नई दिल्ली 18 अक्टूबर 2025
केंद्र सरकार के दो मंत्रालयों के बीच तनातनी अब खुलकर सामने आ गई है। वित्त मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (NIRD&PR) का बजट घटाकर मात्र ₹1 लाख कर दिए जाने के बाद, अब शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाले ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पलटवार किया है। मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रस्ताव भेजते हुए ₹992.26 करोड़ की नई राशि की तत्काल मंज़ूरी मांगी है, ताकि संस्थान का पुनर्जीवन और कर्मचारियों की देनदारियां पूरी की जा सकें।
जानकारी के अनुसार यह प्रस्ताव 13 अक्टूबर को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वित्त मंत्रालय और कैबिनेट सचिवालय को भेजा गया, जिसमें कहा गया है कि संस्थान को इस वक्त “अस्तित्व के संकट” से गुजरना पड़ रहा है। मंत्रालय ने यह रकम दो हिस्सों में मांगी है — ₹575 करोड़ एंडोमेंट फंड के रूप में और ₹417 करोड़ पेंशन देनदारियों के निपटान के लिए। मंत्रालय का दावा है कि NIRD&PR को बचाना न सिर्फ प्रशासनिक आवश्यकता है, बल्कि यह ग्रामीण भारत की नीति निर्माण व्यवस्था का मेरुदंड भी है।
गौरतलब है कि हैदराबाद स्थित NIRD&PR की स्थापना 1958 में हुई थी, और यह संस्था देशभर में पंचायत राज, ग्रामीण रोजगार, महिला सशक्तिकरण और ग्राम प्रशासन के प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र रही है। यह वही संस्थान है जिसने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मनरेगा और ग्रामीण कौशल मिशन जैसे कार्यक्रमों में हजारों अधिकारियों को प्रशिक्षित किया। लेकिन बीते वित्तीय वर्ष में वित्त मंत्रालय ने इसके बजट को ₹73 करोड़ से घटाकर मात्र ₹1 लाख कर दिया — जिससे संस्थान के नियमित संचालन, शोध कार्यक्रम और कर्मचारियों के वेतन पर संकट गहराने लगा।
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि यह कदम नीति आयोग और वित्त मंत्रालय के बीच मतभेदों का नतीजा है। नीति आयोग का कहना है कि संस्थान को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम होना चाहिए, जबकि ग्रामीण विकास मंत्रालय का मानना है कि इसे “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” के रूप में विकसित करने के लिए सरकारी सहायता ज़रूरी है। इसी मतभेद ने अब दोनों मंत्रालयों के बीच एक तरह का “संवैधानिक खींचतान” पैदा कर दी है।
संसदीय स्थायी समिति ने भी इस पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकार ने एक “संवेदनशील और उपयोगी संस्था को लगभग खत्म करने जैसी गलती की है।” समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि बजट की बहाली की जाए और संस्थान को स्वायत्तता के साथ वित्तीय स्थिरता प्रदान की जाए।
सूत्र बताते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं इस मुद्दे को प्रधानमंत्री कार्यालय में उठाया है और संस्थान को “ग्रामीण भारत की आत्मा से जुड़ा” बताते हुए आग्रह किया है कि इसे पुनर्जीवित करने के लिए तत्काल वित्तीय पैकेज मंज़ूर किया जाए।
अगर ₹992 करोड़ का यह प्रस्ताव स्वीकृत होता है, तो यह न केवल एक वित्तीय मंजूरी होगी, बल्कि यह संदेश भी देगा कि सरकार ग्रामीण नीति संस्थाओं को खत्म करने के बजाय उन्हें मज़बूत करने के पक्ष में है। फिलहाल, ग्रामीण प्रशिक्षण का यह केंद्र सरकारी उपेक्षा और राजनीतिक जद्दोजहद के बीच अपनी पहचान बचाने की जंग लड़ रहा है।