जयपुर 1 अक्टूबर 2025
राजस्थान विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा आयोजित शस्त्र पूजा कार्यक्रम ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पूरे घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे लोकतंत्र और कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि RSS शिक्षा संस्थानों को अपने राजनीतिक एजेंडे का अड्डा बना रही है और पुलिस उस पर कार्रवाई करने की बजाय RSS के दबाव में काम कर रही है।
घटनाक्रम और विवाद का जन्म
दरअसल, राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में RSS ने शस्त्र पूजा का आयोजन किया था। गहलोत का कहना है कि विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा और शोध के केंद्रों का इस्तेमाल राजनीतिक गतिविधियों और शक्ति प्रदर्शन के लिए किया जाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। उनका आरोप है कि RSS ने इस परंपरा के नाम पर विश्वविद्यालय की पवित्रता को न केवल भंग किया बल्कि इसे खुलेआम वैचारिक युद्ध का मैदान बना दिया।
जैसे ही यह खबर फैली, कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI ने इसका कड़ा विरोध किया। NSUI कार्यकर्ताओं का कहना था कि विश्वविद्यालय परिसर में इस तरह का कार्यक्रम छात्रों के लिए गलत संदेश देता है और शिक्षा की मर्यादा का अपमान है। लेकिन विरोध करने पर हालात बिगड़ गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारी NSUI कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया। इतना ही नहीं, RSS से जुड़े लोगों ने भी मौके पर छात्रों के साथ हाथापाई की और कानून-व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ गईं।
गहलोत का तीखा हमला
अशोक गहलोत ने इस पूरी घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह राजस्थान के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा, “शिक्षा का स्थान ज्ञान और संस्कृति का होता है, यहाँ हथियारों की पूजा और राजनीतिक एजेंडा कैसे उचित है? जब छात्रों ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने RSS का साथ देते हुए NSUI कार्यकर्ताओं पर बल प्रयोग क्यों किया? और सबसे शर्मनाक बात यह रही कि पुलिस की मौजूदगी में RSS कार्यकर्ताओं ने खुलेआम छात्रों से मारपीट की। यह साबित करता है कि पुलिस RSS के दबाव में है।”
गहलोत ने सवाल उठाया कि जब राज्य की पुलिस RSS के दबाव में काम करने लगेगी, तब आम जनता की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की रक्षा कौन करेगा। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला है। उनका कहना था कि RSS अब “एक्स्ट्रा कन्स्टिट्यूशनल अथॉरिटी” बन चुकी है, जो सरकार और प्रशासन से ऊपर खुद को स्थापित करना चाहती है।
लोकतंत्र और शिक्षा पर खतरे की चेतावनी
पूर्व मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि यदि इस तरह की घटनाओं को अनदेखा किया गया तो आने वाले समय में शिक्षा संस्थान राजनीतिक और सांप्रदायिक टकराव का गढ़ बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जैसे स्थानों का अस्तित्व इसलिए है ताकि छात्र ज्ञान, शोध और संस्कृति में प्रगति कर सकें। लेकिन RSS जैसी संस्थाएँ इन्हें अपने वैचारिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए हथियार बना रही हैं।
गहलोत ने कहा कि यह केवल कांग्रेस या NSUI का मामला नहीं है, बल्कि हर उस नागरिक का मुद्दा है जो लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान में विश्वास रखता है। उन्होंने कहा कि RSS का प्रभाव यदि इसी तरह बढ़ता गया और पुलिस दबाव में काम करती रही तो राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी और जनता का भरोसा शासन-प्रशासन से उठ जाएगा।
संदर्भ और राजनीतिक मायने
राजस्थान विश्वविद्यालय में हुआ यह विवाद कोई पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में कई विश्वविद्यालय परिसरों में RSS और उससे जुड़े संगठनों के कार्यक्रमों को लेकर विवाद उठते रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि RSS शिक्षा संस्थानों में अपनी वैचारिक पकड़ मजबूत करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम करती है, वहीं समर्थकों का दावा है कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का उत्सव है। लेकिन जब मामला हिंसा और पुलिस के बल प्रयोग तक पहुँच जाए तो सवाल और गहरे हो जाते हैं।
गहलोत के इस बयान से स्पष्ट है कि कांग्रेस इस मुद्दे को केवल एक विश्वविद्यालय की घटना मानकर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी इसे लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों पर हमले के तौर पर पेश कर रही है। यह मुद्दा आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति में बड़ा विमर्श खड़ा कर सकता है।