कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक में मतदाता धोखाधड़ी को लेकर चुनाव आयोग (ECI) पर सीधा और तीखा हमला बोलते हुए सवाल दागा है कि क्या देश का संवैधानिक संस्थान अब भाजपा का “बैकऑफिस” बनकर काम कर रहा है? खरगे ने आरोप लगाया कि आयोग जानबूझकर उन अहम दस्तावेजों को दबा रहा है जो कर्नाटक में फर्जी फॉर्म-7 एप्लिकेशन के जरिए हुई वोट चोरी का खुलासा कर सकते हैं।
खरगे ने कहा कि जब लाखों मतदाताओं की सूची से नाम गायब कर दिए गए, तब कांग्रेस ने इसे उजागर किया और सबूत भी सामने रखे। आलंद विधानसभा क्षेत्र में करीब छह हजार फर्जी फॉर्म-7 का मामला कोई छोटी घटना नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र के साथ की गई सुनियोजित डकैती है। इसके बावजूद चुनाव आयोग चुप है और कार्रवाई की जगह जांच को रोकने का काम कर रहा है। खरगे ने तंज कसते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है मानो आयोग बीजेपी की मदद के लिए ही बना हो, ताकि चुनावी धांधली को छिपाया जा सके।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश का लोकतंत्र तब तक सुरक्षित नहीं रह सकता जब तक चुनाव आयोग जैसी संस्थाएं पूरी तरह से निष्पक्ष होकर काम न करें। लेकिन आज स्थिति यह है कि विपक्ष द्वारा उठाए गए गंभीर सवालों को दरकिनार किया जा रहा है और सत्तारूढ़ दल को ढाल मुहैया कराई जा रही है। खरगे का आरोप है कि यह न केवल संविधान के खिलाफ है, बल्कि मतदाताओं के अधिकारों की खुली लूट है।
उन्होंने साफ चेतावनी दी कि कांग्रेस इस मामले को जनता की अदालत में ले जाएगी। खरगे ने पूछा, “क्या चुनाव आयोग अब जनता के वोट की रक्षा करेगा या भाजपा की गद्दारी को ढकने का औजार बना रहेगा?”
यह हमला कांग्रेस के उस अभियान का हिस्सा है जिसमें पार्टी लगातार कह रही है कि देश में लोकतंत्र खतरे में है और संवैधानिक संस्थाओं को बीजेपी के इशारे पर नचाया जा रहा है। कर्नाटक का यह विवाद अब राष्ट्रीय बहस बन चुका है और खरगे का यह बयान आग में घी का काम कर रहा है।