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रक्षाबंधन मूहूर्त 2020: भद्रा तो रहेगा लेकिन अन्य शुभ योगों के कारण आएगी खुशहाली।

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नई दिल्ली 

1 अगस्त 2020 

भाई बहन के पवित्र और नि:स्वार्थ प्रेम का त्यौहार रक्षाबंधन प्रत्येक वर्ष सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यानी की साल 2020 में रक्षाबंधन 3 अगस्त 2020 को मनाया जाएगा। इसी दिन से श्रावण महीने की संपन्नता मानी जाती है। विशेष बात यह कि इस वर्ष के सावन की शुरुआत भी सोमवार से हुई थी और इस वर्ष के सावन का समापन भी सोमवार के दिन से ही होगा। यानी कि इस वर्ष रक्षाबंधन सोमवार के दिन ही पड़ रहा है। हालांकि इस वर्ष भी रक्षाबंधन के समय भद्रा का साया तो रहेगा ही लेकिन इसके बावजूद भी कई शुभ योगों के चलते इस रक्षाबंधन को विशेष कहा जाएगा।

जानिए इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं!

इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन प्रीति योग, आयुष्मान योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। रक्षाबंधन के दिन का शुभारंभ ही सर्वार्थ सिद्ध योग में हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में रक्षाबंधन की शुरुआत कई वर्षों में एक बार देखने को मिलती है। साथ ही साथ सोमवार भी है। इसलिए यह रक्षाबंधन विशेष कहा जाएगा

ज्योतिषाचार्य पंडित हनुमान मिश्रा के अनुसार रक्षासूत्र अर्थात राखी बांधते समय भद्रा नहीं होना चाहिए। भद्रा सूर्य देव की पुत्री कहलाती है जिसे कई कामों के लिए शुभ नहीं माना जाता। भद्रा के समय राखी न बांधने के पीछे की मान्यता का कारण बताते हुए पंडित मिश्रा ने बताया कि लोगों में एक बात या मान्यता प्रचलित है भले ही वह तर्क पूर्ण हो या न हो लेकिन मान्यता तो है ही अतः उसे मनाना पड़ता है। मान्यता के अनुसार भद्रा काल में ही रावण की बहन ने उसे राखी बांधी थी और रावण का सर्वनाश हो गया। इसलिए भद्रा काल में राखी न बढ़ने की परंपरा चली आ रही है। इस बार के रक्षाबंधन की बात की जाय तो क्योंकि इस बार की भद्रा सुबह 9:29 तक है। अतः उसके पहले राखी बांधना शुभ नहीं रहेगा। सुबह 9:30 के बाद राखी बांधी जा सकती है। शुभ मुहूर्त की बात की जाय तो दोपहर 1:35 से लेकर शाम को 4:35 तक राखी बांधना शुभ रहेगा। वहीं इसके बाद शाम को 7:30 से लेकर रात 9:30 के बीच भी राखी बांधना शुभ रहेगा।

मान्यता के अनुसार शुभ मुहूर्त में राखी बांधने से भाई बहनों के बीच प्रेम बना रहता है और इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग होने के कारण अनुकूलता और अधिक रहेगी। फलस्वरुप भाई बहनों की मनोकामना पूर्ति में और उनके प्रेम को बढ़ाने में यह मुहूर्त भी योगदान दे सकेगा। आयुष्मान योग को भी अनुकूल योग माना गया है। अतः इस योग की उपस्थिति भी इस बात का संकेत कर रही है कि इस बार बंधने वाला रक्षा सूत्र रिश्तो को मजबूती और दीर्घायु प्रदान करेगा। सोमवार के दिन पड़ने वाली पूर्णिमा भी अपने स्तर पर अनुकूलता देगी, ऐसी उम्मीद की जा सकती है। इस दिन चंद्रमा का ही नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र भी रहेगा यह रक्षाबंधन सबके जीवन में अनुकूलता लेगा।

वर्तमान पर स्थित अर्थात कोरोनाकाल को लेकर विशेष टिप्पणी!

वर्तमान में कोरोनाकाल का प्रकोप चल रहा है, ऐसे में बहुत सारे भाई बहनों का मिलन शायद संभव नहीं हो पाएगा। ऐसे में क्या किया जाय इसका तोड़ बताते हुए पंडित हनुमान मिश्रा कहते हैं कि वर्तमान परिदृश्य में वीडियो कॉल के माध्यम से भाई-बहन एक दूसरे को वर्चुअली देख लें, एक दूसरे से बात कर लें। रही बात “रक्षासूत्र” की तो भगवान कृष्ण को अपना भाई मानकर बहने रक्षासूत्र उन्हें भेंट कर दें। बाद में जब कभी भाई से मिलना हो तो उसी रक्षासूत्र को आप भाई की कलाई में बांध सकती हैं। ऐसा करने से भगवान कृष्ण भाई बहन दोनों की रक्षा करेंगे। जिस तरह भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई और उसकी रक्षा की उसी तरह आपकी भी रक्षा होगी, ऐसी कामना करते हुए कृष्ण को राखी बांधना तर्कसंगत और भाव संगत रहेगा।

बाकी घर पर रहें, सुरक्षित रहें। भीड़भाड़ से बचें। आपका रक्षाबंधन शुभ रहे!

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