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अमेरिकी दबाव पर रूस का पलटवार: परमाणु मिसाइल तैनाती की छूट खत्म

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मॉस्को, रूस

5 अगस्त 2025

रूस ने सोमवार को औपचारिक रूप से मध्यम और कम दूरी की मिसाइलों की तैनाती पर लगे अपने स्वैच्छिक प्रतिबंध (moratorium) को समाप्त करने का ऐलान कर दिया। यह कदम उस समय आया जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो परमाणु पनडुब्बियों को रूसी समुद्री सीमाओं के नजदीक तैनात करने का आदेश दिया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव एक बार फिर से बढ़ गया है।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, “रूस अब मध्यम और कम दूरी की मिसाइलों की तैनाती को लेकर स्वतंत्र है और यदि आवश्यक हुआ तो नाटो की आक्रामक गतिविधियों का जवाब देने के लिए इसका उपयोग कर सकता है।”

रूस का यह फैसला शीत युद्ध काल के INF (Intermediate-Range Nuclear Forces) संधि के 2019 में समाप्त हो जाने के बाद एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिका के कदम को रूस ने ‘सीमा के पास सैन्य उकसावे’ के रूप में परिभाषित किया है।

पृष्ठभूमि: क्या है INF संधि और क्यों टूटा भरोसा?

1987 में अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के बीच INF संधि पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसके तहत 500 से 5,500 किलोमीटर रेंज वाली ज़मीन से दागी जाने वाली परमाणु और पारंपरिक मिसाइलों पर रोक लगाई गई थी। लेकिन 2019 में अमेरिका ने रूस पर संधि उल्लंघन का आरोप लगाते हुए खुद को इससे अलग कर लिया, और रूस ने भी इसे निष्क्रिय घोषित कर दिया।

तब से दोनों देशों के बीच ऐसे हथियारों की तैनाती पर अनौपचारिक रोक बनी हुई थी, जिसे रूस अब आधिकारिक रूप से खत्म कर चुका है।

क्या है अमेरिका की प्रतिक्रिया?

हालांकि, व्हाइट हाउस की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अमेरिकी रक्षा विश्लेषकों ने इस निर्णय को “रणनीतिक असंतुलन की शुरुआत” बताया है, जिससे यूरोप और एशिया दोनों के लिए सुरक्षा चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं।

नाटो और यूक्रेन युद्ध के साए में फैसला

रूस का यह कदम ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन युद्ध के चलते उसकी पश्चिमी देशों के साथ तनातनी पहले ही चरम पर है। नाटो के देशों की सीमाओं पर बढ़ती सैन्य तैनाती और रक्षा अभ्यासों को रूस पहले से ही अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता रहा है।

अब देखना होगा कि अमेरिका और नाटो देश इस फैसले का क्या जवाब देते हैं और क्या वैश्विक मंच पर कोई नई मिसाइल नियंत्रण संधि की पहल हो सकती है या दुनिया एक बार फिर हथियारों की होड़ की तरफ बढ़ रही है।

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