नई दिल्ली
17 जुलाई 2025
भारत में एक संवेदनशील बच्चे की कस्टडी से जुड़ा मामला अब अंतरराष्ट्रीय रंग ले चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने एक रूसी महिला के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए लुकआउट नोटिस जारी करने, पासपोर्ट जब्त करने, और देश छोड़ने से रोकने का आदेश दिया है। यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया जब यह रूसी महिला कथित तौर पर अपने 5 साल के बच्चे को लेकर अचानक लापता हो गई और अब अंदेशा जताया जा रहा है कि वह भारत से फरार होने की कोशिश में है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि उक्त रूसी नागरिक अपने भारतीय पति से तलाक के बाद भारत में रह रही थी और बच्चा कोर्ट द्वारा पिता की कस्टडी में सौंपा गया था। लेकिन महिला ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए बच्चे को अपने साथ गायब कर दिया। इस कदम को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए आदेश दिया कि देश के सभी एयरपोर्ट्स, बंदरगाहों और बॉर्डर चेकप्वाइंट्स पर सतर्कता बढ़ाई जाए ताकि वह महिला देश से बाहर न जा सके।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने इस मामले को “न्याय की खुली अवहेलना” करार देते हुए कहा कि अदालत के आदेश को ताक पर रखकर किसी भी विदेशी नागरिक को इस तरह से कानून से भागने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया है कि रूसी दूतावास को इस कार्रवाई की जानकारी दी जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि महिला को ट्रेस कर बच्चे को सुरक्षित पिता की कस्टडी में वापस लाया जाए।
माना जा रहा है कि महिला देश छोड़ने की फिराक में थी, और उसके इस इरादे को नाकाम करने के लिए अब सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और समुद्री मार्गों पर निगरानी तेज़ कर दी गई है। लुकआउट नोटिस के तहत महिला का नाम सभी इमिग्रेशन रिकॉर्ड्स में दर्ज कर दिया गया है और जैसे ही वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नज़र आएगी, उसे तुरंत हिरासत में ले लिया जाएगा।
इस घटनाक्रम ने भारत में विदेशी नागरिकों की संतान के कस्टडी मामलों को लेकर एक बार फिर चिंता खड़ी कर दी है। पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं, जिनमें कोर्ट के आदेशों की अनदेखी करते हुए बच्चों को विदेश ले जाने की कोशिश की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में भारत सरकार को कड़े क़ानूनी और राजनयिक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि बच्चों की सुरक्षा और कोर्ट के आदेशों की मर्यादा बनी रहे।
अब इस मामले में अगली सुनवाई से पहले यह देखना अहम होगा कि भारतीय एजेंसियां रूसी महिला और बच्चे का पता कब तक लगाती हैं। लेकिन एक बात तय है – सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट चेतावनी और सख्ती के बाद अब इस मामले में कानून का शिकंजा पूरी तरह कस चुका है।