नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025 —
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को कड़ी फटकार लगाई है। मामला गुना जिले में हिरासत में हुई मौत का है, जिसमें आरोपी पुलिस अधिकारियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। अदालत ने सख़्त लहज़े में कहा कि आदेश दिए जाने के महीनों बाद भी गिरफ्तारी न होना न्यायपालिका के निर्देशों की अवमानना है और इससे यह संदेश जाता है कि राज्य सरकार और जांच एजेंसी आरोपी अफसरों को बचा रही हैं।
मृतक और केस की पृष्ठभूमि
यह मामला 26 वर्षीय देव पारधी की मौत से जुड़ा है, जिसकी मौत पुलिस हिरासत में कथित उत्पीड़न के बाद हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में इस मामले की जांच CBI को सौंपते हुए कहा था कि आरोपी अधिकारियों को एक महीने के भीतर गिरफ्तार किया जाए। लेकिन अदालत को यह जानकर हैरानी हुई कि दोनों आरोपी अफसर अप्रैल से ड्यूटी पर नहीं आ रहे थे और इसके बावजूद उन्हें केवल 24 सितंबर को सस्पेंड किया गया।
अदालत की कड़ी टिप्पणियाँ
मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा, “क्या आप जानबूझकर देरी कर रहे हैं? क्या आप उन्हें संरक्षण दे रहे हैं? इतने समय तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?” कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि देरी न सिर्फ न्याय की राह में बाधा है बल्कि इससे पीड़ित परिवार के साथ अन्याय भी होता है। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि इतने समय तक वे चुप क्यों रहे और कार्रवाई क्यों नहीं की।
CBI की दलील और सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी
CBI ने बताया कि वे आरोपी अधिकारियों के वित्तीय लेनदेन, सोशल मीडिया गतिविधियों और वाहनों की तलाश कर रहे हैं। साथ ही, उनकी गिरफ्तारी के लिए 2 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपर्याप्त मानते हुए कहा कि इस तरह की धीमी कार्रवाई स्वीकार्य नहीं है। अदालत ने टिप्पणी की कि “यह आंख-मिचौली नहीं है, यह एक गंभीर अपराध की जांच है।”
गवाह की सुरक्षा पर चिंता
अदालत ने मामले में प्रमुख गवाह और मृतक के चाचा गंगाराम पारधी की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि अगर गवाह के साथ कुछ भी होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी CBI और मध्य प्रदेश सरकार पर होगी। न्यायालय ने दोहराया कि उसके आदेशों का पालन करना अनिवार्य है और किसी भी प्रकार की देरी या लापरवाही सहन नहीं की जाएगी।
आगे की कार्यवाही
सुप्रीम कोर्ट ने CBI और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए और मामले की प्रगति रिपोर्ट पेश की जाए। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि यदि आदेशों की अवहेलना जारी रही, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।