नई दिल्ली 14 अगस्त 2025
विदेश नीति पर ट्रंप की टिप्पणी और RSS का कड़ा रुख
नई दिल्ली, 14 अगस्त 2025 — राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया नीतियों और बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें आतंकवाद और तानाशाही को बढ़ावा देने वाला करार दिया है। संघ के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइज़र’ में प्रकाशित एक संपादकीय लेख में सीधे तौर पर कहा गया कि ट्रंप की नीतियां भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों के लिए न केवल अनुचित हैं, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का फैसला किया है, जिसके पीछे कारण रूस से भारत द्वारा ऊर्जा खरीद बताई जा रही है।
भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की खुलकर तारीफ
RSS ने अपने लेख में भारत की विदेश नीति को ‘मजबूत, स्वतंत्र और राष्ट्रहित-आधारित’ बताया। संपादकीय के अनुसार, भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद का निर्णय पूरी तरह अपने ऊर्जा सुरक्षा हितों और रणनीतिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर लिया। ट्रंप द्वारा 6 अगस्त को लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को संघ ने भारत की आर्थिक संप्रभुता पर हमला बताया। लेख में कहा गया, “भारत किसी भी महाशक्ति के दबाव में आकर अपने फैसलों को नहीं बदलेगा। यह राष्ट्र अपने हितों और नागरिकों की भलाई के लिए जो उचित होगा, वही करेगा।” यह बयान भारत की उस विदेश नीति की पुष्टि करता है जो वैश्विक मंच पर किसी के दबाव में झुकने की बजाय ‘मल्टी-अलाइनमेंट’ पर आधारित है।
ट्रंप की नीतियों को वैश्विक शांति के लिए खतरा बताया
संपादकीय में ट्रंप की विदेश नीति को आक्रामक, स्वार्थी और अल्पदृष्टि वाला बताया गया। RSS का आरोप है कि ट्रंप प्रशासन न केवल आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए देशों पर दबाव बना रहा है, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से उन ताकतों को भी बढ़ावा दे रहा है जो आतंकवाद और अस्थिरता को जन्म देती हैं। लेख में कहा गया कि भारत हमेशा से शांति, आपसी सम्मान और सहयोग का समर्थक रहा है, लेकिन अमेरिका की यह नई नीति क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ाने का काम कर रही है। इसमें चीन-पाकिस्तान गठजोड़ और पश्चिम एशिया में अस्थिरता का उदाहरण देते हुए यह भी कहा गया कि ऐसी नीतियां तानाशाही सोच को प्रोत्साहित करती हैं।
आत्मनिर्भर भारत पर हमला, लेकिन इरादे मजबूत
RSS ने कहा कि ट्रंप का यह कदम भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति को कमजोर करने की कोशिश है। भारत ने ऊर्जा के मोर्चे पर रूस के साथ व्यापार बढ़ाकर न केवल अपनी जरूरतों को पूरा किया, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक स्वतंत्रता का परिचय दिया। टैरिफ बढ़ाने के बावजूद भारत अपनी आर्थिक योजनाओं को बदलेगा नहीं, बल्कि घरेलू उत्पादन और वैश्विक साझेदारियों को मजबूत करेगा। लेख में यह भी उल्लेख किया गया कि भारत ने पहले भी आर्थिक प्रतिबंधों और वैश्विक दबाव का सामना किया है और हर बार और मजबूत होकर उभरा है।
एकता और साहस का राष्ट्रीय संदेश
संघ ने भारतीयों से आह्वान किया कि वे बाहरी दबावों और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का सामना करते समय एकजुट रहें। लेख में कहा गया, “भारत ने हमेशा चुनौतियों को अवसर में बदला है। आज समय है कि हम आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर और मजबूत बनें, ताकि कोई भी ताकत हमें अपनी शर्तों पर चलाने की कोशिश न कर सके।” यह बयान न केवल केंद्र सरकार की नीति का समर्थन करता है, बल्कि विपक्ष और जनता के बीच एक साझा राष्ट्रीय दृष्टिकोण बनाने का संदेश भी देता है।
सोशल मीडिया पर समर्थन और जन प्रतिक्रिया
RSS के इस रुख को सोशल मीडिया पर काफी समर्थन मिल रहा है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #StandWithIndia और #TrumpPolicyTrending जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “RSS ने सही कहा, भारत अपने हितों से समझौता नहीं करेगा।” वहीं एक अन्य ने टिप्पणी की, “ट्रंप की तानाशाही नहीं चलेगी, भारत मजबूत है और रहेगा।” कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों में एक नए दौर की शुरुआत का संकेत है, जहाँ भारत अपने हितों को सर्वोपरि रखते हुए संवाद करेगा।
आत्मसम्मान और वैश्विक मंच पर ताकत का संदेश
RSS का यह बयान केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि भारत की विदेश नीति के मूल सिद्धांतों का दोहराव है — संप्रभुता, स्वतंत्र निर्णय और आत्मसम्मान। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत न तो आर्थिक प्रतिबंधों के दबाव में झुकेगा और न ही वैश्विक शक्ति समीकरणों में अपनी भूमिका कम करेगा। आने वाले समय में यह रुख भारत को वैश्विक मंच पर एक और अधिक प्रभावशाली और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित कर सकता है।