असम सरकार द्वारा उद्योगपति गौतम अदानी के समूह को 1875 एकड़ जमीन देने का फैसला अब एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गया है। जानकारी के अनुसार यह जमीन औद्योगिक परियोजना के लिए दी गई है, लेकिन इस पर अदालत की कड़ी टिप्पणी और विपक्ष की आक्रामक प्रतिक्रिया ने सरकार को घेर लिया है।
जमीन आवंटन मामले की सुनवाई के दौरान जज ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “सरकार जिस तरह से जमीन का आवंटन कर रही है, ऐसा लगता है मानो पूरा जिला ही सौंप दिया जा रहा हो।” अदालत की यह टिप्पणी तुरंत सियासी बहस का हिस्सा बन गई।
विपक्षी दलों ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे “कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने की साजिश” बताया। उनका कहना है कि असम की उपजाऊ जमीन और स्थानीय लोगों की आजीविका को ताक पर रखकर अदानी समूह को लाभ पहुंचाया जा रहा है। विपक्ष ने यह मुद्दा विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाने का ऐलान किया है।
वहीं, असम सरकार का कहना है कि राज्य में बड़े निवेश और रोजगार सृजन के लिए यह कदम उठाया गया है। सरकार के प्रवक्ता ने दावा किया कि इस परियोजना से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
फिलहाल, मामला अदालत में लंबित है और राजनीतिक रूप से यह एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। जज की टिप्पणी के बाद अब यह देखा जाना बाकी है कि अदालत इस आवंटन पर क्या अंतिम फैसला देती है। लेकिन इतना तय है कि अदानी को जमीन दिए जाने का यह मामला आने वाले समय में असम की राजनीति और राष्ट्रीय बहस दोनों का केंद्र रहेगा।