ब्रिटिश शाही परिवार में एक और बड़ा झटका तब लगा जब प्रिंस एंड्र्यू के सभी शाही खिताब और विशेषाधिकार औपचारिक रूप से छीन लिए गए। किंग चार्ल्स तृतीय के आदेश के बाद, एंड्र्यू अब सिर्फ एंड्र्यू माउंटबेटन विंडसर रह गए हैं — न ‘ड्यूक ऑफ यॉर्क’ का गौरव, न रॉयल लॉज का ठिकाना। यह निर्णय न केवल एंड्र्यू की सार्वजनिक छवि के लिए बल्कि पूरे राजघराने की साख के लिए भी बड़ा धक्का साबित हुआ है। इस फैसले का असर केवल एंड्र्यू तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनकी पूर्व पत्नी सारा फर्ग्यूसन और बेटियों बीएट्रिस व यूजिनी तक भी पहुंचा है।
सारा फर्ग्यूसन, जिन्हें कभी प्यार से ‘फर्जी’ कहा जाता था, अब रॉयल लॉज से बाहर होंगी और अपने लिए अलग आवास की व्यवस्था करेंगी। 66 वर्ष की सारा, एंड्र्यू के साथ लंबे समय से विंडसर के इसी ऐतिहासिक आवास में रह रही थीं। लेकिन एंड्र्यू के खिताब हटने और संपत्ति की लीज समाप्त होने के बाद, सारा को भी वहां से निकलना पड़ रहा है। खबरों के मुताबिक, वह अब स्वतंत्र रूप से अपनी जिंदगी जीने की तैयारी कर रही हैं और किसी प्रकार की आर्थिक या संपत्ति-संबंधी सहायता की मांग नहीं करेंगी। शुरुआती अक्टूबर में जब एंड्र्यू से ‘ड्यूक ऑफ यॉर्क’ की उपाधि छिनी, उसी समय सारा की ‘डचेस ऑफ यॉर्क’ वाली शिष्टाचार उपाधि भी समाप्त कर दी गई। अब वह अपने पुराने नाम सारा फर्ग्यूसन से जानी जाएंगी।
रॉयल परिवार के जानकारों का कहना है कि सारा के लिए यह परिवर्तन केवल औपचारिक नहीं, बल्कि भावनात्मक झटका भी है। वर्षों तक वह अपने सामाजिक और सार्वजनिक कार्यक्रमों में ‘डचेस ऑफ यॉर्क’ की उपाधि के साथ प्रस्तुत होती थीं, जिससे उनकी एक पहचान जुड़ी थी। शाही मामलों के विश्लेषक रिचर्ड पामर ने बीबीसी से कहा, “यह बदलाव उनके लिए गहरी चोट जैसा है। उन्होंने इस उपाधि का सक्रिय रूप से उपयोग किया था और अब इसे खो देने से उनकी सार्वजनिक साख पर असर पड़ना तय है।” इसके बावजूद, सारा ने इसे गरिमा के साथ स्वीकार करते हुए कहा कि वह “स्वतंत्र जीवन” की नई शुरुआत करना चाहती हैं।
दूसरी ओर, प्रिंसेस बीएट्रिस (37) और प्रिंसेस यूजिनी (35) की स्थिति में कोई औपचारिक परिवर्तन नहीं हुआ है। दोनों अभी भी ‘प्रिंसेस ऑफ द यूनाइटेड किंगडम’ की उपाधि रखती हैं, क्योंकि वे एक संप्रभु के पुत्र की पुत्रियाँ हैं — जो ब्रिटिश परंपरा के तहत उन्हें यह दर्जा बनाए रखता है। उनके सिंहासन उत्तराधिकार क्रम में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। प्रिंस एंड्र्यू अभी भी उत्तराधिकार की पंक्ति में आठवें स्थान पर हैं, जबकि बीएट्रिस नौवें और यूजिनी बारहवें स्थान पर हैं। हालांकि शाही विशेषज्ञ विक्टोरिया मर्फी ने कहा कि समय के साथ उनकी स्थिति और “परिवार में भूमिका” कम होती जाएगी, क्योंकि वे ‘वर्किंग रॉयल्स’ नहीं हैं और राजकीय दायित्वों में सक्रिय भाग नहीं लेतीं।
बीएट्रिस और यूजिनी अपने निजी जीवन में स्वतंत्र और आधुनिक ब्रिटिश समाज के अनुरूप जीवन जी रही हैं। उन्होंने अपने पेशेवर करियर और सामाजिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया है। मर्फी ने कहा, “यह बात सभी सराहते हैं कि यह पूरा घोटाला उनसे जुड़ा नहीं है, और यह उचित भी नहीं होगा कि उनके स्वतंत्र जीवन पर उनके पिता के विवाद का असर पड़े।” हालांकि शाही परिवार के भीतर यह समझ स्पष्ट है कि अब इन दोनों बेटियों की सार्वजनिक भूमिका सीमित रहेगी, क्योंकि ब्रिटिश राजशाही धीरे-धीरे कार्यरत सदस्यों की संख्या घटा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पूरा घटनाक्रम ब्रिटिश शाही परिवार के इतिहास में एक बड़ा मोड़ है। एंड्र्यू, जो कभी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के प्रिय पुत्र माने जाते थे, अब अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। सेक्स स्कैंडल और कानूनी विवादों ने उनकी प्रतिष्ठा को गहराई से प्रभावित किया है, और अब शाही उपाधियों का हटाया जाना इस गाथा का अंतिम अध्याय साबित हो सकता है। सारा फर्ग्यूसन के साथ उनके पुराने संबंध अब केवल व्यक्तिगत यादों तक सीमित रह गए हैं। वहीं, बीएट्रिस और यूजिनी के लिए यह संदेश है कि आधुनिक ब्रिटेन की नई पीढ़ी को अपने जीवन की राह खुद बनानी होगी — बिना ताज, बिना उपाधि, सिर्फ अपने नाम और कर्म से।
निष्कर्षतः, यह अध्याय केवल एक व्यक्ति की गिरी हुई शाही पहचान की कहानी नहीं, बल्कि बदलते ब्रिटेन की उस हकीकत का प्रतीक है जहाँ राजसी खून से ज्यादा मायने रखता है चरित्र, और ताज से बड़ी चीज़ होती है जवाबदेही।




