शिमला, हिमाचल
18 जुलाई 2025
मूसलधार बारिश से हिमाचल का जनजीवन थमा, 250 सड़कें बंद
हिमाचल प्रदेश इस समय भीषण बारिश की चपेट में है। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश के चलते राज्य की 250 से अधिक सड़कें पूरी तरह बंद हो चुकी हैं। इन बंद सड़कों में कई राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग भी शामिल हैं, जिनमें एनएच-707 प्रमुख रूप से प्रभावित है। मंडी, कुल्लू, सिरमौर, शिमला और चंबा जैसे जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां भूस्खलन के कारण सड़कें मलबे से भर गई हैं और कई जगहों पर यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। सैकड़ों गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट चुका है, जिससे जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति, दवाइयों और परिवहन सेवाओं पर भारी असर पड़ा है।
भूस्खलन, बिजली-पानी की कटौती और आपात स्थिति का माहौल
बारिश की वजह से लगातार हो रहे भूस्खलनों ने हालात को और भयावह बना दिया है। सड़कों के साथ-साथ कई पेयजल योजनाएं (171) और बिजली ट्रांसफॉर्मर (151) भी क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह बाधित हो गई है। जगह-जगह जलस्तर इतना बढ़ चुका है कि लोग अपने घरों से निकल नहीं पा रहे हैं। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में बने मकान और दुकानों को क्षति पहुंची है। लोगों को प्रशासन की ओर से बनाए गए आपात राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। कृषि और बागवानी को भी भारी नुकसान हुआ है, जिससे आने वाले समय में किसानों की आजीविका पर संकट गहराने की आशंका है।
मौसम विभाग का ऑरेंज अलर्ट, प्रशासन हाई अलर्ट पर
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हिमाचल प्रदेश के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जो 21 और 22 जुलाई तक प्रभावी रहेगा। इससे पहले 20 जुलाई तक येलो अलर्ट लागू है। विभाग ने तेज बारिश, आंधी और बिजली गिरने की चेतावनी दी है, जिससे जानमाल के और नुकसान की संभावना जताई जा रही है। जिला प्रशासन को आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। स्थानीय प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें सड़कों से मलबा हटाने, राहत सामग्री पहुंचाने, और घायलों को सुरक्षित स्थानों तक ले जाने में जुटी हैं। साथ ही, संवेदनशील इलाकों में रहने वाले लोगों को उच्च स्थानों पर जाने की सलाह दी जा रही है।
मानसून से अब तक ₹1,000 करोड़ से अधिक का नुकसान, 100 से ज़्यादा मौतें
हिमाचल में इस साल का मानसून प्रदेश के लिए अभिशाप बनकर आया है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अब तक करीब 770 से ₹1,000 करोड़ तक की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। करीब 100 से अधिक लोगों की मौत, 35 से अधिक लापता और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। दर्जनों मकान पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं और कई पुल व सड़कें बह गई हैं। कुल मिलाकर इस प्राकृतिक आपदा ने राज्य की व्यवस्था को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया है। मुख्यमंत्री और वरिष्ठ मंत्री लगातार राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं, लेकिन खराब मौसम के चलते हेलिकॉप्टर सेवा भी कई जगह बंद करनी पड़ी है।
जनता से अपील और आगे की रणनीति
प्रशासन ने जनता से अपील की है कि जब तक मौसम पूरी तरह सामान्य न हो, अनावश्यक यात्रा से बचें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टियां घोषित कर दी गई हैं। राज्य सरकार ने केंद्र से भी मदद मांगी है और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की अतिरिक्त टीमें भेजने का अनुरोध किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि हिमाचल को अब दीर्घकालिक जल-प्रबंधन, आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली और सुदृढ़ बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है, ताकि हर साल मानसून की मार से जन-धन की भारी हानि को टाला जा सके।
हिमाचल प्रदेश इस वक्त एक बड़े जलसंकट और प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा है। मूसलधार बारिश से सिर्फ सड़कों और घरों को नहीं, बल्कि लोगों की आशाओं, आजीविका और सुरक्षा को भी चोट पहुंची है। प्रशासन अपनी ओर से सक्रिय है, लेकिन चुनौती बेहद बड़ी है। अब समय आ गया है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति स्थायी समाधान और दीर्घकालिक रणनीति बनाई जाए, जिससे ‘देवभूमि’ हिमाचल फिर से मुस्कुरा सके।