स्थानीय विकास और राष्ट्रीय दृष्टि कैसे एक-दूसरे से जुड़े हैं। गुजरात लंबे समय से विकास और औद्योगिक प्रगति की मिसाल रहा है, और मोदी ने इसे आत्मनिर्भर भारत मिशन का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुरक्षित और विकासशील शहर न केवल निवेश को आकर्षित करते हैं बल्कि भविष्य की राष्ट्रीय शक्ति को भी आकार देते हैं।
छोटे व्यापारियों और MSMEs की रीढ़
भारत की आर्थिक संरचना को समझना हो तो सबसे पहले हमें छोटे व्यापारियों और MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों) की भूमिका को पहचानना होगा। ये क्षेत्र केवल GDP में 30% से अधिक योगदान नहीं करते बल्कि 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार भी देते हैं। देश का असली मध्यमवर्ग और रोज़मर्रा की ज़िंदगी इन्हीं पर टिकी है। जब अमेरिका जैसे देशों द्वारा लगाए गए टैरिफ का असर निर्यात पर पड़ता है, तो सबसे पहले संकट इन्हीं छोटे उद्यमियों पर आता है। प्रधानमंत्री मोदी का आश्वासन इसीलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे एक बड़ा सामाजिक वर्ग यह महसूस करता है कि सरकार केवल बड़ी कंपनियों की चिंता नहीं करती, बल्कि गली-मोहल्लों के दुकानदार से लेकर कुटीर उद्योग चलाने वाले कारीगर तक सबके साथ खड़ी है।
किसान और पशुपालक: ग्रामीण भारत की धड़कन
भारत आज भी कृषि प्रधान देश है। लगभग 55% आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि और पशुपालन से जुड़ी है। ऐसे में किसानों और पशुपालकों को वैश्विक संकट से बचाना न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक स्थिरता का भी सवाल है। प्रधानमंत्री मोदी ने अहमदाबाद से दिए अपने भाषण में स्पष्ट कहा कि उनकी सरकार हमेशा किसानों और पशुपालकों के पक्ष में खड़ी रहेगी। PM-Kisan योजना के तहत सीधे किसानों के खाते में धन पहुंचाना, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बनाए रखना और डेयरी सेक्टर को आधुनिक तकनीक से जोड़ना इस वादे के व्यावहारिक उदाहरण हैं। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में भारत की अग्रणी स्थिति और कृषि निर्यात का बढ़ता ग्राफ यह बताता है कि किसान और पशुपालक आत्मनिर्भर भारत की असली ताकत हैं।
अमेरिका के टैरिफ वार का जवाब
जब कोई महाशक्ति भारत पर आर्थिक दबाव डालने की कोशिश करती है तो उसका असर केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह जनता के मनोबल पर भी पड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी का सीधा और आत्मविश्वासी बयान इस मनोवैज्ञानिक दबाव को तोड़ने के लिए था। उन्होंने कहा कि चाहे कितना भी दबाव क्यों न आए, छोटे उद्यमियों और किसानों को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। यह बात यह दर्शाती है कि भारत अब 90 के दशक वाला कमजोर अर्थतंत्र नहीं रहा जिसे विदेशी दबावों के सामने झुकना पड़ता था। आज का भारत 2.5 ट्रिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार और तेजी से बढ़ती घरेलू मांग वाला आत्मनिर्भर देश है। इसका मतलब है कि भारत वैश्विक टकराव में अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता रखता है।
विकास परियोजनाएँ और रोज़गार का परिदृश्य
अहमदाबाद में जिन 5400 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ, वे केवल ढांचागत विकास की योजना नहीं हैं, बल्कि रोजगार और निवेश के नए अवसर भी खोलेंगी। सड़क और शहरी विकास की परियोजनाएँ छोटे व्यापारियों के लिए परिवहन लागत को कम करेंगी, ऊर्जा परियोजनाएँ उद्योगों को स्थायी बिजली देंगी और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश आम जनता की जीवन गुणवत्ता को बढ़ाएगा। यह पूरा पैकेज आत्मनिर्भर भारत के रोडमैप से सीधे जुड़ा है, जहां हर विकास परियोजना का लक्ष्य केवल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बल्कि रोज़गार और आर्थिक अवसर भी हैं।
स्वदेशी उत्पाद और जनभागीदारी का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी का जनता से यह कहना कि वे स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दें, दरअसल आर्थिक राष्ट्रवाद का आधुनिक रूप है। यह अपील केवल भावनात्मक नहीं बल्कि व्यावहारिक है। जब जनता स्थानीय उत्पादों को खरीदती है तो यह सीधे-सीधे MSMEs और ग्रामीण कुटीर उद्योगों की मजबूती में बदल जाता है। इससे न केवल रोजगार पैदा होता है, बल्कि भारत का व्यापार घाटा भी घटता है। यही कारण है कि ‘वोकल फॉर लोकल’ अब केवल एक चुनावी नारा नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता की कुंजी बन चुका है।
भारत की वैश्विक छवि और नेतृत्व की भूमिका
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह भी कहा कि आज का भारत ऊर्जा और उद्योग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है। यह केवल आत्मविश्वास की बात नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की बदलती छवि का प्रमाण है। ग्रीन एनर्जी मिशन के तहत भारत सौर और पवन ऊर्जा का बड़ा केंद्र बन चुका है। डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों ने भारत को दुनिया का टेक्नोलॉजी हब बना दिया है। ऐसे समय में जब अमेरिका और यूरोप अपने आंतरिक संकटों से जूझ रहे हैं, भारत एक स्थिर और उभरती हुई शक्ति के रूप में सामने आ रहा है। यह वैश्विक संतुलन की राजनीति में भारत को नई जगह दिलाने वाला है।
जनता की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा और भरोसा
किसी भी नीति का असर केवल आर्थिक नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक भी होता है। जब प्रधानमंत्री स्वयं छोटे व्यापारियों और किसानों को आश्वस्त करते हैं, तो जनता का मनोबल मजबूत होता है। यह विश्वास संकट के समय बहुत बड़ी पूंजी है। अगर जनता यह मान ले कि सरकार उनके साथ खड़ी है, तो वह किसी भी कठिनाई का सामना करने को तैयार हो जाती है। यही विश्वास भारत को वैश्विक संकटों से पार ले जाने में मदद करता है।
आत्मनिर्भरता का रास्ता और जनता की ताकत
अहमदाबाद का यह भाषण केवल राजनीतिक संदेश नहीं था, बल्कि यह भारत की नई आर्थिक नीति का रोडमैप भी था। छोटे व्यापारियों, किसानों और पशुपालकों को केंद्र में रखकर मोदी ने यह स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भर भारत का अर्थ केवल उद्योगों या तकनीकी विकास तक सीमित नहीं है। यह उस गली के दुकानदार, खेत में काम करने वाले किसान और पशुपालक की मेहनत से जुड़ा है जो रोज़ाना भारत की अर्थव्यवस्था को चलाते हैं। अमेरिका के टैरिफ वार जैसे वैश्विक संकट भारत को रोक नहीं सकते, क्योंकि अब भारत की ताकत उसकी जनता की आत्मनिर्भरता और सरकार का अटूट संकल्प है। यही संदेश अहमदाबाद से पूरे देश को दिया गया—भारत दबाव में झुकने वाला नहीं, बल्कि संकट में और मज़बूत होकर उभरने वाला देश है।
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