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ट्रंप के बयान पर राहुल-थरूर आमने-सामने, भारतीय अर्थव्यवस्था पर कांग्रेस में दिखा मतभेद

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नई दिल्ली | 1 अगस्त 2025

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद कि भारत और रूस “अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को साथ ले डूब सकते हैं”, भारत की राजनीति में घमासान मच गया है। जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस टिप्पणी को सही ठहराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला, वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने राहुल के बयान को पूरी तरह से नकारते हुए कहा, “ऐसा कुछ नहीं है, हम सब जानते हैं।”

दरअसल, राहुल गांधी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था मर चुकी है और इसके लिए मोदी जिम्मेदार हैं।” उन्होंने इस गिरावट के लिए मोदी-अडानी गठबंधन, नोटबंदी, दोषपूर्ण जीएसटी, असफल ‘असेम्बल इन इंडिया’ योजना, MSME सेक्टर की बर्बादी और किसानों की बदहाली को जिम्मेदार ठहराया।

राहुल ने आगे कहा, “भारत के युवाओं का भविष्य मोदी ने नष्ट कर दिया है क्योंकि देश में नौकरियां नहीं हैं। पूरी दुनिया जानती है कि बीजेपी ने अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया ताकि अडानी जैसे पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाया जा सके।”

इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा, “यह बात सही नहीं है, और हम सभी जानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था मरी हुई नहीं है।” थरूर ने इशारों में राहुल की राय से असहमति जताते हुए ट्रंप की टिप्पणी को अतिरंजित करार दिया।

ट्रंप ने हाल ही में Truth Social पर लिखा था, “मुझे फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है, वे अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को साथ ले डूब सकते हैं। भारत पर हमारे टैक्स बहुत ज्यादा हैं और हम उनके साथ बहुत कम व्यापार करते हैं।”

ट्रंप ने 1 अगस्त से भारत से आयात होने वाले सभी उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा भी कर दी है, जिससे भारतीय निर्यातकों में चिंता बढ़ गई है। इस फैसले को लेकर सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव और गहरा गया है।

राहुल गांधी और शशि थरूर के बयानों से एक बार फिर कांग्रेस पार्टी के भीतर आर्थिक नीतियों और राजनीतिक रणनीति को लेकर मतभेद सामने आए हैं। जहां राहुल पूरी तरह मोदी सरकार को दोषी ठहराकर आक्रामक विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं, वहीं थरूर एक संतुलित और तथ्यों पर आधारित रुख अपनाते नजर आ रहे हैं। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि कांग्रेस पार्टी इन विरोधाभासी बयानों पर क्या रुख अपनाती है, और क्या यह अंदरूनी असहमति किसी बड़े राजनीतिक संदेश में तब्दील होगी।

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