कीव 4 अक्टूबर 2025
यूक्रेन पर रूस का हमला अब एक नई और खतरनाक शक्ल ले चुका है। युद्ध का मैदान सिर्फ़ गोलियों और टैंकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब मासूम नागरिकों की जीवनरेखा को ही निशाना बनाया जा रहा है। रूस ने इस बार यूक्रेन की प्राकृतिक गैस सुविधाओं पर सबसे बड़ा और समन्वित हमला बोला है। ड्रोन और मिसाइलों की बारिश कर उसने नाफ़टो-गाज़ (Naftogaz) के गैस निष्कर्षण और प्रसंस्करण संयंत्रों को बुरी तरह से तबाह कर दिया। यह हमला किसी सैन्य रणनीति का हिस्सा नहीं बल्कि यूक्रेन की जनता को आने वाली सर्दियों में ठंड से जकड़कर जिंदा लाशों में बदल देने की कोशिश है। दुनिया इसे युद्ध की अब तक की सबसे खतरनाक चाल मान रही है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने एक ही दिन में 381 ड्रोन और 35 मिसाइलें दागीं, जिनका लक्ष्य था खार्किव और पोल्टा क्षेत्रों में स्थित ऊर्जा अवसंरचना। यह क्षेत्र यूक्रेन की हीटिंग और बिजली उत्पादन की रीढ़ माने जाते हैं। यहां से गैस की सप्लाई पूरे देश के नागरिक इलाकों तक जाती है। हमला इतना भीषण था कि कई संयंत्र पूरी तरह खंडहर में बदल गए और सैकड़ों घर अंधेरे और ठंड में डूब गए। यूक्रेन का आरोप है कि यह सब जानबूझकर नागरिकों को निशाना बनाने और जनता की हिम्मत तोड़ने के लिए किया गया है।
नाफ़टो-गाज़ के सीईओ सेर्ही कोरेत्स्की ने बेहद आक्रोशित होकर कहा कि रूस ने “आतंकवाद” की हद पार कर दी है। उन्होंने साफ कहा कि इन हमलों का कोई सैन्य उद्देश्य नहीं था, बल्कि यह नागरिकों के खिलाफ एक मौत का अभियान है। उनकी बात सही साबित होती है क्योंकि हमले में एक 8 साल की बच्ची और दो महिलाएं घायल हुईं और यहां तक कि एक चर्च की खिड़कियाँ भी मलबे में बदल गईं। सवाल यह है कि क्या चर्च और स्कूली भवनों को तबाह करना किसी भी हाल में युद्ध का हिस्सा कहा जा सकता है? असलियत यह है कि रूस अब युद्ध नहीं लड़ रहा, बल्कि मासूमों पर आतंक थोप रहा है।
यूक्रेन ने इस हमले का जवाब देने में देर नहीं की। कीव ने रूस के अंदर लंबी दूरी वाले ड्रोन हमले किए, जिनका निशाना रूसी तेल रिफाइनरी और रासायनिक संयंत्र बने। यह यूक्रेन का साफ संदेश था कि अब जवाब उसी भाषा में मिलेगा जिसमें रूस हमला करेगा। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इन रूसी हमलों को “कायराना हरकतें” बताया और कहा कि सर्दियों में नागरिकों को ठंड से मारने की साजिश कभी कामयाब नहीं होगी। यूक्रेन के पलटवार ने यह साबित कर दिया कि अब यह संघर्ष एनर्जी वॉरफेयर का रूप ले चुका है — जहां तेल और गैस की पाइपलाइनों पर ही बम गिराए जा रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि रूस की यह रणनीति केवल सैन्य जीत हासिल करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों को हथियार बनाकर दबाव बनाने की है। यह हमला युद्ध नहीं बल्कि मानवता पर सीधा आक्रमण है। सर्दियों में यूक्रेन का तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे चला जाता है, और हीटिंग तथा गैस के बिना जीवन असंभव हो जाता है। रूस जानता है कि ठंड और अंधकार किसी भी बम या मिसाइल से ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि उसने गैस संयंत्रों पर हमला करके सीधे नागरिकों की सांसें और जीवन छीनने का प्रयास किया है।
यह हमला सिर्फ़ यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा। यूरोप के लिए भी यह एक चेतावनी है क्योंकि ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। रूस इस तरह के हमलों से यह भी दिखाना चाहता है कि वह ऊर्जा को हथियार बनाकर न सिर्फ़ यूक्रेन, बल्कि पूरे पश्चिमी जगत को धमका सकता है। भारत समेत कई उभरते बाजार भी इससे प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि वैश्विक ऊर्जा कीमतें और अस्थिर हो जाएंगी। यह स्थिति बताती है कि युद्ध अब केवल हथियारों की लड़ाई नहीं रहा, बल्कि हर घर की रसोई, हर परिवार की भट्ठी और हर नागरिक की सांस पर हमला बन गया है।