कोलकाता, 23 सितंबर
आसमान से लगातार बरसती बारिश ने कोलकाता की रफ्तार को पूरी तरह से रोक दिया है। दुर्गा पूजा की तैयारियों में जुटा शहर जहां रौशनी और उत्सव की चमक से जगमगाने वाला था, वहीं अब पानी से डूबे पंडाल, ठप मेट्रो सेवाएं और करंट से हुई मौतें एक भयावह तस्वीर पेश कर रहे हैं। यही वजह है कि “पंडाल जलमग्न, मेट्रो सेवाएँ ठप और 7 लोगों की मौत” इस हालात की पूरी सच्चाई को बयान करती है।
बारिश इतनी तेज़ रही कि पूजा पंडालों की सजावट, रोशनी और रंगीन कपड़े पानी में तैरते नज़र आए। पंडाल आयोजकों के लिए यह दृश्य किसी बुरे सपने से कम नहीं है। जहाँ देवी दुर्गा की प्रतिमा की आराधना की जानी थी, वहाँ अब पानी भरा है और श्रद्धालु मायूस खड़े हैं। कई प्रमुख पूजा समितियां कह रही हैं कि महीनों की मेहनत और करोड़ों का खर्चा अब पानी में डूब गया है।
शहर का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। मेट्रो ट्रैक और सुरंगों में पानी भरने से सेवाएँ रोक दी गईं। यात्री घंटों तक फंसे रहे। उपनगरीय ट्रेनें भी प्रभावित हुईं, जिससे लाखों लोगों को घर और दफ्तर के बीच फँसना पड़ा। सड़कों पर पानी घुटनों तक भर गया और यातायात रुक-रुक कर चला।
सबसे दर्दनाक घटना बिजली के करंट से हुईं मौतों की हैं। बारिश और जलजमाव के बीच खुले पड़े बिजली के तार और पानी से भरे इलाके लोगों के लिए जाल बन गए। अलग-अलग इलाकों में 7 लोगों की जान चली गई—कुछ घर लौटते समय करंट की चपेट में आ गए, तो कुछ पानी में डूबे खंभों से सटते ही गिर पड़े। इन घटनाओं ने लोगों में डर और आक्रोश दोनों फैला दिया है। परिवारों में मातम पसरा है और शहर की हंसी-खुशी का माहौल शोक में बदल गया है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव के चलते अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश जारी रह सकती है। नगर निगम और बिजली विभाग ने राहत कार्य तेज़ करने का दावा किया है, लेकिन नागरिकों का कहना है कि जब तक जलनिकासी और बिजली व्यवस्था दुरुस्त नहीं होगी, हर साल इसी तरह का संकट खड़ा होता रहेगा।
कोलकाता की दुर्गा पूजा, जो यूनेस्को की विरासत सूची में दर्ज है और जिसे बंगाल की आत्मा कहा जाता है, इस बार बारिश और मौत के साये में है। श्रद्धालुओं का विश्वास अब भी कायम है कि माँ दुर्गा की पूजा धूमधाम से होगी, लेकिन फिलहाल शहर का दृश्य उत्सव से अधिक त्रासदी का प्रतीक बना हुआ है।