नई दिल्ली 11 सितम्बर 2025
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की युवा प्रवक्ता प्रियंका भारती ने एक तीखा बयान देकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि अगर मीडिया जगत में सच्ची डाइवर्सिटी होती, तो आज की पत्रकारिता और देश के हालात बिल्कुल अलग होते।
सत्ता में रहते भी नहीं टूटा जातीय भेदभाव
प्रियंका ने उदाहरण देते हुए कहा कि अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे तब मंदिर धोया गया, टीकाराम जी राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष रहे, तब भी मंदिर धोया गया, और यहां तक कि द्रौपदी मुर्मू जी राष्ट्रपति रहते हुए भी उन्हें मंदिर के गर्भगृह में घुसने नहीं दिया गया। उनका कहना था कि यह साफ दिखाता है कि जाति और भेदभाव पदों और ओहदों से ऊपर खड़ा है।
फणीश्वरनाथ रेणु का हवाला
प्रियंका ने साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु की रचना मैला आँचल का जिक्र करते हुए कहा कि, “जाति नहीं बताने वालों की भी जाति होती है।” उन्होंने कहा कि यह सच्चाई आज भी समाज पर हावी है और दलित-पिछड़ों के साथ होने वाला व्यवहार इसका जीता-जागता सबूत है।
“हिन्दू राष्ट्र” बनाम संविधान
प्रियंका भारती ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जब लोग हिन्दू राष्ट्र की बात करते हैं, तो दरअसल वे संविधान को खत्म करने की बात करते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि जिस दिन संविधान खत्म होगा, उसी दिन हम एक बार फिर उसी दौर में लौट जाएंगे जहाँ दलित और पिछड़े कमर में झाड़ू, गले में हांडी और हाथ में काला धागा लेकर जीने को मजबूर होंगे ताकि समाज को यह पता चल सके कि हम कौन हैं और हमारे लिए क्या सोच है।
प्रियंका का यह बयान दलित-पिछड़े समुदाय की चिंताओं और हक़ीक़त को सामने लाता है, लेकिन साथ ही यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या भारत में समानता और न्याय का सपना अभी अधूरा है?