भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। आम तौर पर जहां सांसदों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रहती है, इस बार वहां सैंकड़ों स्कूली बच्चों को भी आमंत्रित किया गया था, ताकि वे भी भारत के महान एकता नायक की विरासत को करीब से महसूस कर सकें।
कार्यक्रम के दौरान एक ऐसा क्षण आया जिसने पूरे माहौल को उत्साह और आत्मीयता से भर दिया। जैसे ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सेंट्रल हॉल में पहुंचे, बच्चों के चेहरों पर उत्साह झलक उठा। उन्होंने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया, और इसी के साथ पूरा हाल तालियों की गूंज से भर गया। राहुल गांधी ने भी मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर अभिवादन किया और फिर सीधे बच्चों के बीच जाकर बैठ गए। यह दृश्य वहां मौजूद सभी लोगों के लिए भावनात्मक और प्रेरक था — जहां एक राजनेता ने औपचारिकता छोड़, सहजता से बच्चों के साथ संवाद का रास्ता चुना।
राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने इस पूरे प्रसंग को साझा करते हुए कहा, “मैं भी सेंट्रल हॉल में मौजूद था। हाल खचाखच भरा था। राहुल जी के आते ही सारे युवा खड़े हो गए और तालियों की गड़गड़ाहट से हाल गूंजने लगा।”
यह दृश्य न केवल बच्चों के मन में नेता और नागरिक के बीच की दूरी को मिटाने वाला था, बल्कि एक संदेश भी दे गया — कि राजनीति का असली चेहरा तभी सुंदर दिखता है जब उसमें आत्मीयता, सादगी और जुड़ाव की भावना शामिल हो।
तस्वीरें इस पूरे दृश्य की गवाही दे रही हैं — जहां सरदार पटेल की एकता की प्रेरणा और राहुल गांधी का सहज व्यवहार, एक ही मंच पर भारतीय लोकतंत्र की जीवंत तस्वीर बन गए।




