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‘सरज़मीं’ का विवाद: क्या फिल्म ने आतंक का महिमामंडन किया?

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नई दिल्ली | 28 जुलाई 2025

करण जौहर द्वारा सह-निर्मित फिल्म ‘सरज़मीं’ को लेकर बवाल मच गया है। डायरेक्टर कायोज़े ईरानी की इस फिल्म में सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान का डेब्यू भले ही बहुप्रतीक्षित रहा हो, लेकिन जिस तरह की कहानी पेश की गई है, उसने दर्शकों को उलझन में डाल दिया है।

फिल्म में इब्राहिम एक ऐसे युवक ‘हर्मन’ की भूमिका निभाते हैं, जिसे उसके सख्त फौजी पिता (प्रथ्वीराज सुकुमारन) नकारते हैं — सिर्फ इसलिए कि वो ‘मर्दाना’ नहीं है, खेल नहीं खेलता, और हकलाता है। यह पिता अपने बेटे के लिए कोई भावना नहीं रखता, और जब आतंकवादी बेटे को गोली मारते हैं, तब भी वह राष्ट्रधर्म का हवाला देकर चुप रहता है।

फिल्म का सबसे चौंकाने वाला पहलू?

जब हर्मन को गोली लगती है, तो दर्शकों की सहानुभूति पिता या सेना की बजाय उस आतंकवादी की ओर खिसकने लगती है जिसने गोली चलाई। यही बात इस फिल्म को खतरनाक और नैतिक रूप से सवालों के घेरे में खड़ा करती है।

क्या दर्शकों को मजबूर किया गया आतंकवादी से सहानुभूति रखने पर?

रिव्यू के मुताबिक, फिल्म की स्क्रिप्ट इतनी अव्यवस्थित और कमजोर है कि कहानी में कई ऐसे मोड़ आते हैं जो अनजाने में दर्शकों को भारतीय सेना के खिलाफ सोचने पर मजबूर कर देते हैं। क्लाइमैक्स में जब पता चलता है कि हर्मन ज़िंदा है, तब भी दर्शक भावनात्मक रूप से पूरी तरह अलग हो चुके होते हैं।

रिव्यूअर रोहन नाहर ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी – “फिल्म का उद्देश्य कुछ भी हो, लेकिन दर्शकों को अगर आप एक फौजी पिता की तुलना में आतंकवादी के पक्ष में खड़ा कर रहे हैं, तो ये सिनेमा नहीं, एक खतरनाक नैरेटिव सेट करना है।”

सोशल मीडिया पर उठा बवाल

  • कई दर्शकों ने पूछा – “क्या ये फिल्म भारतीय सेना का अपमान नहीं है?”
  • X (Twitter) पर ट्रेंड कर रहा है: #BoycottSarzameen
  • कुछ ने इब्राहिम अली खान की एक्टिंग पर भी सवाल उठाए: “फिल्म डेब्यू को डूबा दिया कंट्रोवर्सी ने।”

क्या करण जौहर इस बार चूक गए?

यह पहला मौका नहीं जब करण जौहर की किसी फिल्म को देशविरोधी मानसिकता फैलाने का आरोप झेलना पड़ा हो। लेकिन इस बार मामला और भी गंभीर है क्योंकि इसमें एक फौजी पिता को अमानवीय दिखाया गया है और दर्शकों को ग़लत नैतिक द्वंद्व में डाल दिया गया है।

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