नई दिल्ली
1 जुलाई 2020
इस बार यानी कि साल 2020 में सावन महीने की शुरुआत 6 जुलाई से होने जा रही है। विशेष बात यह रहेगी की सावन का पहला दिन सोमवार ही रहेगा। यानी इस सावन की शुरुआत सोमवार से हो रही है। क्योंकि सावन के सोमवार को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए इस सावन को विशेष कहा जा सकता है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को बहुत प्रिय होता है ऐसी मान्यता है। मान्यता यह भी है कि जो भक्त पूरे श्रद्धा भाव के साथ सावन के महीने में शिवजी की आराधना करते हैं, उनकी सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शास्त्रों में सोमवार के दिन को भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना गया है। मान्यता के अनुसार सोमवार के दिन व्रत रखने से भगवान शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं। इस बार शिव के प्रिय सावन की शुरुआत शिव के ही प्रिय सोमवार से हो रही है। इसलिए इस साल के सावन को विशिष्ट कहा जा सकता है।
विशेषत: सोमवार के दिन की बात की जाय तो सोमवार के दिन को महादेव की भक्ति के लिए विशेष शुभ माना गया है। जो भक्त सावन के पहले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करता है, उसके जीवन में चल रही सभी तरह की समस्याएं दूर होती हैं। चाहे समस्याएं विवाह से संबंधित हों या फिर मानसिक सुख शांति की। यानी कि चंद्रमा ग्रह से संबंधित सभी तरह की समस्याओं और मनोकामनाओं के लिए शिव की पूजा आराधना विशेष रहती है। इस बार पूरे सावन में पांच सोमवार पड़ने वाले हैं। यह बहुत ही शुभ स्थिति मानी गई है। पहला सोमवार 6 जुलाई को रहेगा, इसके बाद दूसरा सोमवार 13 जुलाई को, तीसरा सोमवार 20 जुलाई को रहेगा। चौथा सोमवार 27 जुलाई को रहेगा जबकि पांचवा सोमवार 30 अगस्त को रहेगा। सोमवार के अलावा इस सावन में अन्य शुभ योग भी बना रहे हैं; जिसमें से 11 सर्वार्थ सिद्धि योग बनेंगे, 10 सिद्धि योग बनेंगे, 12 अमृत योग बनेंगे और 03 अमृत सिद्धि योग बनेंगे। ये सभी भी अपने आप में महत्वपूर्ण माना जाएंगे।
जानिए क्या है सावन के महत्व के पीछे की पौराणिक कथा:
मान्यता के अनुसार जब देवताओं और असुरों के संयुक्त प्रयास से समुद्र मंथन चल रहा था, उस समय समुद्र से विष का घड़ा निकला। विष के घड़े को अपनाने के लिए न तो देवता तैयार हुए न ही असुर। तब उस विष के प्रभाव को समाप्त करने के लिए समस्त लोकों की रक्षा करते हुए भगवान शिव ने उस विष का पान किया था। समुद्र से निकले उस विष के प्रभाव से भगवान शिव के शरीर का तापमान बढ़ता जा रहा था। ऐसे में सभी देवी देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए और शिव जी के शरीर के ताप को कम करने के लिए भगवान शिव पर जल चढ़ाना शुरू कर दिया था। मान्यता के अनुसार वह सावन का ही महीना था। तभी से सावन के महीने में भगवान शिव को जलाभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है।
आप भी समय निकालें। संभव हो तो अपने पुरोहित की सहायता से इस सावन में रुद्राभिषेक जरूर करें। यदि किसी कारण से ऐसा संभव न हो तो अपने समीप के शिव मंदिर में जाकर शिवजी को जल से अभिषेक जरूर किया करें। भगवान भोलेनाथ आप सबकी रक्षा करें, आपका सावन शुभ रहे।