जनवरी 2025 के अंतिम सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय राजनयिक गलियारों में हलचल तेज़ हो गई, जब यह स्पष्ट हुआ कि जुलाई 2025 में होने वाली क्वाड (Quad) विदेश मंत्रियों की बैठक को लेकर सदस्य राष्ट्रों ने सक्रिय और बहुपक्षीय स्तर पर तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने जनवरी में वाशिंगटन में एक उच्च स्तरीय प्रारंभिक समन्वय सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी वर्चुअल या भौतिक उपस्थिति दर्ज की।
क्वाड—जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे लोकतांत्रिक और समुद्री-रणनीतिक राष्ट्र शामिल हैं—का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता, स्वतंत्र नौवहन, आर्थिक सुरक्षा और चीन के बढ़ते दबाव के बीच संतुलन बनाए रखना है। यह मंच आज सिर्फ समुद्री सहयोग या सैन्य रणनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका दायरा साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, और प्रौद्योगिकी साझेदारी तक विस्तृत हो चुका है। ऐसे में जुलाई 2025 की प्रस्तावित बैठक को केवल एक कूटनीतिक कार्यक्रम न मानकर, हिंद-प्रशांत की आगामी दिशा तय करने वाली ऐतिहासिक बैठक के रूप में देखा जा रहा है।
जनवरी में हुई तैयारियों के दौरान भारत के विदेश मंत्रालय ने भी सक्रियता दिखाई। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के कार्यालय ने एक आंतरिक रणनीतिक बैठक आयोजित की जिसमें रक्षा मंत्रालय, वाणिज्य विभाग और नीति आयोग के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया। भारत की प्राथमिकता इस बार ‘स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत’ की अवधारणा को और अधिक सशक्त बनाना है, जिसमें छोटे द्वीप राष्ट्रों की आर्थिक संप्रभुता, ब्लू इकोनॉमी, और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ आधारभूत ढांचे में निवेश को शामिल किया जाएगा।
वहीं जापान की ओर से भी जनवरी में संकेत मिले कि वे इस बैठक को ‘टेक्नोलॉजी-लिंक्ड क्वाड इनिशिएटिव‘ के तहत प्रयोग करना चाहते हैं, जिसमें सेमीकंडक्टर, 5G/6G नेटवर्क, और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसे विषयों को सहयोग के प्रमुख स्तंभ के रूप में उभारा जाएगा। ऑस्ट्रेलिया की सरकार, जो पहले से ही दक्षिण-पैसिफिक सुरक्षा नेटवर्क में निवेश कर रही है, इस बैठक को जलवायु परिवर्तन से जुड़ी रणनीतियों और लचीले समुद्री ढांचों के लिए साझा कार्रवाई का अवसर मान रही है।
अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मैलोरी वुड्स ने 28 जनवरी को एक बयान में कहा, “जुलाई की बैठक क्वाड के लिए अगला मील का पत्थर होगी। इस बार हम सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक प्रौद्योगिकीय प्रतिस्पर्धा, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और लोकतांत्रिक डिजिटल ढांचे की मजबूती पर भी साझेदार देशों के साथ आगे बढ़ने की रणनीति तय करेंगे।”
जनवरी में हुई तैयारियों से यह भी स्पष्ट हो गया कि सदस्य देश समूह की संस्थागत संरचना को और अधिक औपचारिक बनाना चाहते हैं। इसके तहत संभावित रूप से एक ‘क्वाड सचिवालय‘ की स्थापना का विचार भी पुनः चर्चा में आ गया है, जो रणनीति और कार्यक्रमों के निरंतर मूल्यांकन और समन्वय का कार्य करेगा।
इस प्रकार, जनवरी 2025 के घटनाक्रमों से यह स्पष्ट हो गया कि जुलाई में प्रस्तावित क्वाड बैठक महज़ एक परंपरागत मुलाकात नहीं, बल्कि विश्व राजनीति में एक निर्णायक और बहुध्रुवीय शक्ति-संतुलन की दिशा में गंभीर पहल साबित हो सकती है। खासकर तब, जब दक्षिण चीन सागर में तनाव, ताइवान को लेकर चीनी आक्रामकता, और रूस-यूक्रेन संकट के प्रभाव अब एशियाई भूभाग को भी प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में क्वाड की यह सक्रियता सिर्फ रणनीति नहीं, भविष्य की वैश्विक स्थिरता की तैयारी है।