सुरेंद्रनगर (गुजरात), 31 अक्टूबर 2025
आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुजरात की राजनीति में आग लगा देने वाला बयान देकर बीजेपी को सीधे चुनौती दी है। सुरेंद्रनगर जिले के सुदामदा गांव में आयोजित विशाल ‘किसान महापंचायत’ में उन्होंने कहा — “एक दिन के लिए पुलिस हटा दो, तो देखना… गुजरात का किसान बीजेपी नेताओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटेगा। किसानों का गुस्सा इतना भरा है कि बीजेपी वालों की जिंदगी नर्क बन जाएगी।” यह बयान उन्होंने उस पृष्ठभूमि में दिया, जब राज्य के कई जिलों — बोताड़, सुरेंद्रनगर, राजकोट और जूनागढ़ — में किसान कपास, मूंगफली और दूध की घटती कीमतों, मंडी शुल्क में बढ़ोतरी और परिवहन लागत के खिलाफ पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं।
केजरीवाल ने अपने संबोधन में बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि गुजरात में किसानों की आवाज दबाने के लिए पुलिस का बेशर्म दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 13 अक्टूबर को बोताड़ मंडी में जब किसान शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे, तब पुलिस ने लाठीचार्ज किया, आंसू गैस छोड़ी और 250 से अधिक किसानों को गिरफ्तार किया गया। इतना ही नहीं, आम आदमी पार्टी के गुजरात किसान सेल प्रमुख राजू करपाडा और अन्य नेताओं पर IPC की धारा 307 (हत्या का प्रयास) तक लगा दी गई। उन्होंने कहा कि बीजेपी को किसानों से इतना डर लगने लगा है कि वह पुलिस की ढाल लेकर घूमती है। अगर पुलिस हटा दी जाए, तो पता चल जाएगा कि असली जनादेश जनता का है या सत्ता का।
उन्होंने आगे कहा कि गुजरात की मंडियों पर बीजेपी नेताओं का कब्जा है, जो किसानों से खुली लूट कर रहे हैं। किसानों की उपज में अनुचित कटौती की जा रही है, दूध उत्पादकों को बोनस नहीं मिल रहा और मंडी के व्यापारी मनमाने दाम तय कर रहे हैं। केजरीवाल ने तुलना करते हुए कहा कि पंजाब में जब बाढ़ आई थी, तो उनकी सरकार ने किसानों के लिए 1600 करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया था, जबकि गुजरात में बीजेपी सरकार ने अपने किसानों को एक रुपये तक की राहत नहीं दी। उन्होंने कहा कि “1980 में कांग्रेस ने किसानों पर गोली चलाई थी और फिर गुजरात से मिट गई। अब वही कहानी बीजेपी दोहरा रही है, और अब उसका काउंटडाउन शुरू हो चुका है।”
इस महापंचायत में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मंच पर मौजूद थे। उन्होंने कहा कि गुजरात के किसान अब जाग चुके हैं और यह आंदोलन केवल मूल्य और मुनाफे का नहीं, बल्कि आत्मसम्मान का भी सवाल बन गया है। मान ने घोषणा की कि AAP अब हर मंडी में जाएगी और किसानों की जनसुनवाई करेगी। आने वाले समय में 400 से अधिक मंडियों में किसानों की समस्याओं और सुझावों को सुना जाएगा, ताकि एक राज्यव्यापी रिपोर्ट तैयार की जा सके और बीजेपी सरकार को आईना दिखाया जा सके।
31 अक्टूबर को AAP ने ‘ब्लैक डे’ के रूप में मनाया, और उसी दिन सरदार पटेल जयंती पर आयोजित यह किसान महापंचायत पार्टी के लिए प्रतीकात्मक राजनीतिक संदेश बन गई। पार्टी की रणनीति स्पष्ट है — 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले किसान वोट बैंक को साधना और ग्रामीण गुजरात में बीजेपी के गढ़ को कमजोर करना। केजरीवाल और भगवंत मान दोनों ने एक स्वर में कहा कि यह लड़ाई किसानों की आर्थिक मुक्ति और राजनीतिक जागृति की है, जो अब किसी भी कीमत पर नहीं रुकेगी।
इस बीच बीजेपी ने अब तक इस “पिटाई वाली चुनौती” पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि पहले पार्टी ने आम आदमी पार्टी को “अराजकता फैलाने वाली पार्टी” कहकर खारिज किया था। लेकिन इस बार केजरीवाल के आक्रामक बयान ने राजनीतिक हलकों में बवंडर पैदा कर दिया है। कई विश्लेषकों का मानना है कि गुजरात की ग्रामीण राजनीति में यह बयान नया मोड़ ला सकता है, खासकर तब जब किसानों का असंतोष लगातार बढ़ रहा है।
महापंचायत के समापन पर केजरीवाल ने कहा कि सच्चाई को जेलों में नहीं कैद किया जा सकता। उन्होंने ऐलान किया, “हम किसानों के साथ अंतिम सांस तक खड़े रहेंगे। गुजरात की जनता अब बीजेपी से मुक्त होने का मन बना चुकी है। गुजरात में बीजेपी का अंतिम समय शुरू हो गया है।”




